मोहन भागवत की मुस्लिम धर्म गुरुओं से क्या बात हुई

What did Mohan Bhagwat talk to Muslim religious leaders about: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के सरसंघचालक मोहन भागवत (Mohan Yadav) ने गुरुवार, 24 जुलाई 2025 को दिल्ली के हरियाणा भवन में 70 से अधिक मुस्लिम धर्मगुरुओं, बुद्धिजीवियों, मौलानाओं और विद्वानों के साथ एक महत्वपूर्ण बैठक की। इस ढाई घंटे से अधिक समय तक चली बैठक में आरएसएस के महासचिव दत्तात्रेय होसबाले (Dattatreya Hosabale), सह-महासचिव कृष्ण गोपाल (Krishna Gopal), राम लाल और इंद्रेश कुमार के साथ-साथ अखिल भारतीय इमाम संगठन के प्रमुख उमर अहमद इलियासी (Umar Ahmed Ilyasi) भी मौजूद थे। बैठक का मुख्य उद्देश्य सामाजिक सद्भाव, धार्मिक समावेशिता और राष्ट्रीय एकता को बढ़ावा देना था। बैठक की प्रमुख बातें

  • सामाजिक एकता पर चर्चा: मोहन भागवत ने जोर दिया कि भारत की विविधता में एकता ही इसकी ताकत है। उन्होंने सभी समुदायों से मिलकर देश के विकास और सामाजिक सौहार्द को मजबूत करने की अपील की।
  • धार्मिक समावेशिता: बैठक में धार्मिक समावेशिता को बढ़ावा देने पर विचार-विमर्श हुआ। भागवत ने कहा कि सभी धर्मों के बीच आपसी समझ और सहयोग से सामाजिक तनाव कम किया जा सकता है।
  • मुस्लिम राष्ट्रीय मंच की भूमिका: आरएसएस से संबद्ध मुस्लिम राष्ट्रीय मंच (एमआरएम) के माध्यम से मुस्लिम समुदाय के साथ संवाद को और गहरा करने की योजना पर चर्चा हुई। एमआरएम पहले भी “एक राष्ट्र, एक ध्वज, एक राष्ट्रगान” की अवधारणा को बढ़ावा देने के लिए अभियान चला चुका है।
  • लव जिहाद और जनसंख्या नियंत्रण जैसे मुद्दे: दत्तात्रेय होसबाले ने लव जिहाद और धार्मिक रूपांतरण जैसे संवेदनशील मुद्दों पर सख्त कानूनों की वकालत की। उन्होंने कहा कि धोखाधड़ी से विवाह और धर्मांतरण की प्रथाओं का विरोध होना चाहिए।
  • आगामी योजनाएं: बैठक में भविष्य में और ऐसी बैठकों के आयोजन पर सहमति बनी, ताकि विभिन्न समुदायों के बीच संवाद और सहयोग को बढ़ाया जा सके।


यह बैठक आरएसएस की उस कोशिश का हिस्सा मानी जा रही है, जिसमें वह विभिन्न धार्मिक समुदायों के साथ संवाद बढ़ाने और सामाजिक एकता को मजबूत करने पर जोर दे रहा है। इससे पहले सितंबर 2022 में भी मोहन भागवत ने मुस्लिम बुद्धिजीवियों से मुलाकात की थी, जिसमें धार्मिक समावेशिता पर चर्चा हुई थी। इस बार की बैठक में उमर अहमद इलियासी जैसे प्रमुख मुस्लिम नेताओं की मौजूदगी ने इसे और महत्वपूर्ण बना दिया। बैठक के बाद कुछ मुस्लिम धर्मगुरुओं ने इसे सकारात्मक कदम बताया और कहा कि ऐसी पहल से समुदायों के बीच गलतफहमियां दूर हो सकती हैं। हालांकि, कुछ विपक्षी नेताओं ने इस बैठक को राजनीतिक रणनीति का हिस्सा बताते हुए सवाल भी उठाए हैं।

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