When is a person’s fate written?: आप सभी ने कभी ना कभी सुना होगा या बोला होगा ये तो हमारे भाग्य में लिखा है. लेकिन ये भाग्य कब लिखा जाता है क्या अपने कभी इसके बारे में सोचा है, व्यक्ति का अच्छा बुरा सब कुछ पहले ही भाग्य में लिखा जा चूका है. भाग्य की ये स्क्रिप्ट आखिर कैसे और कब लिखी गयी होगी? जो व्यक्ति लिखी गए भाग्य से संतुष्ट न हो क्या वो अपना भाग्य बदल सकता है? इन सरे सवालों के जवाब आज हम इस लेख के माध्यम से जानेंगे।
व्यक्ति का भाग्य कब लिखा जाता है?
माना जाता है की, भाग्य कर्म सिद्धांत, ज्योतिष शास्त्र और अध्यात्म के अनुसार लिखे जाते हैं.
कर्म सिद्धांत के अनुसार भाग्य भाग्य कैसे लिखा जाता है?
How is destiny written according to the theory of karma?: जब जीव का जन्म होता है, तो उसके पिछले जन्म के अनुसार ही उसके नए जन्म का भाग्य निर्धारित किया जाता है. और इस जन्म में आपके कर्म जैसे होंगे उसी के आधार पर आपके अगले जन्म का भाग्य लिखा जायेगा। इसी लिए कहते हैं की व्यक्ति को अपने जीवन में सदैव अच्छे कर्म करने चाहिए, क्युकी अच्छे कर्मों का फल इस जन्म के साथ साथ आपके अगले जन्म में भी मिलता है.
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार भाग्य कैसे लिखा जाता है?
How is fate written according to astrology?: अपने अक्सर देखा होगा जैसे ही घर में किसी बच्चे का जन्म होता है, तो बड़े बुजुर्ग पत्रिका के या फिर पंडितों और ज्योतिषों से जन्म का नक्षत्र और तिथि पूछती हैं, क्युकी नक्षत्र और ग्रहों से व्यक्ति का भाग्य/भविष्य निर्धारित होता है. जन्म की तिथि, नक्षत्र, गृह, समय व्यक्ति का भविष्य तय करता है. इनसे व्यक्ति के स्वाभाव, गुणों और जीवन में मिलने वाली कामयाबी का अनुमान ज्योतिषशास्त्र के अनुसार लगाया जाता है.
अध्यात्म के अनुसार भाग्य भाग्य कैसे लिखा जाता है?
How is destiny written according to spirituality?: भाग्य के लिखे जाने का ये वो आधार है जो लॉजिकली सही माना जाता है. हालांकि इसे भी ईश्वर से जोड़ा जाता है जिसके अनुसार ईश्वर ने व्यक्ति को एक परिश्थिति के साथ मृत्युलोक में भेजा है. अब व्यक्ति ही तय करेगा की वो उस परिश्थिति को कैसे संभालता है या उसे ही अपना भाग्य समझ कर अपना लेना है. यदि कोई व्यक्ति गरीब है तो वो मेहनत और ईमादारी से वह एक दिन अमीर हो सकता है. और अगर कोई व्यक्ति बचपन से ही अमीर है तो वह आलास और लालच के साथ एक दिन गरीब भी हो सकता है. इसका मतलब व्यक्ति खुद अपना भाग्य अपने हांथों से लिखता है.
व्यक्ति कैसे बदले अपना भाग्य?
- व्यक्ति ये सोच के चले की उसे अपना भाग्य स्वयं लिखना है इस लिए हमेशा अच्छे कर्म ही करे।
- मैडिटेशन जो आपके दिमाग को शांत और एकाग्र रखेगा और सही निर्णय लेने में सहायक होगा।
- जितना हो सके पढाई करें और हर क्षेत्र का ज्ञान प्राप्त करें, इससे समाज में आपकी एक असकरात्मक छवि बनेगी और जीवन में आपको किसी भी चीज़ की अधूरी जानकारी नहीं होगी।
- यदि ज्योतिषशास्त्र को मानते है तो ग्रहों की शांति और उनकी अपने ऊपर सकारात्मक दृष्टि बनाने के लिए पूजा पाठ/ हवन जाप अवश्य करें।
- दुनिया की बेतुखी बातें और तानों पर ध्यान न देते हुए मेहनत करे और अपनी कामयाबी से उनका मुँह बंद करवा दें क्युकी भगवन भी उनकी ही सहायता करता है जो खुद की सहायता करता है।