क्या होता है विमान का ब्लैकबॉक्स ? जानें यह कैसे काम करता है

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Air India Plane Crash: 1953 में ऑस्ट्रेलियाई वैज्ञानिक डेविड वॉरेन ने कॉकपिट वॉयस रिकॉर्डर का विचार प्रस्तुत किया। उस समय वह दुनिया के पहले कमर्शियल जेट, कॉमेट, के हादसे की जांच में शामिल थे। वॉरेन ने महसूस किया कि कॉकपिट की आवाजें रिकॉर्ड करने से हादसों की जांच आसान हो सकती है।

Air India Plane Crash: 12 जून 2025 की दोपहर अहमदाबाद के सरदार वल्लभभाई पटेल अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे से उड़ान भरने के कुछ ही मिनटों बाद एयर इंडिया का बोइंग 787-8 ड्रीमलाइनर (फ्लाइट AI171) क्रैश हो गया, जिसमें 265 लोगों की जान चली गई। यह सवाल हर किसी के मन में है कि आखिर यह हादसा क्यों हुआ? जवाब शायद उस छोटे से उपकरण में छिपा है, जिसे ब्लैक बॉक्स कहते हैं।

ब्लैक बॉक्स की खोज: जांच को मिली रफ्तार

शुक्रवार शाम करीब 4 बजे क्रैश साइट पर बीजे मेडिकल कॉलेज के हॉस्टल की छत से ब्लैक बॉक्स बरामद किया गया। यह ब्लैक बॉक्स हादसे की वजहों को उजागर करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। आइए जानते हैं कि ब्लैक बॉक्स क्या है, यह कैसे काम करता है, और यह विमान हादसों में इतना महत्वपूर्ण क्यों है।

ब्लैक बॉक्स का इतिहास

1953 में ऑस्ट्रेलियाई वैज्ञानिक डेविड वॉरेन ने कॉकपिट वॉयस रिकॉर्डर का विचार प्रस्तुत किया। उस समय वह दुनिया के पहले कमर्शियल जेट, कॉमेट, के हादसे की जांच में शामिल थे। वॉरेन ने महसूस किया कि कॉकपिट की आवाजें रिकॉर्ड करने से हादसों की जांच आसान हो सकती है। 1956 में उन्होंने इसका प्रोटोटाइप तैयार किया, लेकिन इसे विश्व स्तर पर कमर्शियल उड़ानों में लागू होने में कई साल लगे।

दिलचस्प बात यह है कि वॉरेन के पिता की 1934 में ऑस्ट्रेलिया में एक विमान हादसे में मृत्यु हो गई थी, जिसने शायद उन्हें इस दिशा में काम करने के लिए प्रेरित किया।

ब्लैक बॉक्स क्या है और यह क्या करता है?

ब्लैक बॉक्स दो उपकरणों का समूह है। पहला कॉकपिट वॉयस रिकॉर्डर (CVR) और दूसरा फ्लाइट डेटा रिकॉर्डर (FDR)। कॉकपिट वॉयस रिकॉर्डर (CVR): यह रेडियो संचार, पायलटों की बातचीत, इंजन की आवाज, स्टाल चेतावनियां और अन्य ध्वनियों को रिकॉर्ड करता है। इन ध्वनियों से इंजन की गति, सिस्टम विफलताएं, और पायलटों की प्रतिक्रियाएं समझी जा सकती हैं। जांचकर्ता इसकी ट्रांसक्रिप्ट तैयार करते हैं, जिसमें एक सप्ताह तक लग सकता है।

फ्लाइट डेटा रिकॉर्डर (FDR): यह विमान की ऊंचाई, गति, दिशा, और 88 से 1,000 से अधिक मापदंडों को रिकॉर्ड करता है, जैसे विंग फ्लैप की स्थिति और स्मोक अलार्म। यह डेटा हादसे के पहले के हालात को समझने में मदद करता है और कंप्यूटर एनिमेशन के जरिए उड़ान का पुनर्निर्माण कर सकता है। FDR में 25 घंटे की जानकारी संग्रहीत होती है, जिसका प्रारंभिक विश्लेषण 24 घंटे में उपलब्ध हो सकता है।

ब्लैक बॉक्स वास्तव में काला नहीं होता

नाम के विपरीत, ब्लैक बॉक्स नारंगी रंग का होता है, ताकि इसे मलबे में आसानी से खोजा जा सके। यह टाइटेनियम या स्टेनलेस स्टील से बना होता है, जो आग, उच्च दबाव, और समुद्र की गहराई में भी सुरक्षित रहता है। इसे आमतौर पर विमान के पिछले हिस्से में रखा जाता है, क्योंकि यह हिस्सा हादसों में सबसे कम क्षतिग्रस्त होता है।

पानी में गिरने पर ब्लैक बॉक्स का बीकन सक्रिय हो जाता है, जो 14,000 फीट की गहराई से सिग्नल भेज सकता है। समुद्र से बरामद होने पर इसे नमक से साफ किया जाता है, सुखाया जाता है, और डेटा रिकवरी के लिए चिप्स की जांच की जाती है।

ब्लैक बॉक्स की विश्वसनीयता और सीमाएं

ब्लैक बॉक्स हादसों की जांच में अत्यंत विश्वसनीय है, लेकिन इसकी भी कुछ सीमाएं हैं। उदाहरण के लिए, 29 दिसंबर 2024 को जेजू एयर के हादसे में ब्लैक बॉक्स तो मिला, लेकिन उड़ान के आखिरी मिनटों का डेटा मिट चुका था। इसी तरह, 2014 में मलेशिया एयरलाइंस की फ्लाइट MH370 के मामले में ब्लैक बॉक्स के सिग्नल का पता नहीं चला।

अहमदाबाद हादसे की जांच

अहमदाबाद हादसे में ब्लैक बॉक्स की बरामदगी से एयरक्राफ्ट एक्सीडेंट इन्वेस्टिगेशन ब्यूरो (AAIB) और अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञों को कारणों का पता लगाने में मदद मिलेगी। प्रारंभिक जांच में इंजन विफलता या बर्ड स्ट्राइक जैसे कारकों पर विचार किया जा रहा है, लेकिन अंतिम निष्कर्ष में महीनों लग सकते हैं।

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