What if Pakistan destroyed the Kishanganga dam: भारत और पाकिस्तान (India Pakistan Indus Water Conflict) के बीच तनाव उस समय अभूतपूर्व स्तर पर पहुँच गया, जब भारत ने पहलगाम में हुए आतंकी हमले (Pahalgam Terror Attack) में 26 लोगों की मौत के बाद 1960 की सिंधु जल संधि (Indus Waters Treaty Suspend) को निलंबित करने की घोषणा की। विदेश सचिव विक्रम मिस्री (Vikram Misri) ने 23 अप्रैल को इस कदम की पुष्टि की, जिसका मकसद पाकिस्तान की जल आपूर्ति (Water Supply) को रोककर उसकी अर्थव्यवस्था और बुनियादी ढांचे पर दबाव डालना है। जवाब में, पाकिस्तान ने धमकी दी है कि वह जम्मू-कश्मीर में किशनगंगा बांध (Kishanganga Dam) को नष्ट कर देगा। भारतीय सोशल मीडिया पर दावे किए जा रहे हैं कि ऐसा होने पर “पूरा पाकिस्तान डूब जाएगा” (Pakistan Flooding), जिससे दोनों देशों के बीच तनाव और बढ़ गया है।
सिंधु जल संधि निलंबन का पाकिस्तान पर प्रभाव
Impact of Indus Water Treaty suspension on Pakistan: सिंधु जल संधि (Indus Waters Treaty) के तहत भारत को तीन पूर्वी नदियों (Eastern Rivers: रावी, ब्यास, सतलुज) और पाकिस्तान को तीन पश्चिमी नदियों (Western Rivers: सिंधु, झेलम, चिनाब) का नियंत्रण मिला है। पाकिस्तान को सिंधु नदी प्रणाली (Indus River System) का 80% पानी मिलता है, जो उसकी 21 करोड़ आबादी, 1.6 करोड़ हेक्टेयर कृषि भूमि (Agricultural Land), और जलविद्युत परियोजनाओं (Hydropower Projects) के लिए महत्वपूर्ण है। यदि भारत पश्चिमी नदियों का पानी रोकता है, तो:
- कृषि संकट (Agricultural Crisis In Pakistan): पंजाब और सिंध प्रांत, जो पाकिस्तान के 21% जीडीपी (GDP) और 45% रोजगार का आधार हैं, में फसलें नष्ट हो सकती हैं, जिससे खाद्य असुरक्षा और आर्थिक संकट बढ़ेगा।
- ऊर्जा संकट (Energy Crisis In Pakistan): नीलम-झेलम और अन्य जलविद्युत परियोजनाएँ (Hydropower Projects In Pakistan) ठप हो सकती हैं, जिससे बड़े शहरों में बिजली कटौती होगी।
- पानी की कमी (Water Scarcity In Pakistan): सतही जल कम होने से भूजल का अति-दोहन बढ़ेगा, जिससे पेयजल संकट (Drinking Water Crisis Pakistan) गहराएगा।
- सामाजिक अस्थिरता: ग्रामीण बेरोजगारी और खाद्य संकट से सामाजिक अशांति फैल सकती है।
हालांकि, भारत के लिए पानी पूरी तरह रोकना आसान नहीं है। किशनगंगा और बगलिहार जैसे बांध (Run-of-the-River Dams) मुख्य रूप से बिजली उत्पादन (Power Generation) के लिए हैं, न कि बड़े पैमाने पर पानी रोकने के लिए। फिर भी, शाहपुर कांडी जैसे प्रोजेक्ट (Shahpur Kandi Dam) पहले से ही रावी का पानी रोक रहे हैं, जिससे पाकिस्तान पर दबाव बढ़ रहा है। पाकिस्तानी नेताओं ने इसे “युद्ध की कार्रवाई” (Act of War) करार देते हुए संयुक्त राष्ट्र महासचिव (UN Secretary-General) को सूचित करने की बात कही है।
पाकिस्तान किशनगंगा बांध पर हमला करे तो क्या होगा?
(Consequences of Kishanganga Dam Attack)
What will happen if Pakistan attacks Kishanganga Dam: किशनगंगा जलविद्युत संयंत्र (Kishanganga Hydroelectric Plant), जो झेलम नदी की सहायक नदी पर बना है, 330 मेगावाट बिजली पैदा करता है और 2018 से चालू है। पाकिस्तान का दावा है कि यह बांध नीलम-झेलम परियोजना (Neelum-Jhelum Project) के लिए पानी कम करता है। यदि पाकिस्तान इसे नष्ट करता है:
- पाकिस्तान में बाढ़ (Flooding in Pakistan): बांध का जलाशय (Reservoir) केवल 17.7 मिलियन क्यूबिक मीटर पानी रखता है, जो सिंधु प्रणाली के कुल प्रवाह (Total River Flow) का 0.5% से कम है। इसे तोड़ने से मुजफ्फराबाद और पाकिस्तान प्रशासित कश्मीर में स्थानीय बाढ़ (Localized Flooding) आ सकती है, जिसमें घर, खेत, और बुनियादी ढांचे (Infrastructure) को नुकसान होगा। हालांकि, “पूरा पाकिस्तान डूबने” (Catastrophic Flooding) का दावा अतिशयोक्तिपूर्ण है, क्योंकि यह बांध विशाल जलाशयों (Large Reservoirs) जैसे थ्री गॉर्जेस (Three Gorges Dam) की तरह नहीं है।
- भारत पर प्रभाव (Impact on India): बांध भारत प्रशासित जम्मू-कश्मीर में है, और इसका पानी मुख्य रूप से पाकिस्तान की ओर बहता है। इसलिए, भारत में बाढ़ का खतरा न्यूनतम है। हालांकि, भारत को नुकसान होगा:
- आर्थिक हानि (Economic Loss): 50 करोड़ डॉलर की परियोजना (Infrastructure Cost) नष्ट होगी।
- ऊर्जा हानि (Power Loss): 330 मेगावाट बिजली उत्पादन (Power Generation) रुक जाएगा।
- पर्यावरणीय क्षति (Environmental Damage): मलबा और तलछट (Debris and Sediment) से नदी का पारिस्थितिकी तंत्र (Ecosystem) प्रभावित होगा।
- तुलनात्मक प्रभाव (Comparative Impact): पाकिस्तान को बाढ़ (Flooding) और जल आपूर्ति (Water Supply) में कमी से तत्काल नुकसान होगा, क्योंकि वह नदी के निचले हिस्से (Downstream) में है। भारत का नुकसान आर्थिक और रणनीतिक (Strategic Loss) होगा, लेकिन मानवीय और पर्यावरणीय प्रभाव (Humanitarian and Environmental Impact) कम होगा।
- युद्ध का जोखिम (Risk of War): ऐसा हमला भारत-पाकिस्तान के बीच पूर्ण युद्ध (Full-Scale War) को भड़का सकता है, जिसमें भारत जवाबी कार्रवाई (Retaliatory Strikes) कर सकता है।
क्या युद्ध में बांध तोड़ना वैध है? (Legality of Dam Attacks During War)
अंतरराष्ट्रीय मानवीय कानून (International Humanitarian Law) के तहत, जिनेवा संधि (Geneva Conventions, Additional Protocol I, 1977) बांध जैसे नागरिक ढांचों (Civilian Infrastructure) को निशाना बनाने पर रोक लगाती है, जब तक कि वे सैन्य उद्देश्यों (Military Objectives) के लिए इस्तेमाल न हों। किशनगंगा बांध को नष्ट करना युद्ध अपराध (War Crime) माना जा सकता है, क्योंकि इससे नागरिकों को भारी नुकसान (Civilian Harm) हो सकता है। हालांकि, ऐतिहासिक उदाहरण, जैसे द्वितीय विश्व युद्ध में जर्मन बांधों पर हमले (WWII Dam Attacks), दिखाते हैं कि युद्ध में ऐसी कार्रवाइयाँ होती रही हैं। पाकिस्तान के पास हवाई हमले (Airstrikes) की क्षमता है, लेकिन भारत की वायु रक्षा (Air Defense) और जवाबी कार्रवाई (Retaliation) का जोखिम इसे खतरनाक बनाता है।
यदि पाकिस्तान किशनगंगा बांध पर हमला करेगा तो भारत क्या करेगा?
What will India do if Pakistan attacks Kishanganga Dam?
- सुरक्षा परिषद (UN Security Council): भारत पाकिस्तान पर प्रतिबंध (Sanctions) या मुआवजे की मांग कर सकता है। परिषद शांति मिशन या निगरानी की घोषणा कर सकती है। लेकिन चीन जैसे पाकिस्तान के सहयोगी वीटो (Veto) का इस्तेमाल कर कार्रवाई रोक सकते हैं।
- अंतरराष्ट्रीय न्यायालय: भारत नुकसान के लिए मुआवजा और कानून उल्लंघन (Violation of IHL) का मामला दायर कर सकता है। लेकिन ICJ के फैसले धीमे हैं और लागू करवाना मुश्किल है।
- अंतरराष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय (International Criminal Court): यदि हमला युद्ध अपराध (War Crime) माना जाता है, तो ICC जाँच कर सकता है। लेकिन भारत और पाकिस्तान ICC के सदस्य नहीं हैं, जिससे कार्रवाई सीमित होगी।
- महासभा: भारत निंदा प्रस्ताव (Condemnation Resolution) ला सकता है, जो प्रतीकात्मक लेकिन नैतिक रूप से प्रभावी होगा।