Ahmadabad plane Crash : जाने क्या है फ्लाइट के ब्लैक बॉक्स की कहानी?

Ahmadabad plane Crash : गुजरात के अहमदाबाद में दुर्घटनाग्रस्त हुए विमान का ब्लैक बॉक्स मिल गया है। इस विमान का डीवीआर और इमरजेंसी लोकेटर ट्रांसमीटर पहले ही मिल चुका है। हालांकि, इन दोनों डिवाइस में विमान दुर्घटना से जुड़ी तकनीकी जानकारी नहीं होती है। डीवीआर में सिर्फ वही घटनाएं रिकॉर्ड होती हैं, जिन्हें विमान में लगे कैमरे कैप्चर कर पाते हैं। वहीं, इमरजेंसी लोकेटर ट्रांसमीटर का काम सिर्फ विमान की लोकेशन बताना होता है। सारी तकनीकी जानकारी ब्लैक बॉक्स में ही होती है। आइए जानते हैं कि ब्लैक बॉक्स क्या होता है और यह कैसे काम करता है। दुर्घटना का असली कारण कैसे पता चलता है।

फ्लाइट में ब्लैक बॉक्स क्यों रखा जाता है? Ahmadabad plane Crash

ब्लैक बॉक्स को फ्लाइट रिकॉर्डर के नाम से जाना जाता है। ब्लैक बॉक्स एक ऐसा उपकरण है जो उड़ान के दौरान विमान के प्रदर्शन और स्थिति को रिकॉर्ड करता है। दुर्घटना या अन्य असामान्य घटना होने पर विशेषज्ञ डेटा का विश्लेषण करते हैं। फ्लाइट डिजाइनर आमतौर पर विमान की टेल में फ्लाइट रिकॉर्डर या ब्लैक बॉक्स लगाते हैं। फ्लाइट रिकॉर्डर डेटा (विमान पैरामीटर) और ध्वनि (पायलट, सह-पायलट, रेडियो संचार और कॉकपिट परिवेश शोर) एकत्र करते हैं। आग, विस्फोट, किसी भी तरह के प्रभाव और पानी में डूबने के बावजूद ब्लैक बॉक्स सुरक्षित रहता है।

ब्लैक बॉक्स की शुरुआत कब हुई? Ahmadabad plane Crash

एयरबस के अनुसार, ब्लैक बॉक्स या फ्लाइट रिकॉर्डर की शुरुआत 1930 के दशक में हुई थी, जब फ्रांसीसी इंजीनियर फ्रेंकोइस हुसेनोट ने सेंसर से लैस एक डेटा रिकॉर्डर पर काम करना शुरू किया था, जो ऑप्टिकली एक फोटोग्राफिक फिल्म पर लगभग दस पैरामीटर प्रोजेक्ट करता था। यह फिल्म लगातार एक लाइट-टाइट बॉक्स में चलती थी, इसलिए इसका नाम ‘ब्लैक बॉक्स’ पड़ा, जो सालों से बचा हुआ है। ब्लैक बॉक्स का वास्तविक रंग नारंगी है। वास्तव में, नारंगी रंग शुरू से ही इसका चुना हुआ रंग था, क्योंकि इससे धातु के केस की पहचान करना आसान हो जाता है। ब्लैक बॉक्स हमेशा बॉक्स जैसा नहीं होता है, बल्कि आकार में गोल या बेलनाकार हो सकता है। ब्लैक बॉक्स नाम के बारे में कई सिद्धांत हैं।

ब्लैक बॉक्स क्या करता है? Ahmadabad plane Crash

ब्लैक बॉक्स दुर्घटनाओं के कारणों को स्पष्ट करने और उन्हें रोकने के तरीके खोजने में मदद करता है। ब्लैक बॉक्स का पहली बार इस्तेमाल 1947 में हुआ था। 1958 के बाद सिविल एयरोनॉटिक्स बोर्ड द्वारा तय नियमों के अनुसार इसे विमान में रखना अनिवार्य कर दिया गया। ब्लैक बॉक्स विमान से जुड़ी सभी तरह की जानकारी और बातचीत को स्टोर करता है। यात्री विमानों के ब्लैक बॉक्स समुद्र के अंदर 90 दिनों तक सिग्नल भेजने में सक्षम हैं। औसतन 5 किलो वजनी ब्लैक बॉक्स पानी के संपर्क में आते ही सक्रिय हो जाते हैं और सिग्नल भेजना शुरू कर देते हैं।

ब्लैक बॉक्स में रिकॉर्ड होती हैं पायलट की बातें।

आपको यह बता दे कि ब्लैक बॉक्स का काम होता है पायलट की आवाज को रिकॉर्ड करने का इससे यह पता चल जाता है कि आखिरी समय में पायलट ने क्या बोले थे। हालांकि, यह हर ब्लैक बॉक्स पर लागू नहीं होता। कुछ ब्लैक बॉक्स सिर्फ विमान के बारे में डेटा रिकॉर्ड करते हैं, जबकि दूसरे दोनों काम करते हैं। ब्लैक बॉक्स ग्रेनाइट जितना मजबूत बनाया जाता है। इससे उद्योग को विमान दुर्घटना के कारणों और भविष्य में दुर्घटनाओं को रोकने के लिए क्या किया जा सकता है, इस पर शोध करने का मौका मिलता है। विमान में लगाने से पहले ब्लैक बॉक्स को कई सुरक्षा परीक्षणों से गुजरना पड़ता है।

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