What is the Government of Union Territories Amendment Bill 2025 Hindi News: देश के गृहमंत्री अमित शाह ने बुधवार, 20 अगस्त के दिन लोकसभा में एक जरूरी संशोधन बिल पेश किया। यह ऐसा बिल है जो डेमोक्रसी को मजबूती प्रदान करता है और गंभीर अपराधों में फंसे नेताओं, मंत्रियों, मुख्य मंत्रियों, केंद्रीय मंत्रियों और यहां तक कि प्रधान मंत्री को भी कोई स्पेशल रियायत नहीं देता है. इस बिल का नाम है गवर्नमेंट ऑफ यूनियन टेरिटरीज संशोधन बिल 2025 यानि केंद्र शासित प्रदेश सरकार संशोधन विधेयक 2025 (Government of Union Territories Amendment Bill 2025). विपक्ष इस बिल का विरोध करता है, क्यों करता है ये पूरी खबर पढ़ने के बाद आपको पता चल जाएगा। सबसे पहले जानते हैं कि आखिर गवर्नमेंट ऑफ यूनियन टेरिटरीज संशोधन बिल 2025 क्या है? (What Is Government of Union Territories Amendment Bill 2025 Explain In Hindi).
गवर्नमेंट ऑफ यूनियन टेरिटरीज संशोधन बिल 2025 क्या है?
Government of Union Territories Amendment Bill 2025 Kya Hai: अभी केंद्र शासित प्रदेशों में गवर्नमेंट ऑफ यूनियन टेरिटरीज एक्ट, 1963 (1963 का 20) (The Government of Union Territories Act, 1963 (20 of 1963) के तहत ऐसा कोई प्रावधान नहीं है जो गंभीर अपराधों में गिरफ्तार हुए और जेल भेजे गए किसी मंत्री या मुख्य मंत्री को उनके पद से पृथक करने का अधिकार देता हो.
ऐसा कई बार हुआ है कि कई मंत्री और मुख्य मंत्री गंभीर अपराधों को अंजाम देने के बाद जेल गए हैं लेकिन अपने पद में भी रहे आए हैं यानी जेल जाने के बाद भी उन्होंने इस्तीफा नहीं दिया था. ऐसे मामलों में मुख्यमंत्री या मंत्री को हटाने के लिए एक कानूनी ढांचा तैयार करने के लिए गवर्नमेंट ऑफ यूनियन टेरिटरीज एक्ट, 1963 की धारा 45 में संशोधन (Amendment of section 45 of the Government of Union Territories Act, 1963) की आवश्यकता है।
केंद्र सरकार का कहना है कि संविधान में किसी ऐसे मंत्री को हटाने का कोई प्रावधान नहीं है जिसे गंभीर आपराधिक आरोपों के कारण गिरफ्तार किया गया हो और हिरासत में लिया गया हो। इसलिए ऐसे मामलों में प्रधानमंत्री (Prime Minister) या केंद्रीय (Central Minister) मंत्रिपरिषद के किसी मंत्री और राज्यों या नेशनल कैपिटल टेरिटरी दिल्ली के मुख्यमंत्री या मंत्रिपरिषद के किसी मंत्री को हटाने के लिए एक कानूनी ढांचा तैयार करने के लिए संविधान के अनुच्छेद 75, 164 और 239AA में संशोधन (Amendments to Articles 75, 164 and 239AA of the Constitution) की जरूरत है।
सरकार का मानना है कि ये बिल लोकतंत्र और सुशासन की साख मजबूत करेगा। अब तक, संविधान के तहत, केवल दोषी ठहराए गए जनप्रतिनिधियों को ही पद से हटाया जा सकता था। मौजूदा कानूनों में संवैधानिक पद पर बैठे नेताओं को हटाने को लेकर स्पष्ट व्यवस्था नहीं है।
जेल जाने के बाद भी मंत्री रहे नेताओं के नाम
Names of leaders who remained ministers even after going to jail: ताजा मामला तो दिल्ली के पूर्व मुख्य मंत्री अरविंद केजरीवाल का ही है. वह दिल्ली शराब घोटाला मामले में ED द्वारा हिरासत में लिए गए और कोर्ट द्वारा उन्हें जेल भेजा गया. अरविंद केजरीवाल 6 महीने जेल में रहे लेकिन उन्होंने इस्तीफा नहीं दिया।
दूसरा मामला तमिलनाडु के मंत्री वी सेंथिल बालाजी का है, जिन्हे मेट्रोपॉलिटन ट्रांसपोर्ट कॉर्पोरेशन (MTC) में नौकरी के बदले नकद घोटाले के आरोपों में प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने जून 2023 में मनी लॉन्ड्रिंग केस में गिरफ्तार किया था। वे 241 दिनों तक जेल में रहे लेकिन 13 फरवरी 2024 तक पद पर बने रहे थे।
इस कानून के अनुसार अगर किसी मंत्री, मुख्य मंत्री या प्रधान मंत्री को ऐसे गंभीर आरोप में गिरफ्तार किया जाता है जिसमे 5 साल से ज्यादा की सजा हो सकती है और उन्हें जेल में 30 दिन से अधिक हो जाते हैं तो उन्हें पद से हटाया जा सकता है.
इसके अलावा सरकार ने एक और बिल पेश किया है जिसका नाम है . जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन (संशोधन) बिल 2025. जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन (संशोधन) बिल 2025 क्या है? (What is the Kashmir Reorganisation (Amendment) Bill 2025?) आइये जानते हैं
जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन (संशोधन) बिल 2025 क्या है?
What is the Kashmir Reorganisation (Amendment) Bill 2025: जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम, 2019 (2019 का 34) (The Jammu and Kashmir Reorganisation Act, 2019 (Act 34 of 2019) के तहत गंभीर आपराधिक आरोपों के कारण गिरफ्तार और हिरासत में लिए गए मुख्यमंत्री या मंत्री को हटाने का कोई प्रावधान नहीं है। जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम, 2019 की धारा 54 में संशोधन (Amendment of section 54 of the Jammu and Kashmir Reorganisation Act, 2019) के बाद गंभीर आपराधिक केस में गिरफ्तार और हिरासत में लिए गए मुख्यमंत्री या मंत्री को 30 दिन में हटाने का प्रावधान होगा।