महाराष्ट्र चुनाव परिणाम के बाद यहां की राजनीति और राजनीतिक दलों की विचारधारा में काफी परिवर्तन देखने को मिल रहा है. परिणाम से पहले ही INDIA ब्लॉक में फूट पड़ी थी और नतीजे घोषित होने के बाद MVA भी टूटकर बिखरने लगा. शिवसेना UBT को समझ में आ गया कि महाराष्ट्र का मुद्दा हिंदुत्व ही था जिसे उसने कांग्रेस के साथ हाथ मिलाकर बर्बाद कर दिया। इधर NCP नेता शरद पवार भी अब बीजेपी और RSS की तारीफ में कसीदे पढ़ रहे हैं, सीएम देवेंद्र फडणवीस उन्हें चाणक्य कह रहे हैं. ऐसे में ये सवाल होता है कि क्या शरद पवार और उनके भतीजे अजीत पवार फिर से एक हो रहे हैं ? और शरद पवार भी MVA छोड़ महायुति ज्वाइन करने वाले हैं. यही सवाल देवेंद्र फडणवीस से भी पुछा गया और उन्होंने क्या जवाब दिया ये आपको आगे मालूम पड़ जाएगा।
पवार ने कि RSS की तारीफ
शरद पवार ने महाराष्ट्र चुनाव में BJP की भारी जीत का श्रेय RSS को दिया और उनकी तारीफ की। गुरुवार 9 जनवरी को पार्टी कार्यकर्ताओं के साथ विधानसभा चुनावों में हार का मंथन कर रहे थे। इस दौरान शरद ने कहा, ‘लोकसभा चुनाव में हमें अच्छी सफलता मिली थी। उसके बाद हमारे कार्यकर्ता गाफिल हो गए, और समझने लगे कि विधानसभा चुनाव तो हम आसानी से जीत लेंगे।
विधानसभा चुनाव में महायुति के नेताओं और कार्यकर्ताओं ने मेहनत की। उसकी मदद के लिए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ भी पूरी मेहनत से जुटा। RSS ने रणनीति बनाकर काम किया। घर-घर जाकर हिंदुत्व का प्रचार किया। मतदाताओं से सीधा संपर्क स्थापित किया। जिसका परिणाम हम सबके सामने है।
पवार चाणक्य हैं – सीएम
जब पवार ने RSS की तारीफ की तो महाराष्ट्र सीएम देवेंद्र फडणवीस ने भी शरद पवार को राजनीति का चाणक्य कह दिया। उन्होंने कहा – उन्होंने महसूस किया होगा कि लोकसभा चुनाव में महाविकास अघाड़ी की ओर से फेक नैरेटिव फैलाया गया था, जो विधानसभा चुनावों में पंचर हो गया। पवार को पता है कि यह शक्ति लगातार राजनीति नहीं करती है, ये राष्ट्र का निर्माण कर रही है। कई बार अपने विरोधी की भी तारीफ करनी पड़ती है, इसी वजह से RSS की तारीफ की होगी।’
एक होंगे चाचा-भतीजा
देवेंद्र फडणवीस ने NCP के एक होने के सवाल पर कहा – पिछले 5 साल में महाराष्ट्र की राजनीति में जो भी घटनाएं घटी हैं, उससे ये समझना चाहिए कि राजनीति में कुछ भी मुमकिन है। उद्धव वहां (कांग्रेस के साथ) जा सकते हैं, अजित यहां आ सकते हैं। कोई अगर दावा करें कि ऐसा नहीं होगा, तब राजनीतिक परिस्थितियां तुम्हें कहां ले जाकर बिठा देगी इसका भरोसा नहीं है।