Israel White Phosphorus HRW: सोशल मीडिया में Israel-Hamas War का एक वीडियो वायरल है जिसमे इजराइल की वायुसेना हमास के आतंकी ठिकानों में सफ़ेद रंग का पाउडर छिड़कते देखा जा सकता है. ह्यूमन राइट्स वॉच (Human Rights Watch) का आरोप है कि ये सफ़ेद चीज़ चमड़ी उधेड़ देने वाला ‘White Phosphorus’ है
अंतराष्ट्रीय मानवाधिकार संगठनों ने Israel-Hamas War के बीच इजराइल पर बड़ा गंभीर आरोप लगाया है. Human Rights Watch का कहना है कि इजराइल,गाजा और लेबनान की आबादी वाले इलाके में पर वाइट फॉस्फोरस (White Phosphorus) छिड़क रहा है. हालांकि इजराइली सरकार ने इन आरोपों को गलत बताया है. लेकिन एमनेस्टी इंटरनेशनल (Amnesty International) ने भी इजराइल पर यही आरोप लगाए हैं.
Amnesty International ने X में में पोस्ट करते हुए कहा-
एमनेस्टी की क्राइसिस एविडेंस लैब ने पड़ताल की है कि गाजा पर हमले के दौरान इजराइली सैन्य यूनिट वाइट फॉस्फोरस का इस्तेमाल कर रही है. हम इसकी जांच कर रहे हैं. जो गाजा में White Phosphorus के इस्तेमाल जैसा लगता है. इसमें Gaza City के एक होटल के पास भी हुआ हमला शामिल है.
वहीं HRW का कहना है कि इजराइल ने गाजा और लेबनान में अपने सैन्य अभियानों में वाइट फॉस्फोरस का इस्तेमाल किया है जो आम आबादी के लिए गंभीर खतरा है. HRW का आरोप है कि इजराइली सेना के 10 और 11 अक्टूबर को जारी हुए वीडियो में लेबनान और गाजा में दो ग्रामीण इलाकों पर तोपखाने से दागे गए वाइट फॉस्फोरस के इस्तेमाल को देखा है.
वाइट फॉस्फोरस क्या है?
वाइट फॉस्फोरस एक ज्वलनशील केमिकल होता है लेकिन इसे मुख्य रूप से आग लगाने वाला हथियार नहीं माना जाता। इसका इस्तेमाल सिर्फ तेज रौशनी करने और सिग्नल देने के लिए किया जाता था. लेकिन इजराइल और अन्य देशों द्वारा इसे बतौर हथियार के रूप में इस्तेमाल किया जाने लगा.
वाइट फॉस्फोरस जिस व्यक्ति के शरीर में पड़ता है उसे तेज जलन होती है. ज्यादा मात्रा में पड़ने पर चमड़ी सहित हड्डियां भी जल जाती हैं. अगर जान बच गई तो ज़िंदगीभर के लिए शख्स अपाहिज हो जाता है. आंखों में पड़ने पर रौशनी चली जाती है. आबादी वाले इलाके में वाइट फॉस्फोरस डाल कर उसमे चिंगारी जला कर पूरे इलाके को जलाया जा सकता है.
वाइट फॉस्फोरस का इस्तेमाल जंग में क्यों नहीं हो सकता?
एक कहावत है ‘इश्क़ और जंग में सब जायज है’ लेकिन ये कहावत सिर्फ कहने के लिए है. असली ज़िन्दगी में ऐसा कुछ नहीं होता। जंग के भी अपने नियम कायदे होते हैं जिनका पालन करना पड़ता है.
HRW का कहना है कि इजराइल ने 2009 में भी गाजा पर वाइट फॉस्फोरस का इस्तेमाल कर बड़े पैमाने पर बमबारी की थी. इसके बाद 2013 में इजराइली सेना ने हाईकोर्ट में एक याचिका के बाद कहा भी था कि वे असाधारण परिस्थितियों को छोड़कर आबादी वाले क्षेत्रों में कभी इसका इस्तेमाल नहीं करेगी।
दरअसल 1980 में यूनाइटेड नेशन में Certain Conventional Weapons (CCW) का कन्वेशन हुआ था. इसके प्रोटोकाल III के अनुसार। कोई भी देश युद्ध के दौरान हवा के रस्ते नागरिकों पर आग लगाने वाले हथियारों का इस्तेमाल नहीं कर सकता। लेकिन इस प्रोटोकॉल में जमीन से आग लगाने वाले हथियारों को छूट दी गई है. प्रोटोकॉल III में वाइट फॉस्फोरस को भी मुख्य रूप से आग लगाने वाला हथियार नहीं माना गया है. बता दें कि इसराइल इस Protocol III को समर्थन देने वाले देशों में नहीं है जबकि फिलिस्तीन, लेबनान ने इसे समर्थन दिया है.