अयोध्या में भगवान राम की मूर्तियां बनाने वाले मुस्लिम कलाकारों ने क्या कहा?

Shree Ram-

Muslim Sculptors Craft Statue of Lord Ram For Ayodhya: मूर्तियां बनाने वाले मूर्तिकारों ने कहा कि एक आदमकद फाइबर मूर्ति बनाने में लगभग 2.8 लाख रुपए लगते हैं. दोनों कलाकार पश्चिम बंगाल से हैं. उन्होंने कहा कि अयोध्या में राम मंदिर के आगामी भव्य उद्घाटन के लिए भगवान राम की मूर्तियां तैयार की हैं. मूर्तिकारों ने बताया कि उन्होंने मां दुर्गा की भी विशाल मूर्तियां बनाई हैं जिन्हे काफी लोकप्रियता मिली है.

Ram Temple Construction: पश्चिम बंगाल के उत्तर परगना जिले के दो मुस्लिम मूर्तिकारों ने अयोध्या में राम मंदिर (Ram Mandir in Ayodhya) के आगामी भव्य उद्घाटन के लिए भगवान राम की मूर्तियां तैयार की हैं. मोहम्मद जमालुद्दीन और उनके बेटे बिट्टू इन भव्य मूर्तियों को बनाने में लगे हुए हैं. जो मंदिर परिसर की शोभा बढ़ाएंगी। बाप-बेटे की इस जोड़ी के काम को पहले ऑनलाइन देखा गया. जिसके कारण उन्हें अयोध्या से भगवान राम की मूर्तियां बनाने का एक ऑर्डर मिला। एक रिपोर्ट के मुताबिक जमालुद्दीन ने बताया कि मिट्टी की तुलना में फाइबर की मूर्तियां ज्यादा महंगी होती हैं. लेकिन फाइबर की मूर्तियां हर तरह के मौसम का सामना कर सकती हैं और उनका जीवन काल अधिक होता है.

धर्म एक निजी बात है.

मूर्ति बनाने वाले जमालुद्दीन ने कहा कि इन्हीं खूबियों की वजह से मूर्तियों को आउटडोर में लगाने के लिए सबसे पसंदीदा विकल्प बनाता है. एक आदमकद फाइबर मूर्ति की कीमत लगभग 2.8 लाख रुयपे हो सकती है. मगर इनको तैयार करने में लगने वाला शिल्प कौशल कीमत को जायज ठहराने के लिए पर्याप्त है. जब मूर्तिकारों से पूछा गया कि क्या वे इस काम को करने से पहले असमंजस में थे, तो जमालुद्दीन ने कहा कि “धर्म एक निजी बात है” हमारे देश में विभिन्न धर्मों के लोग हैं. हम सभी को एक साथ रहना होगा। मुझे भगवान राम की मूर्ति बनाकर बेहद खुशी महसूस हुई. मैं यही कहूंगा कि भाईचारे की यही संस्कृति है. एक कलाकार के तौर पर मैं सबको यही संदेश देना चाहता हूं.

मूर्तियों को ले जाने में 45 दिन लगते हैं

जमालुद्दीन ने आगे कहा कि ‘न केवल राम की’ बल्कि मैंने मां दुर्गा और जगधात्री की भी विशाल मूर्तियां बनाई हैं, जिन्हें काफी लोकप्रियता भी मिली है. उन्होंने गर्व से कहा कि वह वर्षों से विभिन्न हिंदू देवताओं की फाइबर मूर्तिया बना रहे हैं और वे जिस सांस्कृतिक सद्भाव का प्रतिनिधित्व करते हैं, उसे संजोते भी हैं. उनके नाम पर कार्यशाला चलाने वाले बिट्टू ने बताया कि एक आदमकद मूर्ति बनाने 30 से 35 लोगों की टीम और लगभग एक से डेढ़ महीने का समय लगता है. साथ ही इन मूर्तियों को अयोध्या ले जाने में 45 दिन का समय लग सकता है.

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