What Is AFSPA In Hindi: AFSPA पूरा नाम आर्म्ड फ़ोर्स स्पेशल पॉवर्स एक्ट (Armed Forces Special Powers Act) है हिंदी में कहें तो सशस्त्र बल विशेष अधिकार अधिनियम। AFSPA का नाम आपने कई जगह सुना होगा जैसे कभी केंद्र सरकार से, नेशनल सिक्योरिटी के दायरे में आने वाले राज्यों में और कुछ फिल्म जैसे हैदर में? आपने ये भी सुना होगा कि AFSPA कैसे आम नागरिकों की निजी ज़िन्दगी में भी दखल देता है. इससे कई बार लोग परेशान भी हो जाते हैं और खिलाफत पर आमादा हो जाते हैं. जैसे जम्मू-कश्मीर और पूर्वी राज्यों में होने वाली अलगाववादी घटनाएं। जब लोग अपनी ही सेना के खिलाफ हथियार उठा लेते हैं.
जम्मू कश्मीर से हटेगा AFSPA
AFSPA will be removed from Jammu and Kashmir: आप सोच रहे होंगे कि हम आज AFSPA की बात क्यों कर रहे हैं? दरअसल गृहमंत्री अमित शाह ने हाल ही में जम्मू-कश्मीर से AFSPA हटाने पर विचार करने की बात कही है. अमित शाह से पहले शायद ही किसी केंद्रीय नेता ने ऐसा बयान दिया होगा। अमित शाह ने कहा कि सरकार ने केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर के लॉ एंड आर्डर की जिम्मेदारी पुलिस को सौंपने की तैयारी कर रही है. अबतक जम्मू में ये काम सेना देखती थी, पहले पुलिस पर भरोसा नहीं था लेकिन अब पुलिस बड़े ऑपरेशंस लीड करने लगी है.
जम्मू कश्मीर से AFSPA का हटना यानी वहां के संवेदनशील इलाकों में रहने वालों की ज़िन्दगी में सेना का दखल कम हो जाना। इस खबर को सुनकर ही जम्मू के लोग खुश हो गए होंगे। आखिर कौन चाहेगा कि सेना किसी भी नागरिक को सिर्फ संदेह के बिनाह पर रोक ले या गिरफ्तार कर ले वो भी बिना किसी वांरट के?
AFSPA कब लागू हुआ
When did AFSPA come into effect: आर्म्ड फोर्सेज स्पेशल प्रोटक्शन एक्ट को 11 सितंबर 1958 में संसद से मंजूरी मिलने के बाद बनाया गया. संसद में इसे तत्कालीन गृहमंत्री जीबी पंत ने पेश किया था. AFSPA के तहत शसस्त्र बलों को बहुत सारी पावर्स दे दी गईं, पुलिस से भी ज्यादा पावर्स। क्योंकि देश के पूर्वोत्तर में बांग्लादेश, म्यांमार और चीन जैसे देशों की सीमा लगती है और यहां काफी तादात में घुसपैठिये भारत में प्रवेश करते थे और भारत के लोगों को बरगलाकर उन्हें अलगाववादी, उग्रवादी जैसे संगठनों से जोड़ने का काम करते थे इसी लिए सबसे पहले पूर्वोत्तर राज्यों में AFSPA लागू किया गया.
वैसे AFSPA की कहानी देश की आजादी से पहले शुरू होती है. ब्रिटिश काल में इस कानून को भारत छोड़ो आंदोलन के प्रदर्शन को दबाने के लिए बनाया गया था. आज़ादी के बाद 1947 में चार अध्यादेश जारी किए गए जिसमे AFSPA का पुनर्गठन किया गया.
सबसे पहले किस राज्य में AFSPA लागू हुआ?
उत्तर पूर्वी राज्यों में से असम और मणिपुर में नागा विद्रोह से निपटने के लिए सबसे पहले AFSPA को लागू किया गया. तब इस एक्ट का नाम सशस्त्र बल असम और मणिपुर विशेष अधिकार अधिनियम 1958 था. 1972 में संशोधन के बाद इसे मेघालय, नागालैंड, त्रिपुरा और अरुणाचल प्रदेश में भी लागू कर दिया गया. इसके बाद जब जम्मू कश्मीर में पाकिस्तान की घुसपैठ बढ़ी और आतंकवादी घटनाएं चरम पर पहुंच गईं तब 1990 में यहां भी AFSPA लागू कर दिया गया.
AFSPA क्यों लागू होता है?
AFSPA को लागू करने का अधिकार केंद्र सरकार और राज्य सरकार दोनों के पास होता है. लेकिन दोनों की सहमति होनी भी जरूरी है. AFSPA किसी भी राज्य को या कुछ हिस्से को अशांत क्षेत्र घोषित कर लागू किया जाता है. AFSPA लागू होने के बाद लॉ एंड आर्डर मेंटेन करने की जिम्मेदारी मिलिट्री की हो जाती है. सशस्त्र बल AFSPA वाले क्षेत्र में किसी भी व्यक्ति को बिना किसी वांरट के गिरफ्तार कर सकते हैं, बिना वारंट या बिना सहमति के घर-दफ्तर या व्यक्ति की तलाशी कर सकते हैं. यहां तक की जान से भी मार सकते हैं. कुलमिलाकर सुरक्षाबलों को कोई भी इमिडिएट एक्शन लेने की कानूनी छूट होती है.
AFSPA और मानवाधिकार
AFSPA वैसे तो राष्ट्रीय सुरक्षा के नजरिए से देश के लिए जरूरी है लेकिन इस अधिनियम को लेकर लोगों में नेगटिविटी भी हमेशा से रही है. इसकी वजह है मानवाधिकार का उन्लंघन। 2004 में असम राइफल्स पर थांगजाम मनोरमा में कथित हिरासत में बलात्कार और हत्या के आरोप लगे थे. मनोरमा मणिपुर की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी की मेंबर थी. इसके अलावा किसी को भी सिर्फ शक की बिनाह पर सीधा गोली मार देना और मनमानी गिरफ़्तारी भी मौलिक अधिकारों का उन्लंघन है. अशांत क्षेत्र में रहने वाले बेक़सूर लोग भी AFSPA की चपेट में आ जाते हैं इसी लिए ये कानून हमेशा लोगों के नज़रों में बुरा बना रहा.
किन राज्यों में AFSPA लागू है?
बहरहाल मोदी सरकार ने कई राज्यों से AFSPA को हटाने की कवायद भी की. केंद्र सरकार ने 2022 में नागालैंड, असम और मणिपुर के कई जिलों से AFSPA को हटा दिया। केंद्र ने असम के 9 जिलों,मणिपुर के 6 जिलों के 15 पुलिस थानों और नागालैंड के 7 जिलों के 15 पुलिस स्टेशंस को अशांत क्षेत्र से बाहर कर दिया और सरकार इस कोशिश में है कि इन राज्यों में पूर्णतः AFSPA को हटा दिया जाए. केंद्र सरकार अब जम्मू-कश्मीर से भी AFSPA हटाने पर विचार कर रही है. फ़िलहाल जम्मू-कश्मीर, नागालैंड, असम, मणिपुर और अरुणाचल के कुछ हिस्सों में AFSPA प्रभावी है.