50% आरक्षण का दायरा खत्म करने के लिए क्या करना पड़ेगा: कांग्रेस नेता राहुल गांधी (Rahul Gandhi) ने कई मौकों पर स्पष्ट कहा है कि अगर उनकी पार्टी सत्ता में आती है, तो आरक्षण की 50% सीमा को हटा दिया जाएगा (How 50% reservation limit can be removed)। यह वादा अनुसूचित जाति (SC), अनुसूचित जनजाति (ST) और अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) के लिए शिक्षा, नौकरियों और संस्थानों में आरक्षण को बढ़ाने के लिए है। हाल ही में बिहार 2025 में कांग्रेस सत्र में उन्होंने कहा, “यह 50% की दीवार तोड़ देंगे।” लेकिन यह बदलाव लागू करने के लिए क्या कदम उठाने पड़ेंगे? आइए समझते हैं।
राहुल गांधी ने 2024 लोकसभा चुनाव के दौरान रतलाम (मध्य प्रदेश) में रैली में घोषणा की: “हम 50% कैप हटाएंगे और गरीबों, पिछड़ों, दलितों व आदिवासियों को जरूरत जितना आरक्षण देंगे।” सितंबर 2024 में अमेरिका दौरे पर विवादास्पद बयान के बाद उन्होंने स्पष्ट किया, “हम आरक्षण को 50% से आगे ले जाएंगे।” नवंबर 2024 में झारखंड में उन्होंने कहा कि इंडिया गठबंधन ST आरक्षण को 26% से 28%, SC को 10% से 12% और OBC को 14% से 27% तक बढ़ाएगा। अप्रैल 2025 में तेलंगाना मॉडल का हवाला देते हुए उन्होंने वादा दोहराया कि पूरे देश में जातिगत जनगणना के बाद यह लागू होगा और अब राहुल गांधी बिहार की जनता को इसी दावे के साथ गुमराह कर रहे हैं.
यह दावा सुप्रीम कोर्ट के 1992 के इंदिरा साहनी मामले के फैसले पर चुनौती है, जिसमें आरक्षण को 50% तक सीमित रखा गया था। राहुल का तर्क है कि वर्तमान व्यवस्था में OBC, दलित और आदिवासी (90% आबादी) संस्थानों में कम प्रतिनिधित्व रखते हैं, इसलिए जातिगत जनगणना जरूरी है।
50% आरक्षण की सीमा बढ़ाने के लिए क्या करना पड़ेगा?
What needs to be done to increase the reservation limit to 50%: भारतीय संविधान के अनुच्छेद 15(4), 16(4) और 335 के तहत आरक्षण संभव है, लेकिन सुप्रीम कोर्ट की सीमा को पार करने के लिए संवैधानिक संशोधन या अदालती हस्तक्षेप जरूरी है।
केंद्र में सत्ता हासिल करना (Gain Central Power): कांग्रेस या इंडिया गठबंधन को लोकसभा में बहुमत चाहिए। बिना सरकार के कोई बदलाव संभव नहीं। राहुल ने कहा है कि यह चुनाव संविधान बचाने का है।
जातिगत जनगणना कराना (Caste Census): पहले डेटा इकट्ठा करना जरूरी। 2025 में कांग्रेस ने वादा किया कि तेलंगाना जैसी जनगणना देशव्यापी होगी। यह आंकड़े दिखाएंगे कि वर्तमान आरक्षण अपर्याप्त क्यों है। जनगणना बिना सुप्रीम कोर्ट के समर्थन के मुश्किल, लेकिन विधायी समर्थन से संभव।
संवैधानिक संशोधन विधेयक लाना
- लोकसभा में जहां 2/3 बहुमत (लगभग 362 वोट) चाहिए।
- राज्यसभा में भी 2/3 बहुमत।
- कम से कम आधे राज्यों (14) की विधानसभाओं से अनुमोदन।
- राष्ट्रपति की मंजूरी। यह प्रक्रिया अनुच्छेद 368 के तहत है।
सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देना (Challenge in Supreme Court): संशोधन के बाद अदालत में याचिका दायर करना होगा। तर्क देना पड़ेगा कि असाधारण परिस्थितियों (जैसे आबादी असंतुलन) में 50% सीमा हटाई जा सकती है। तमिलनाडु (69% आरक्षण) और महाराष्ट्र जैसे राज्य पहले ऐसा कर चुके हैं, लेकिन केंद्र स्तर पर बड़ा बदलाव होगा।
कांग्रेस के लिए यह नामुमकिन क्यों?
सबसे बड़ी चुनौती कांग्रेस और INDI दल के लिए 2029 का चुनाव जीतना है. देश में बीजेपी और NDA की मजबूत पकड़ है. एक बार मान भी लिया जाए कि कांग्रेस चुनाव जीत भी जाती है तो 362 कैसे जीत सकती है ? कांग्रेस और इंडि दल के लिए 362 सड़े ज्यादा सीटें जीतना सपने जैसा है. आखिरी बार 1984 के चुनाव में कांग्रेस एन्ड कम्पनी ने 414 सीटें जीती थीं. इसके बाद कांग्रेस ने 250 सीटें भी नहीं जीतीं। पिछले तीन चुनावों में कांग्रेस ने 44, 52 और 99 सीटें जीती हैं.
एक बार मान भी लिया जाए कि कांग्रेस को 362 मिल जाती हैं लेकिन राज्यसभा में भी 2/3 बहुमत चाहिए और इसके अलावा 14 राज्यों की विधानसभा में अनुमोदन कराना पड़ेगा फिर राष्ट्रपति से अनुमोदन चाहिए। अब सारे समीकरण जब कांग्रेस के पक्ष में होंगे तभी राहुल गांधी 50% आरक्षण का दायरा तोड़ सकते हैं. और अगले चुनाव तक ऐसा हो जाए यह मुमकिन नहीं है.