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कब है सावनी पूर्णिमा और शुभ मुहूर्त-When is Shravan Purnima and what is the auspicious timing ?

When is Shravan Purnima and what is the auspicious timing – हिंदू धर्म में श्रावण महीने की पूर्णिमा को धार्मिक तौर पर, बहुत ही पुण्य तिथि माना जाता है। ऐसा कहा जाता है, कि श्रावण की पूर्णिमा तिथि को, चंद्रमा अपने सभी कलाओं से पूर्ण होता है, जिसकी अपरूप शोभा समस्त दिशाओं को प्रकाशित करती है। साथ ही, इस तिथि को देशभर के अलग-अलग प्रांतों में, विभिन्न पर्वों के रूप में भी मनाया जाता है। जहां उत्तर भारत में इस दिन, रक्षा बंधन का पर्व धूमधाम से मनाते हैं, तो वहीं दक्षिण भारत में यह दिन, अवनि अवित्तम के नाम से मनाया जाता है वहीं श्रावण पूर्णिमा की इस तिथि को, कुछ क्षेत्रों में कजरी पूनम नाम से भी जाना जाता है। इस दौरान घर की महिलाएं, नवमी तिथि के दिन पत्तों से बने पात्रों में जौ बोती हैं, जिसे पूर्णिमा के दिन नदी में विसर्जित किया जाता है। महिलाएं इस दिन व्रत रखकर, अपनी संतान की लंबी आयु और सुख समृद्धि की कामना करती हैं।

श्रावण पूर्णिमा 2025 का शुभ मुहूर्त व तिथि ?
श्रावण मास की पूर्णिमा 09 अगस्त 2025 को पड़ रही है, जिसमें श्रावण पूर्णिमा के दिन चंद्रोदय का समय पंचांग के अनुसार शाम 06 : 52 मिनट होगा। जबकि पूर्णिमा तिथि 08 अगस्त 2025 को दोपहर 02 बज कर 12 मिनट से शुरू होकर – 09 अगस्त 2025 को- रात्रि 01: 24 मिनट पर समाप्त होगी। सावनी पूर्णिमा पर विशेष फल प्राप्ति हेतु चंद्रमा को अर्घ्य जरूर दें । पूर्णिमा के दिन चंद्र अर्घ्य का समय, चंद्रोदय के बाद होता है। विशेष यह की श्रावण पूर्णिमा के अत्यंत शुभयोग सर्वार्थ सिद्धि योग का समय सुबह 5 बजकर 47 मिनट से 02 बजकर 23 मिनट शाम तक होगा।

क्यों मनाते हैं श्रावण पूर्णिमा ?
श्रावण पूर्णिमा को धार्मिक और पौराणिक दृष्टि से अत्यंत शुभ माना जाता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, इसी दिन भगवान विष्णु ने हयग्रीव अवतार लेकर हयग्रीव नामक दैत्य का संहार किया था और वेदों की रक्षा की थी। यह दिन भगवान शिव की उपासना के लिए भी विशेष माना जाता है, क्योंकि श्रावण मास शिवभक्ति का सर्वोत्तम समय होता है। इस दिन को मनाने के पीछे उद्देश्य होता है की देवताओं की कृपा प्राप्त करना, चंद्रदोष से मुक्ति पाना और आध्यात्मिक शुद्धि करना।

श्रावण पूर्णिमा का महत्व – श्रावण पूर्णिमा न केवल पौराणिक घटनाओं से जुड़ी है, बल्कि यह व्रत, तप और दान के लिए भी अत्यंत फलदायक माना जाता है। इस दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा करने से धन, वैभव और समृद्धि का आशीर्वाद प्राप्त होता है। चंद्रमा की पूजा करने से मानसिक शांति और चंद्र दोष से मुक्ति मिलती है। महादेव के रुद्राभिषेक का विशेष महत्व होता है जिससे भक्तों को पापों से मुक्ति और इच्छित फल की प्राप्ति होती है। महिलाओं द्वारा इस दिन व्रत करने से वैवाहिक जीवन में सुख-शांति और संतान सौभाग्य की प्राप्ति होती है।

श्रावण पूर्णिमा के दिन किसकी पूजा होती है ?
श्रावण पूर्णिमा के दिन प्रमुख रूप से निम्न देवताओं की पूजा की जाती है

श्रावण पूर्णिमा व्रत की पूजा कैसे करें – ब्रह्म मुहूर्त में उठें और स्नान करके स्वच्छ, सफेद या पीले वस्त्र धारण करें।घर या मंदिर में दीप जलाकर पूजा का संकल्प लें। सूर्यदेव को जल अर्पित करें और “ॐ सूर्याय नमः” मंत्र का जाप करें।

शिवलिंग का अभिषेक – नजदीकी शिव मंदिर जाएं या घर में शिवलिंग पर गंगाजल और दूध से अभिषेक करें।
अभिषेक के बाद चंदन, पुष्प, बेलपत्र, धतूरा, घी और दूध अर्पित करें।

भगवान शिव को अर्पण की जाने वाली सामग्री – भांग, केसर, अक्षत (चावल), भस्म ,शमी के पत्ते, इत्र, गन्ने का रस, पान का पत्ता,लौंग, इलायची, फल, कपूर, धूप, दीप, कनेर के फूल। शिव जी की आरती करें और शिव चालीसा का पाठ करें। अंत में भगवान शिव को खीर का भोग अर्पित करें। इस दिन भगवान शिव के मस्तक पर स्थित चंद्रमा की भी पूजा करना अत्यंत शुभ माना गया है। चंद्र पूजन के लिए गंगाजल, दूध, रोली और चावल मिलाकर चंद्रमा को अर्घ्य दें। पूजा के अंत में भगवान से आशीर्वाद प्राप्त करें और सभी को प्रसाद वितरित करें। मन, वचन और कर्म से भगवान शिव का स्मरण करें,इस दिन विधिवत पूजा से अच्छी सेहत, सौभाग्य और समृद्धि की प्राप्ति होती है। चंद्र अर्घ्य से चंद्र दोष का निवारण होता है।

श्रावण पूर्णिमा के दिन किए जाने वाले धार्मिक उपाय
शिवलिंग का रुद्राभिषेक करें – गंगाजल, दूध, शहद और शुद्ध जल से रुद्राभिषेक कर ‘ॐ नमः शिवाय’ का जाप करें।
चंद्रमा को अर्घ्य दें – रात्रि में चंद्र दर्शन कर गंगाजल, दूध, रोली व चावल मिलाकर अर्घ्य देने से चंद्रदोष दूर होता है।
विष्णु-लक्ष्मी की पूजा करें – भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी का पूजन कर धन, सुख और सौभाग्य की कामना करें।
राखी बांधें और रक्षा का संकल्प लें – बहनें भाइयों को राखी बांधकर उनकी लंबी उम्र की प्रार्थना करती हैं। भाई बहनों की रक्षा का वचन देते हैं।
दान-पुण्य करें – ब्राह्मणों को अन्न, वस्त्र, गौ-दान, तांबे के पात्र आदि का दान करने से पुण्य फल की प्राप्ति होती है।
जप और ध्यान करें – इस दिन महामृत्युंजय मंत्र, विष्णु सहस्त्रनाम, शिव चालीसा या विष्णु चालीसा का पाठ करें।
व्रत रखें और एक समय फलाहार लें – व्रत का पालन करने से मन स्थिर होता है और साधना में प्रगति होती है।

स्नान-दान पूर्णिमा के दिन सेवा से बढ़ाएं पुण्य – श्रावण पूर्णिमा के दिन किसी पवित्र नदी, सरोवर या घर पर गंगाजल युक्त जल से स्नान करें। इसके पश्चात अपनी सामर्थ्य अनुसार – गरीबों को वस्त्र, अन्न या दक्षिणा का दान करें । जैसे गाय को हरा चारा,चींटियों को आटा,मछलियों को आटे की गोलियां डालें , ऐंसा करना आपके जीवन में शुभता और पुण्य लाते हैं।

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