What is Kohbar: दरअसल कोहबर एक ऐसी कलाकृति है जिसे विवाह के दौरान घरों में बनाया जाता है। हालांकि यह चित्रकला बिहार, झारखंड और उत्तरप्रदेश में भी बनाई जाती है, लेकिन बघेलखण्ड में इसे बनाने का तरीका कुछ अलग है, जो इसे विशेष बनता है। बघेलखण्ड में विवाह के दौरान महिलाएं दीवार पर पहले महावर से इसे आकार देतीं हैं फिर गोबर, अनाज और दाल सहित अन्य सामग्रियों से सजाती हैं। इसकी चित्रकारी को मुख्यरूप से वर-वधू की बुआ बनाती हैं।
मध्यप्रदेश एक अनोखा राज्य है। जहां करीब-करीब प्रत्येक जिले की अपनी अलग पहचान है। जो अपनी बोली, भोजन और प्रथाओं के चलते अपने आप में विशेष हैं। इन्हीं खासियतों की वजह से मध्यप्रदेश को विभिन्न खंडों में बाँटा गया है। मुख्य रूप से एमपी में बुंदेलखंड, बघेलखण्ड, मालवा और चंबल क्षेत्र हैं। इन सभी क्षेत्रों की संस्कृति और लोककलाएं भी अलग-अलग हैं। आज हम बात करने जा रहे हैं बघेलखण्ड की। आपको बताएंगे बघेलखण्ड की प्रसिद्ध चित्रकला कोहबर के बारे में। हालांकि बघेलखण्ड अपनी समृद्ध विरासत के लिए जाना जाता है। यहां के सफेद बाघ, बघेल राजवंश साथ ही यहां की संस्कृति और बघेली बोली देश और दुनियां जानी जाती है। तो अब बात करते हैं कोहबर की। जी हां, आप ठीक अनुमान लगा रहे हैं। यह वही कोहबर है, जो यहां की शादियों में बनाया जाता है। लेकिन क्या आप कोहबर के बारे में जानते हैं कि यह क्या है, इसे क्यों बनाया जाता है और इसका क्या महत्व है? इन सभी सवालों का जवाब हम आपको देंगे।
How is Kohbar Made: अगहन मास की शुरुआत हो चुकी है और इसके साथ ही लग्न का समय भी शुरू हो चुका है। कई घरों में विवाह की तैयारियां चल रही हैं। आप भी बघेलखण्ड में कभी न कभी किसी न किसी शादी में शामिल जरूर हुए होंगे। और आपने यहां विवाह की विभिन्न परंपराओं को भी देखा होगा। जैसे कि मंडप, मंत्रीपूजन माटीमागर, तेल चढ़ाई, हल्दी, मेंहदी सहित और भी रीति रिवाजों में शामिल हुए होंगे। लेकिन इन सब के बीच क्या आपने विवाह समारोह के दौरान कभी घर के अंदर दीवारों पर बनी विशेष प्रकार की चित्रकारी को देखा है? यदि देखा भी है तो क्या इसके बारे में कभी जानने की कोशिश की है? दरअसल दीवार पर उकेरी गई इन कलाकृति को ‘कोहबर’ कहा जाता है। जिसे विंध्य में वैवाहिक कार्यक्रमों के दौरान घर की दीवारों पर बनाया जाता है। इसके बिना वैवाहिक रस्में पूरी नहीं मानी जातीं। इसकी बकायदे पूजा होती है और इससे जुड़े लोकगीत भी गए जाते हैं।
क्या है कोहबर?
Kohbar Kya Hai: दरअसल कोहबर एक ऐसी कलाकृति है जिसे विवाह के दौरान घरों में बनाया जाता है। हालांकि यह चित्रकला बिहार, झारखंड और उत्तरप्रदेश में भी बनाई जाती है, लेकिन बघेलखण्ड में इसे बनाने का तरीका कुछ अलग है, जो इसे विशेष बनता है। बघेलखण्ड में विवाह के दौरान महिलाएं दीवार पर पहले महावर से इसे आकार देतीं हैं फिर गोबर, अनाज और दाल सहित अन्य सामग्रियों से सजाती हैं। इसकी चित्रकारी को मुख्यरूप से वर-वधू की बुआ बनाती हैं। शादी के दौरान कई रस्में कोहबर में निभाई जाती है। इसे शादी वाले दिन ही बनाया जाता है। वर-वधू द्वारा इसकी पूजा की जाती है। ऐसी मान्यता है कि कोहबर पूजा के बाद ही शादी की प्रक्रिया संपन्न होती है और नवविवाहित दंपति बनते हैं।
कैसे बनाया जाता है कोहबर?
Kohbar Kaise Banaya Jata Hai: अब आइये जानते हैं कोहबर बनाने में किन बातों का ध्यान रखा जाता है, बघेलखण्ड में इसे बनाते समय दिशा का ध्यान प्रमुख रूप से रखा जाता है। कोहबर पश्चिम या पूर्व दिशा की दीवार पर बनाया जाता है। इस चौकोर कलाकृति में महावर से ओम, स्वास्तिक सहित अन्य मांगलिक चिन्हों को बनाया जाता है। साथ ही वर-वधु का नाम भी लिखा जाता है। इन चिन्हों का भी विशेष महत्व होता है। कहा जाता है कि कोहबर में आने के बाद ही दंपति के रूप में पहली बार वर-वधू के बीच संवाद होता है। कोहबर में वर-वधू एक-दूसरे को मिठाई खिलाते हैं, ताकि उनके दाम्पत्य जीवन में हमेशा मिठास बनी रहे।
कैसे होती है ‘कोहबर’ पूजा?
Kohbar Puja: विवाह संपन्न होने के बाद और विदाई से पहले वर-वधू कोहबर के पास रखे कलश की पूजा करते हैं। इसके बाद दोनों गाय के घी से कोहबर चित्रकला पर लकीरें खींचते हैं, जिसे सुरावर कहा जाता है। इसके बाद वर-वधू घर के कुलदेवता और गौरी-गणेश की पूजा करते हैं। विदाई के बाद जब दुल्हन ससुराल पहुँचती है तो वहां परछन के बाद वर-वधू को एक बार फिर से कोहबर में लाया जाता है। इसके बाद ही दुल्हन की मुंह दिखाई की रस्म शुरू होती है। और सबसे पहले दुल्हन की सास मुंह दिखाई करती हैं और फिर मुंह दिखाई में कुछ उपहार या राशि अपनी बहू को देतीं हैं। इसके बाद एक-एक कर परिवार की अन्य महिलाएं कोहबर में ही दुल्हन की मुंह दिखाई करती हैं।