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Shimla Agreement 1971 : इंदिरा-भुट्टो के बीच 53 साल पहले हुआ शिमला समझौता क्या है, जिसे खत्म कर सकता है पाकिस्तान

Shimla Agreement 1971 : पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव चरम पर पहुंच गया है। हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ पांच बड़े कदम उठाए हैं। इनमें सिंधु जल संधि को निलंबित करना, अटारी-वाघा सीमा को बंद करना और पाकिस्तानी दूतावास से सैन्य अधिकारियों को वापस भेजना शामिल है। इसके बाद पाकिस्तान ने 1972 के शिमला समझौते से भी हटने का फैसला किया है। पाकिस्तान ने भारत के साथ शिमला समझौता तोड़ दिया है।

शिमला समझौते का ऐतिहासिक महत्व। Shimla Agreement 1971

1972 के शिमला समझौते ने भारत और पाकिस्तान के बीच किसी भी विवाद को द्विपक्षीय वार्ता के जरिए सुलझाने की नींव रखी। यह समझौता 1971 के युद्ध के बाद किया गया था, जब भारत ने 90,000 पाकिस्तानी सैनिकों को बंदी बना लिया था। इस समझौते का खत्म होना दोनों देशों के बीच लंबे समय से चली आ रही बातचीत की रूपरेखा को तोड़ने जैसा है।

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भारत ने राजनयिक निष्कासन के जरिए चेतावनी दी।

भारत ने पाकिस्तान के वरिष्ठ राजनयिक साद अहमद वराइच को ‘अवांछित व्यक्ति’ घोषित कर एक सप्ताह के भीतर देश छोड़ने का निर्देश दिया है। यह कदम पहलगाम हमले के बाद दोनों देशों के बीच पैदा हुए तनाव का हिस्सा है। भारत ने पाकिस्तान सरकार के एक्स (पूर्व ट्विटर) अकाउंट को देश में प्रतिबंधित कर दिया है। वहीं, अमेरिकी विदेश विभाग ने अपने नागरिकों को जम्मू-कश्मीर की यात्रा से बचने की सलाह जारी की है।

पाकिस्तान ने लड़ाकू विमान तैनात किए | Shimla Agreement 1971

पाकिस्तान ने 24-25 अप्रैल को अपने विशेष आर्थिक क्षेत्र (ईईजेड) में सतह से सतह पर मार करने वाली मिसाइल के परीक्षण के लिए अधिसूचना जारी की है। इसके साथ ही कराची एयरबेस से 18 लड़ाकू विमानों को भारत सीमा के करीब एयरबेस पर तैनात किया गया है। यह सैन्य गतिविधि इस बात का स्पष्ट संकेत है कि पाकिस्तान संभावित सैन्य प्रतिक्रिया के लिए तैयार रहना चाहता है।

शिमला समझौते से जुड़े कुछ महत्वपूर्ण बिंदु | Shimla Agreement 1971

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