बघेली यह भाषा भारत का हृदय कहे जाने वाले प्रदेश मध्य प्रदेश के उत्तर-पूर्वी हिस्से में बोली जाती है। यह भाषा मुख्यतः रीवा,(Rewa) सतना(Satna), सीधी(Sidhi), सिंगरौली(Singrauli), उमरिया(Umariya), शहडोल(Shahdol) और अनूपपुर(Anuppur) जिलों में ज्यादातर बोली जाती हैं। कुछ लोग इसे देहाती भाषा मानते हैं तो कुछ को ये प्यारी और शुद्ध भाषा लगती है. यह एक पूर्वी हिंदी उपभाषा है और यह लैंगुएज अवधी से बहुत अधिक मिलती-जुलती है। लेकिन क्या आपको पता है कि आखिर बघेली भाषा का इतिहास क्या है? अगर नहीं जानते तो हम बताते हैं।
बघेली भाषा का इस्तेमाल सबसे पहले किसने किया?
Who first used Bagheli language?: बघेली जो कि मध्यप्रदेश में बोली जाती है। प्राचीन इतिहास की अग्र बात करें तो बघेली भाषा का उद्गम अपभ्रंश भाषाओं से माना जाता है, जो पालि और संस्कृत से विकसित हुईं। बघेली और अवधि इस लिए मिलती जुलती हैं क्योंकि बघेली अवधी की एक स्थानीय बोली के रूप में उभरी जब मध्यप्रदेश में रीवा रियासत का गठन हुआ और वहां के बघेल राजाओं का शासन आया, तभी से उस समय की बोले जाने वाली भाषा को बघेली भाषा के नाम से जाना जाने लगा। जिसके बाद ये भाषा धीरे धीरे पूरे मध्यप्रदेश में फैलने लगी और धार्मिक ग्रंथों, लोकगीतों और भजन-कीर्तन में बघेली भाषा का उपयोग होने लगा, यही है इस प्यारी और सरल बोली का इतिहास।
बघेली भाषा को मिली मातृभाषा की उपाधि
Bagheli language got the title of mother tongue: 2001 की जनगणना में तक़रीबन 21 लोगों ने बघेली को मातृभाषा के रूप में स्वीकारा था. हालांकि इस भाषा को अब तक संविधान की अनुसूची में शामिल नहीं किया गया है लेकिन। इसे मातृभाषा मानने वाले लगाने की संख्या 30 लाख से भी अधिक हो गयी है. स्वतंत्र भारत में मध्यप्रदेश में बोली जाने वाली इस बोली को हिंदी की उपभाषा माना जाता है. धीरे धीरे बघेली भाषा टेलीविज़न की फिल्मों और गानो से प्रचलित हो रही है. और आज के समय में बघेली भाषा का पचलन बढ़ता जा रहा है. कुछ लोग इसे देहाती भाषा मानते हैं तो कुछ को ये प्यारी और शुद्ध भाषा लगती है.