Gudi Padva Story In Hindi: गुड़ी पड़वा भारतीय संस्कृति और हिंदू परंपराओं में मनाए जाने वाला एक प्रमुख पर्व होता है, यह केवल एक उत्सव या पर्व बस नहीं होता है, बल्कि यह नए संकल्प नई ऊर्जा और नए उत्साह का संचार करने वाला दिन होता है। इसी दिन हिंदू नववर्ष का भी प्रारंभ होता है। यह पर्व चैत्र मास के शुक्ल पक्ष के प्रतिपदा तिथि को मनाया जाता है। वैसे तो यह लगभग सम्पूर्ण देश में ही मनाया जाता है पर महाराष्ट्र में यह पर्व खास तौर पर और बड़े धूमधाम से मनाया जाता है, इसको मनाए जाने को लेकर कई मान्यताएं प्रचलित हैं, क्या हैं ये आइए जानते हैं।
क्यों मनाया जाता है गुड़ी पड़वा
गुड़ी पड़वा से संबंधित वैसे तो कई कहानियाँ हैं, उन्हीं में से एक कथा रामायण काल से जुड़ी हुई है, जिसके अनुसार त्रेतायुग में किष्किंधा नाम के राज्य में वानर जाति रहती थी, उनका राजा बाली था, जिसने अपने भाई सुग्रीव को देश निकाला दे दिया था और उसकी राज्य संपत्ति इत्यादि को हड़प लिया था। उसी समय अयोध्या के राजकुमार राम अपने भाई लक्ष्मण के साथ अपनी भार्या सीता कि तलाश में वनों में भटक रहे थे, जहां पर हनुमान जी से उनकी भेंट हुई, और हनुमान जी के माध्यम से सुग्रीव से, सुग्रीव ने भगवान राम से अपना खोया हुआ राज्य पाने में मदद मांगी और देवी सीता कि तलाश करने का वचन दिया।
जिसके बाद भगवान राम ने बाली का वध किया और सुग्रीव को किष्किंधा का राजा बनाया, कहते हैं यह दिन चैत्र मास के शुक्लपक्ष की प्रतिपदा थी, जिसके बाद दक्षिण के राज्यों में गुड़ी पड़वा मनाने का उत्सव प्रारंभ हुआ। यह भी माना जाता है इसी दिन भगवान ब्रम्हा जी सृष्टि की रचना की थी, जिसके कारण यह पर्व मनाया जाता है।
कैसे बनाई जाती है गुड़ी
गुड़ी बनाने के लिए सबसे पहले चांदी या तांबे का कलश लिया जाता है और उसे बांस में उल्टा लटकाया जाता है, इसे चमकदार हरे या पीले कपड़े से सजाया जाता है, जिसकी किनारी सुनहरे रंग की होती है। गुड़ी को नीम या आम के पत्तों, फूलों और मिठाइयों से सजाया जाता है, इसे घर में ऊंचाई पर छत पर लगाया जाता है, जिसके कारण घर में नकारात्मक शक्तियां प्रवेश ना करें और सदैव खुशहाली बनी रहे।