हम अक्सर देखते हैं की रेलवे स्टेशन पर शहर के नाम के नीचे हमेशा समुद्र तल से औसत ऊंचाई लिखी हुई होती है। हर स्टेशन पर समुद्र तल से ऊंचाई अलग अलग लिखी होती है। हर स्टेशन पर ज़मीन का माप MSL से मापा जाता है। पर क्या अपने जानने की कोशिश की है आखिर ये ऊँचाई क्यों लिखी होती है? या इसके पीछे का कारण क्या है? सारी बातें जानने के लिए आर्टिकल को पूरा पढ़ें………..
समुद्र तल से उँचाई [ MSL ] का मतलब क्या होता है?
सभी जानते हैं की पृथ्वी अंडाकार है इसी वजह से पृथ्वी की सतह गोल कर्व के आकार की होती है। पृथ्वी में 70% हिस्से में पानी है और बचे 30% हिस्से में ज़मीन है। पृथ्वी में ज़मीन की सतह नापने के लिए समुद्र ज़मीन की ऊँचाई मापी जाती है क्योंकि ज़मीन के नीचे समुद्र ही होता है इस लिए ज़मीन की उचाई मापने के लिए समुद्र को मानक बनाया जाता है, इसलिए समुद्र तल से ऊँचाई ज़मीन की बराबर उँचाई माप कर सकते हैं।
रेलवे स्टेशन पर समुद्र तल से उँचाई क्यों लिखा होता है?
अक्सर रेलवे स्टेशन पर शहर के नाम के नीचे समुद्र तल से औसतन ऊंचाई लिखी हुई होती है। ये इस लिए लिखी होती है क्योंकि इससे ज़मीन की चढ़ाई और ढलान पर ट्रेन की स्पीड मैनेज की जा सके। यानी की चढ़ाई पर ट्रेन की स्पीड को कितना हाई करना है या फिर ढलान पर ट्रैन की स्पीड को कितना कम इसका निर्धारण करने के लिए रेलवे स्टेशन्स पर अक्सर ये लिखा होता है जोकि लोको पायलेट के लिए होता है जो ट्रैन की स्पीड को मैनेज करता है। इसके अलावा ट्रेन के उपर लगे बिजली के तार के लिए भी ऊँचाई को ट्रेन से मैनेज करने के लिए भी होता है।
मान लेते हैं की किसी स्टेशन पर समुद्र तल से औसत ऊँचाई 500 मीटर लिखी हुई है और ट्रेन वहाँ नीचे की ओर माना की 250 मीटर की ऊँचाई पर जायेगा तो उसके लिए लोको पायलेट को स्पीड औसतन तेज़ करना पड़ेगा। ट्रैन की स्पीड कितनी तेज़ की जाएगी ये दूरी और समय पर लोको पायलेट कण्ट्रोल करेगा।