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केंद्र सरकार ने नई न्याय संहिता में क्या बदलाव किया? हर एक पहलू जानें

NAYA KANOON

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पहली बार मॉब लिंचिंग और हेट-क्राइम की एक अलग श्रेणी बनाई गई है. साथ ही महिलाओं के खिलाफ अपराधों की सजा बढ़ा गई है. कुछ प्रावधान जोड़े गए हैं. कुछ ख़त्म कर दिए गए हैं.

What Changes were made in the Judicial Code: 2023 के मानसून सत्र के आखिरी दिन 11 अगस्त को गृहमंत्री अमित शाह ने आपराधिक न्याय प्रणाली में बदलाव के लिए तीन नए विधेयक पेश किए थे. उन्होंने कहा था कि अंग्रेजों के पुराने कानूनों का उद्देश्य दंड देना था, न्याय देना नहीं, इसीलिए बदलाव किए जा रहे हैं. ये भी बताया था कि वो खुद इस प्रक्रिया में शामिल रहे हैं. अब 12 दिसंबर को गृहमंत्री ने लोकसभा में आपराधिक कानून विधेयकों के संशोधित संस्करण पेश किए हैं. इसमें मॉब लिंचिंग और हेट क्राइम के लिए न्यूनतम सजा बढ़ाने, महिलाओं के खिलाफ अपराधों से जुड़े मसलों पर नए प्रावधान हैं.

विस्तार से जानें कौन से कानून में बदलाव हुआ है

मानसून सत्र में तीन बिल पेश किए गए थे-

भारतीय दंड संहिता, 1860 की जगह भारतीय न्याय संहिता, 2003.

दंड प्रक्रिया संहिता, 1898 की जगह भारतीय नागरिक संहिता, 2023.

इंडियन एविडेंस एक्ट, 1872 की जगह भारतीय साक्ष्य विधेयक, 2023 .

तीनों ही कानूनों में धाराएं कम की गई थीं. कुछ धाराओं में बदलाव हुए, कुछ जोड़ी गईं, उससे ज्यादा खत्म कर दी गईं. पेश किए गए जाने के बाद लोकसभा अध्यक्ष ने विधेयक को संसदीय बृजलाल की अध्यक्षता वाली इस समिति के सुझावों को शामिल करने के बाद विधेयकों को 12 दिसंबर को लोकसभा में पेश किया गया.

नए कानून में क्या नया है?

What’s new in the new law: रिपोर्ट्स के मुताबिक पहली बार मॉब लिंचिंग (Mob Lynching) और हेट-क्राइम (Hate Crime) की एक अलग श्रेणी बनाई गई है. बहुत दिनों से सार्वजनिक चर्चाओं में ये बात आती थी कि भीड़ पर कोई कानून नहीं है. अब भारतीय न्याय संहिता में मॉब लिंचिंग को लेकर सजा भी है और पिछले ड्रॉफ्ट के मुकाबले सजा बढ़ाई भी गई है. अगर पांच या पांच से ज्यादा लोगों की भीड़ नस्ल, जाति, समुदाय या व्यक्तिगत विश्वास के आधार पर किसी की हत्या करती है, तो उसे मॉब लिंचिंग माना जाएगा। इसकी सजा को आजीवन कारावास से लेकर मौत की सजा तक कर दिया गया है. पिछले ड्रॉफ्ट में 7 साल की जेल से लेकर आजीवन कारावास का प्रावधान था. इस बार इसे हत्या की सजा के बराबर कर दिया गया है. चूंकि भीड़ की हिंसा और हेट क्राइम अब एक अलग अपराध है, तो राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) भी इसे अलग से दर्ज करेगा।

आतंकवाद की परिभाषा में नया बदलाव

दूसरा बड़ा बदलाव है, आतंकवाद की परिभाषा। अब विदेश में भारत की सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाना या नष्ट करना भी आतंकवाद के दायरे में आएगा। पहले ये केवल भारत के अंदर तक ही सीमित था. एक रिपोर्ट के मुताबिक देश की आर्थिक सुरक्षा को खतरे में डालने के इरादे से किए गए काम आतंकवाद माने जाएंगे। नकली नोट-सिक्के बनाना, उनकी तस्करी करना या कोई भी ऐसा काम जिससे भारत की मौद्रिक स्थिरता को नुकसान पहुंचे। फिर भारत सरकार, राज्य सरकारों या विदेशी सरकारों को कुछ भी करने से रोकने के लिए किसी व्यक्ति को हिरासत में लेना या अगवा करना भी आतंकवाद की कैटेगरी में जाएगा।

महिला अपराधों पर बनाए गए नए कानून

नए आपराधिक बिल महिलाओं के खिलाफ हो रहे अपराधों से लड़ने के लिए दो और धाराएं जोड़ी गई हैं. पिछले वर्जन में धारा-85 में किसी महिला पर उसके पति या ससुराल वालों द्वारा क्रूरता करने पर तीन साल की जेल की सजा तय की गई थी. नए संस्करण में क्रूरता को पारिभाषित करने के लिए धारा-86 जोड़ी गई है. इसमें एक महिला के मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचाने का अलग से जिक्र है. दूसरा मुख्य बिंदु यौन उत्पीड़न से पीड़ित की पहचान उजागर करने से जुड़ा है. बिना अनुमति के पीड़ित की पहचान जाहिर करने पर दो साल की जेल होगी।

समिति ने अपने सुझावों में न्याय संहिता पर ही फोकस किया है. लेकिन एकाध बदलाव नागरिक सुरक्षा संहिता-CrPC की जगह आने वाला विधेयक में किए हैं. कुछ अपराधों की सजा के विकल्प पेश किए हैं. जैसे छोटी-मोटी चोरी, मानहानि और सरकारी अधिकारी के काम में खलल डालने पर जेल नहीं होगी। बल्कि कुछ सामुदायिक सेवा करनी होगी, इसे बहुत साफ़-साफ़ नहीं बताया गया है. इसी तरह कई बदलाव जो बहुत साफ़ नहीं थे या अपरिभाषित छोड़ दिए गए थे, नए वर्जन में भी वैसे ही हैं. 14 दिसंबर को विधेयकों पर लोकसभा में चर्चा होगी।

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