CAA संसद से पारित हुए लगभग पांच साल बीत चुके हैं. अब केंद्र सरकार आगामी लोकसभा चुनाव की तारीखों के ऐलान से पहले सीएए को देश में लागू करने जा रही है. सूत्रों की मानें तो सोमवार 11 मार्च को केंद्र सरकार की ओर से इसका नोटिफिकेशन जारी हो सकता है. इसके बाद 11 मार्च से ही देश में नागरिकता संशोधन कानून (CAA) लागू हो जाएगा।
What is CAA, CAA Kya Hai, CAA Kab Lagu Hoga, CAA Ki Poori Jankari: लोकसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान जल्द ही कुछ दिनों में हो सकता है. ऐसे में केंद्र सरकार देश में नागरिकता संसोधन कानून (CAA) लागू करने जा रही है. सूत्रों की मानें तो सोमवार 11 मार्च को केंद्र सरकार की ओर से इसका नोटिफिकेशन जारी हो सकता है. इसके बाद इसी दिन से देश में सीएए लागू हो जाएगा। दरअसल CAA संसद में पारित हुए लगभग पांच साल बीत चुके हैं. अब केंद्र सरकार आगामी लोकसभा चुनाव की तारीखों के ऐलान से पहले सीएए को देश में लागू करने जा रही है.
लोकसभा चुनाव से पहले लागू होगा CAA: गृहमंत्री अमित शाह
गृहमंत्री अमित शाह अपने चुनावी भाषणों में कई बार नागरिकता संशोधन कानून (CAA) को लागू करने की बात कर चुके हैं. उन्होंने ऐलान किया था कि लोकसभा चुनाव से पहले इसे लागू कर दिया जाएगा। ऐसे में सूत्रों का कहना है कि गृह मंत्रालय की तरह से इसे लागू करने की तैयारियां पूरी कर ली गईं हैं और अब इसका नोटिफिकेशन जारी हो सकता है.
बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान से आए विस्थापित अल्पसंख्यकों को कोई दस्तावेज देने की जरूरत नहीं होगी
CAA के तहत मुस्लिम समुदाय को छोड़कर तीन मुस्लिम बहुल पड़ोसी मुल्कों से आने वाली बाकी धर्मों के लोगों को नागरिकता देने का प्रावधान है. केंद्र सरकार ने सीएए से संबंधित एक वेब पोर्टल भी तैयार कर लिया है, जिसे नोटिफिकेशन के बाद लॉन्च किया जाएगा। तीन मुस्लिम बहुल पड़ोसी मुल्कों से आने वाले वहां के अल्पसंख्यकों को इस पोर्टल पर अपना रजिस्ट्रेशन कराना होगाा और सरकारी जांच पड़ताल के बाद उन्हें कानून के तहत नागरिकता दी जाएगी। इसके लिए बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान से आए विस्थापित अल्पसंख्यकों को कोई दस्तावेज देने की जरूरत नहीं होगी।
2019 में केंद्र सरकार ने किया था CAA में संशोधन
साल 2019 में नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाली केंद्र सरकार ने नागरिकता कानून में संशोधन किया था. इसमें अफगानिस्तान, पाकिस्तान और बांग्लादेश से 31 दिसंबर 2014 से पहले आने वाले 6 अल्पसंख्यकों (हिंदू, ईसाई, सिख, जैन, बौद्ध और पारसी) को भारत की नागरिकता देने का प्रावधान किया गया था. नियमों के अनुसार, नागरिकता देने का अधिकार केंद्र सरकार के हाथों में होगा।
गृह मंत्रालय 2020 से ले रहा है एक्सटेंशन
बता दें कि संसदीय प्रक्रियाओं की नियमावली के मुताबिक किसी भी कानून के नियम राष्ट्रपति की सहमति के 6 महीने के भीतर तैयार किए जाने चाहिए। ऐसा ना होने पर लोकसभा और राज्यसभा में अधीनस्थ विधान समितियों से विस्तार की मांग की जानी चाहिए। सीएए के केस में 2020 से ग्रह मंत्रालय नियम बनाने के लिए संसदीय समितियों से नियमित अंतराल में एक्सटेंशन लेता रहा है.
कितने राज्यों में दी जा रही नागरिकता
पिछले दो साल में 9 राज्यों के 30 से अधिक जिला मजिस्ट्रेटों और गृह सचिवों को नागरिकता अधिनियम 1955 के तहत अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान से आने वाले हिंदुओं, सिखों, बौद्धों, जैनियों, पारसियों और ईसाईयों को भारतीय नागरिकता देने की शक्तियां दी हैं. गृह मंत्रालय की 2021-22 की वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार 1 अप्रैल 2021 से 31 दिसंबर 2021 तक पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान के इन गैर-मुस्लिम अल्पसंख्यक समुदायों के कुल 1,414 विदेशी नागरिकों को भारतीय नागरिकता दी है. जिन 9 राज्यों में पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान के गैर-मुस्लिम अल्पसंख्यकों को नागरिकता दी गई है, वे गुजरात, राजस्थान, हरियाणा, मध्यप्रदेश, दिल्ली, पंजाब, छत्तीसगढ़, उत्तरप्रदेश और महाराष्ट्र हैं.
क्या है CAA?
भरतीय नागरिकता कानून 1955 में बदलाव के लिए 2016 में नागरिकता संशोधन विधेयक 2016 (CAB) संसद में पेश किया गया था. 10 दिसंबर 2019 को यह लोकसभा में और अगले दिन राज्यसभा में पास हुआ. 12 दिसंबर को राष्ट्रपति की मंजूरी मिलते ही CAA कानून बना. बता दें कि भारतीय नागरिकता कानून 1955 में अब तक 6 बार (1986,1992, 2003, 2005, 2015, 2019) संशोधन हो चुका है. इस कानून के तहत पहले नागरिकता लेने के लिए भारत में 11 साल रहना जरूरी था. लेकिन नए संशोधित कानून में ये अवधि घटाकर 6 साल कर दी गई है.
नागरिकता संशोधन विधेयक का पूर्वोत्तर राज्यों खासकर बांग्लादेशी सीमा से सटे असम-पश्चिम बंगाल में काफी विरोध हुआ था. असम के लोगों का तर्क था कि बांग्लादेश से बड़ी तादाद में आए हिन्दुओं को नागरिकता देने से यहां के मूल निवासियों के अधिकार खत्म होंगे। केंद्र सरकार असम में नेशनल सिटीजन रजिस्टर लाई थी, जिसका मकसद यहां रह रहे घुसपैठियों की पहचान करना था.