Justice Yashwant Varma Case: दिल्ली हाईकोर्ट के जस्टिस यशवंत वर्मा पर उनके स्टोररूम में नकदी रखने के आरोप लगे हैं, जिसे उन्होंने खारिज कर दिया है. मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना ने जांच के लिए एक समिति का गठन किया है.
दिल्ली हाईकोर्ट के जज यशवंत वर्मा इन दिनों बड़े विवाद से घिरे हुए हैं. उन पर आरोप है कि उनके घर के स्टोररूम में भारी मात्रा में नोटों की गड्डियां रखी हुई थीं, जो होली के वक्त उनके घर में आग लगने की वजह से जल गईं. हालांकि जस्टिस वर्मा ने इन आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि यह स्टोररूम उनके मुख्य आवास से अलग है और कई लोगों की पहुंच में है.
दिल्ली हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश देवेंद्र कुमार उपाध्याय को दिए गए जवाब में जस्टिस वर्मा ने कहा कि 14 मार्च की रात होली के दिन उनके सरकारी आवास के पास स्थित स्टोररूम में आग लग गई थी. उन्होंने कहा कि यह कमरा आमतौर पर उनके सभी कर्मचारी पुराने फर्नीचर, बोतलें, क्रॉकरी, गद्दे, इस्तेमाल किए हुए कालीन आदि सामान रखने के लिए इस्तेमाल करते थे. यह कमरा अधिकतर खुला रहता था और इसमें दोनों तरफ से प्रवेश किया जा सकता था। एक आधिकारिक गेट से और दूसरा स्टाफ क्वार्टर के पीछे वाले दरवाजे से.
एमपी गए थे जस्टिस वर्मा
जस्टिस वर्मा ने कहा कि घटना के समय वे अपनी पत्नी के साथ मध्य प्रदेश में थे और उस समय उनके दिल्ली स्थित आवास में केवल उनकी बेटी और बुजुर्ग मां मौजूद थीं. भोपाल से वे 15 मार्च को इंडिगो की फ्लाइट से दिल्ली लौटे. उन्होंने कहा कि जब घर में आधी रात के करीब आग लगी, तो उनकी बेटी और निजी सचिव ने दमकल विभाग को इसकी सूचना दी. जब आग बुझा दी गई और परिवार के सदस्य मौके पर पहुंचे, तो उन्हें वहां कोई नकदी नहीं मिली.
घटना को बताया हास्यास्पद
जस्टिस वर्मा ने जोर देकर कहा कि उन्होंने या उनके परिवार के किसी भी सदस्य ने उस स्टोररूम में नकदी नहीं रखी. उन्होंने खुद पर लगे आरोप को पूरी तरह हास्यास्पद बताया. उन्होंने कहा कि जब वे दिल्ली लौटे, तब उन्हें पूरी घटना की पूरी जानकारी मिली. जस्टिस वर्मा ने कहा कि जब मुख्य न्यायाधीश देवेंद्र कुमार उपाध्याय ने उन्हें फोन कर घटना के बारे में बताया, तब तक उन्हें यही बताया गया था कि आग लगने का कारण शॉर्ट सर्किट था।
जस्टिस यशवंत वर्मा ने आगे कहा कि जब मुख्य न्यायाधीश उपाध्याय ने उनके प्रमुख निजी सचिव को घटनास्थल पर भेजने के लिए कहा, तो उन्होंने इसकी अनुमति दी. उस रात प्रमुख निजी सचिव वहां पहुंचे और जब जस्टिस वर्मा और उनके निजी सचिव ने साथ मिलकर जले हुए कमरे का निरीक्षण किया, तो उन्हें वहां कोई भी नकदी या नोटों की गड्डी नहीं मिली. उन्होंने कहा कि जब अगले दिन, 16 मार्च को अदालत की कार्यवाही शुरू होने से पहले उन्होंने मुख्य न्यायाधीश उपाध्याय से मुलाकात की, तो उन्हें एक वीडियो दिखाया गया, इस वीडियो को दिल्ली पुलिस आयुक्त ने साझा किया था.
वीडियो देखकर हो गए अचंभित
जस्टिस वर्मा ने लिखा कि मैं इस वीडियो को देखकर पूरी तरह अचंभित रह गया, क्योंकि इसमें दिखाया गया दृश्य उस जगह से पूरी तरह अलग था, वीडियो मैंने खुद अपनी आंखों से देखा था. उन्होंने कहा कि घटना उन्हें फंसाने और बदनाम करने की साजिश है. उन्होंने यह भी कहा कि दिसंबर 2024 में उनके खिलाफ सोशल मीडिया पर कई तरह की अफवाहें फैलाई गई थीं। यह घटना उसी साजिश का हिस्सा लगती है.
उन्होंने कहा कि उनके परिवार के सभी लेनदेन, यूपीआई एप्लिकेशन और कार्ड के माध्यम से होते हैं और नकद लेनदेन का कोई सवाल ही नहीं है. उन्होंने यह भी बताया कि जिस वीडियो में कथित रूप से जली हुई नोट दिखाई गई हैं, वह घटनास्थल पर उनके मौजूद होने के दौरान नहीं दिखीं.
न्यायिक कार्यों से दूर किए गए जस्टिस वर्मा
मामले को गंभीरता से लेते हुए, भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) संजीव खन्ना ने इस मामले की जांच के लिए तीन सदस्यीय समिति का गठन किया है। इस समिति में हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जीएस संधावालिया, पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश शील नागू और कर्नाटक हाईकोर्ट की न्यायाधीश अनु शिवरामन को शामिल किया गया है. दिल्ली हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को निर्देश दिया गया है कि जस्टिस वर्मा को फिलहाल कोई न्यायिक कार्य न सौंपा जाए.