Leptospirosis : पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ‘लेप्टोस्पायरोसिस’ नामक गंभीर बीमारी से पीड़ित हैं। डॉक्टरों ने कहा कि उन्हें एंटीबायोटिक्स दी जा रही हैं। 50 वर्षीय आम आदमी पार्टी (आप) नेता को रूटीन चेकअप के लिए बुधवार को फोर्टिस अस्पताल मोहाली में भर्ती कराया गया था। अस्पताल में भर्ती होने के बाद भगवंत मान की लेप्टोस्पायरोसिस रिपोर्ट सामने आई है। आपको बता दें, लेप्टोस्पायरोसिस को रैट फीवर के नाम से भी जाना जाता है। यह लेप्टोस्पाइरा नामक बग के कारण होने वाला बैक्टीरियल इंफेक्शन है। आइए विभु नर्सिंग होम और रेनबो अस्पताल के एलर्जी विशेषज्ञ डॉ. विभु से जानते हैं कि इस बीमारी के लक्षण क्या हैं और इससे बचाव के लिए क्या करना चाहिए?
जानिए क्या है लेप्टोस्पायरोसिस बीमारी?
लेप्टोस्पायरोसिस बैक्टीरियल इंफेक्शन से होने वाली बीमारी है। यह बीमारी जानवरों से इंसानों में फैलती है। चूहों के पेशाब के कारण लेप्टोस्पायरोसिस फैलता है। अगर इनका पेशाब पानी या खाने में चला जाए तो इसकी वजह से यह बीमारी हो सकती है। अगर किसी जानवर में यह कीटाणु है और आप उसे छूते हैं या उसके मुंह से निकलते हैं, तो आप इसके शिकार हो सकते हैं। अगर आप नॉनवेज खा रहे हैं और उसके टिश्यू के अंदर लेप्टोस्पायरोसिस है, तो भी आप इसके शिकार हो सकते हैं। गंभीर मामलों में, इससे सांस संबंधी समस्याएं हो सकती हैं। दिल, किडनी और लिवर को भी नुकसान पहुंच सकता है। इससे मौत की भी संभावना रहती है।
लेप्टोस्पायरोसिस बीमारी के लक्षण
1: तेज बुखार और सिरदर्द
2: मांसपेशियों में ऐंठन
3: ठंड लगना
4: मांसपेशियों में तेज दर्द
5: पेट में दर्द
6: त्वचा पर लाल धब्बे
7: पीलिया
8: खांसी।
लेप्टोस्पायरोसिस कैसे फैलता है?
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, ‘लेप्टोस्पायरोसिस’ एक जीवाणु रोग है जो मनुष्यों और जानवरों दोनों को प्रभावित करता है। संक्रमित जानवरों के मूत्र या मूत्र-दूषित वातावरण के सीधे संपर्क में आने से मनुष्य संक्रमित हो जाता है। बैक्टीरिया त्वचा या मुंह, नाक और आंखों की श्लेष्म झिल्ली पर कट या खरोंच के माध्यम से शरीर में प्रवेश करते हैं।
लेप्टोस्पायरोसिस का उपचार और रोकथाम
लेप्टोस्पायरोसिस से बचने का सबसे अच्छा तरीका दूषित पानी से दूर रहना है। अपने खाने को ऐसी जगह रखें जहाँ चूहे न आएँ। खाने को हमेशा सीलबंद कंटेनर में रखें। जितना हो सके जानवरों के पेशाब से दूर रहें। जानवर नदियों और नालों में बहुत तैरते या नहाते हैं, जिससे आपको संक्रमण हो सकता है, इसलिए उनमें न नहाएँ। जहाँ बाढ़ आती है, वहाँ आपको बहुत सावधान रहने की ज़रूरत है। इस बीमारी के लिए आपको कभी भी खुद से कोई दवा नहीं लेनी चाहिए। अगर आपको कोई लक्षण महसूस हो रहा है, तो डॉक्टर से संपर्क करें और उनसे सलाह लेने के बाद ही इलाज करवाएँ।