What is National Mourning: सरकार की ओर से ऐलान किया गया है कि पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह के निधन पर राष्ट्रीय शोक के दौरान राष्ट्र ध्वज आधा झुका रहेगा। ऐसे में ये सवाल उठता है कि क्या इस दौरान सरकारी कार्यालयों में भी अवकाश रहेगा। क्या आप जानते हैं कि राष्ट्रीय शोक क्या (rashtreey shok kya hai) होता है? इसमें क्या होता है?
What is national mourning: क्या राष्ट्रीय शोक के दौरान सरकारी कार्यालयों में अवकाश घोषित हो जाते हैं? इस तरह के सवाल हर किसी के दिमाग में उठ रहे होंगे, क्योंकि पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह (Dr. Manmohan Singh) के निधन पर केंद्रीय गृह मंत्रालय ने देश भर में सात दिन के राष्ट्रीय शोक की घोषित किया है। इस दौरान सभी जगहों पर भारत का राष्ट्र ध्वज आधा झुका रहेगा। भारत में आर्थिक सुधारों के जनक और पूर्व पीएम डॉ. मनमोहन सिंह का गुरुवार रात 92 साल की उम्र में निधन हो गया। सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्य सचिवों को गुरुवार को भेजे गए पत्र में गृह मंत्रालय ने कहा कि पूर्व पीएम का अंतिम संस्कार राजकीय सम्मान के साथ किया जाएगा और राष्ट्रीय शोक के दौरान कोई आधिकारिक मनोरंजन कार्यक्रमों का आयोजन नहीं होगा।
राष्ट्रीय शोक क्या होता है ?
पूरे देश के दुख को व्यक्त करने के प्रतीकात्मक तरीके को भारत में ‘राष्ट्रीय शोक’ (National mourning) कहते हैं। भारत में किसी व्यक्ति विशेष के निधन या पुण्य तिथि पर ‘राष्ट्रीय शोक’ की घोषणा की जाती है। फ्लैग कोड ऑफ इंडिया के अनुसार इसके लिए कई महत्वपूर्ण नियम बनाए गए हैं। इसके अनुसार राष्ट्रीय शोक के दौरान पूरे भारत में राष्ट्रीय ध्वज आधे झुके रहते हैं। साथ ही विदेशों में स्थित भारतीय एंबेसी पर लगा तिरंगा भी आधा झुका रहता है। राष्ट्रीय शोक के दौरान कोई औपचारिक या सरकारी कार्यक्रम आयोजित नहीं किए जाते हैं। इस दौरान कोई आधिकारिक कार्य भी नहीं होता है।
भारत में पहली बार राष्ट्रीय शोक कब हुआ था ?
30 जनवरी 1948 को जब महात्मा गांधी की हत्या कर दी गई। इस दौरान देशभर में पहली बार भारत में राष्ट्रीय शोक घोषित किया गया था। बता दें कि महात्मा गांधी की हत्या नाथूराम गोडसे ने गोली मारकर की थी.
तिरंगा झंडा आधा झुका हुआ रहता है?
राष्ट्रीय शोक के दौरान सरकारी आयोजनों और आधिकारिक मनोरंजन कार्यक्रमों पर भी प्रतिबंध लगा रहता है। पहले जब देशभर में ‘राष्ट्रीय शोक’ की घोषित किए जाते थे, तो उसके लिए सीमित मौके रहते थे। उस वक्त सिर्फ वर्तमान और पूर्व राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री के लिए राष्ट्रीय शोक घोषित किए जाते थे। हालांकि कुछ समय बाद ही इसमें कुछ बदलाव भी किए गए। अब केंद्र सरकार के विशेष निर्देश पर अन्य गणमान्य व्यक्तियों के निधन पर राष्ट्रीय शोक घोषित किया जा सकता है। यदि देश में बड़ी प्राकृतिक आपदा आ जाए तो ऐसे समय में भी ‘राष्ट्रीय शोक’ घोषित किया जा सकता है। सिर्फ भारत ही नहीं, बल्कि दुनिया के अन्य देशों के राष्ट्राध्यक्ष के अचानक निधन पर भी केंद्र सरकार राष्ट्रीय शोक की घोषित कर सकती है।
क्या राष्ट्रीय शोक के दौरान छुट्टी रहती है?
साल 1997 से पहले राष्ट्रीय शोक के दौरान सरकारी कार्यालयों में अवकाश रहता था। लेकिन इसके बाद केंद्र सरकार की ओर से एक नोटिफिकेशन जारी किया गया था। इसके अनुसार राष्ट्रीय शोक के दौरान अब सार्वजनिक छुट्टी अनिवार्य नहीं रही। इस प्रावधान को साल 1997 में नोटिफिकेशन से खत्म कर दिया गया। नियम के अनुसार, यदि किसी वर्तमान राष्ट्रपति या प्रधानमंत्री का पद पर रहते हुए निधन हो जाए तो अवकाश होता है। इसके अलावा राज्य सरकारों के पास भी किसी गणमान्य व्यक्ति के निधन पर सार्वजनिक अवकाश की घोषणा करने का अधिकार है। राज्य सरकार इस तरह के मौके पर राजकीय शोक की घोषणा कर सकती हैं।
राष्ट्रीय शोक की घोषणा कौन करता है?
पहले राजकीय शोक की घोषणा करने का अधिकार केंद्र सरकार को ही था और यह घोषणा राष्ट्रपति की सलाह पर ही की जाती थी। हालांकि अब इन नियमों में बदलाव हो चुके हैं, जिसके अनुसार राज्य सरकार अब खुद इसकी घोषणा कर सकती है कि किसे राजकीय सम्मान देना है।