Aatm Manthan /Introspection : दिल में एक चिंगारी का सुलगना ज़रूरी है जो वक़्त पड़ने पर शोला बन जाए, हमें गर्माहट दे ,हमें तपाए ,हमें नींद से जगाए और हौसला भी दे मुश्किल रास्तों पे चलने का क्योंकि हर दफा पानी की तरह शीतल रहने ,वक़्त के बहाव में बह जाने से काम नहीं चलता कभी-कभी इस बहाव की विपरीत दिशा का मुश्किल सफर भी तय करना ज़रूरी होता है। वो इसलिए कि सोना भी तप कर ही कुंदन बनता है। ज़िंदगी जितनी आसानी से गुज़रेगी उतना ही हमें कमतर बनाएगी और जितनी मुश्किलों में गुज़रेगी हमें उतना ही बेहतर बनाएगी।
क्या कहते हैं महापुरुष :-
स्वामी विवेकानंद का भी कहना है कि यदि आपके मार्ग में कोई बाधा न आए तो आप समझ सकते हैं कि आप ग़लत मार्ग पर हैं “इसका मतलब है कि यदि आप सही राह पर हैं तो मुश्किलें आएंगी ही तो मुश्किलों से क्या डरना यही तो हमें निखारती हैं संवारती हैं और एक दिन ऐसी संतुष्टि भी देती हैं जिसके आगे हर दुःख छोटा लगता है। स्वामी जी ने ये भी कहा है कि आपका संघर्ष जितना बड़ा होगा जीत उतनी ही बड़ी और शानदार होगी।
तड़प ही तय करती है कामियाबी का पैमाना :-
हम कामियाबी तो चाहते हैं लेकिन उसे पाने की चाह में उस आग में जलना नहीं चाहते जो हमें झुलसा दे इसलिए कई बार हमें वो कामियाबी नहीं मिलती जो हम चाहते हैं। यूँ तो चाहतें हर किसी के दिल में होती हैं लेकिन कोई उन्हें आसानी से पा लेता है तो कोई बमुश्किल और कोई उसे पा ही नहीं पाता लेकिन हम किस अंजाम तक पहुँचते है ये हमारी तड़प ही तय करती है। वो तड़प जो हमें कभी-कभी इतना दर्द देती है कि हम बेबसी और लाचारी में आँसू बहाने को भी मजबूर हो जाते हैं इसलिए हर हाल में इन रास्तों पर चलते हुए अपनी तड़प अपनी बेचैनी को महसूस करें और उसे ही अपनी ताक़त बनाए यक़ीन भी उसी पे रखें कि हम आज रो रहे हैं तो कल हँसेंगे ज़रूर। ग़ौर करियेगा इस बात पर ,फिर मिलेंगे आत्म मंथन की अगली कड़ी में धन्यवाद।
