Chaitra Navratri 2024: चैत्र नवरात्रि की शुरुआत 9 अप्रैल से शुरू हो चुकी है. नवरात्रि के पहले दिन माता शैलपुत्री की पूजा की जाती है. पर्वतराज हिमालय की पुत्री होने के कारण इन्हें शैलपुत्री कहा जाता है. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, पूर्वजन्म में शैलपुत्री का नाम सती था और ये भगवान शिव की पत्नी थीं.
Chaitra Navratri 2024, Mata Shailputri: चैत्र नवरात्रि की शुरुआत 9 अप्रैल से शुरू हो गई है. नवरात्रि में पहले दिन देवी शैलपुत्री स्वरुप की उपासना की जाती है। पर्वतराज हिमालय की पुत्री होने के कारण इन्हें शैलपुत्री कहा जाता है. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, पूर्वजन्म में शैलपुत्री का नाम सती था और ये भगवान शिव को पत्नी थीं. सती के पिता दक्ष प्रजापति ने भगवान शिव का अपमान कर दिया था और तब सती ने अपने आपको यज्ञ अग्नि में भस्म कर लिया था. अगले जन्म में यही सती शैलपुत्री स्वरुप में प्रकट हुईं और भगवान शिव से फिर विवाह किया।
कैसे की जानी चाहिए मां शैलपुत्री की पूजा?
मां शैलपुत्री के विग्रह या चित्र को लकड़ी के पटरे पर लाल या सफ़ेद वस्त्र बिछाकर स्थापित करें। मां शैलपुत्री को सफ़ेद वस्तु अति प्रिय है, इसलिए मां शैलपुत्री को सफ़ेद वस्त्र या सफेद फूल अर्पित करें और सफ़ेद बर्फी का भोग लगाएं। एक साबुत पान के पत्ते पर 27 फूलदार लौंग रखें। मां शैलपुत्री के सामने घी का दीपक जलाएं और एक सफ़ेद आसन पर उत्तर दिशा में मुंह करके बैठें। ॐ शैलपुत्रये नमः मंत्र का 108 बार जाप करें। जाप के बाद सारी लौंग को कलावे से बांधकर माला का स्वरुप दें. अपने मन की इच्छा बोलते हुए यह लौंग की माला मां शैलपुत्री को दोनों हाथों से अपर्ण करें। ऐसा करने से आपको हर कार्य में सफलता मिलेगी पारिवारिक कलह हमेशा के लिए खत्म होंगे।
क्या महत्व मां शैलपुत्री की पूजा का?
Mata Shailputri Ki Puja Ka Mahatwa: जीवन में समस्त कष्ट,क्लेश और नकारात्मक शक्तियों के नाश के लिए एक पान के पत्ते पर लौंग सुपारी मिश्री रखकर मां को अर्पण करें। मां शैलपुत्री की आराधना से मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है और कन्याओं को उत्तम वर मिलता है. नवरात्रि के प्रथम दिन उपासना में साधक अपने मन को मूलाधार चक्र में स्थित करते हैं. शैलपुत्री का पूजन से मूलाधार चक्र जागृत होता है और अनेक सिद्धियों की प्राप्ति होती है. मां शैलपुत्री की पूजा से आरोग्य की प्राप्ति होती है और बीमारियों से मुक्ति मिलती है.