आपराधिक कानूनों (Criminal Law) के संशोधन को लेकर एक महत्वपूर्ण खबर सामने आई है! दरअसल, 6 नवंबर 2023 को गृहमंत्रालय में भारतीय जनता पार्टी के सांसद बृजलाल की अध्यक्षता में समिति की बैठक हुई थी, जिसमें मौजूदा आपराधिक कानूनों की जगह लेने वाले विधेयकों पर तीन मसौदा रिपोर्ट को स्वीकृति मिली है. अंग्रेजों के जमाने से चले आ रहे हैं आपराधिक कानून भारतीय दंड संहिता (IPC), दंड प्रक्रिया संहिता (CrPC) और भारतीय साक्ष्य अधिनियम को काफी समय से बदलने की मांग की जा रही थी, जिसपर समिति ने 3 महीने का समय मांगा था जो की 11 अगस्त से चलकर आज 6 नवंबर को खत्म हो चुका है.
27 अक्टूबर 2023 को हुए इस बैठक में ड्राफ्ट रिपोर्ट को स्वीकार नहीं किया गया था क्योंकि इसके लिए कुछ विपक्षी सदस्यों द्वारा थोड़ा और अधिक समय की मांग की गई थी. जिस पर कमेटी ने भी हामी भरी थी और उन्हें ड्राफ्ट पड़ने के लिए और समय मिल गया था.
ड्राफ्ट स्टडी करने के लिए मांगा तीन महीने का समय
यह पहली बार नहीं था जब समय को और बढ़ाने की मांग की गई थी. इससे पूर्व कमेटी के अध्यक्ष बृज लाल से ड्राफ्ट का अध्यन करने के लिए कांग्रेस नेता पी. चिंदबरम समेत कई विपक्षी नेताओं ने समयसीमा को तीन महीने बड़ाने का आग्रह करते हुए कहा था कि “चुनावी लाभ के लिए इन 3 विधेयकों को उछलना सही नहीं है.”
अमित शाह ने पेश किए थे तीन विधेयक
संसद में 163 साल पुराने तीन कानूनों में संशोधन के लिए 11 अगस्त 2023 को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह द्वारा लोकसभा में बिल पेश किए गए थे, जिसपर अमित शाह का भारतीय साक्ष्य अधिनियम और भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता लाने से जुड़े विधेयक को पेश करते हुए कहना था कि, “अंग्रेजों के जमाने के कानून का मूल उद्देश्य दंड देना था जबकि प्रस्तावित कानून का उद्देश्य न्याय देना है.” बता दें कि इन तीनों विधेयकों में से सबसे अधिक संशोधन राजद्रोह कानून को लेकर किए जायेंगे. इन 3 बिल में इंडियन पीनल कोड (IPC), क्रिमिनल प्रोसेसर कोड (CrPC) और एविडेंस एक्ट शामिल है.
बदलाव किए गए कानूनों में अंतर
•इंडियन पीनल कोड (Indian Penal Code) – इस नियम को 1860 में लागू किया गया था, जिसे अब बदल कर भारतीय न्याय संहिता 2023 किया गया है.
•सीआरपीसी (CrPC) – इस नियम को 1898 में लागू किया गया था, जिसे अब बदलकर भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023 किया गया है.
•इंडियन एविडेंस कोड (Indian Evidence Code) – इस नियम को 1872 में लागू किया गया था, जिसे अब बदलकर भारतीय साक्ष्य संहिता 2023 किया गया है.
विधेयकों में परिवर्तन से मौजूदा प्रावधान पर प्रभाव
•IPC में कुल 511 धाराएं हैं, जिनमें से अब वर्तमान में 356 बचेंगी और 175 धाराएं बदल जाएंगी, तथा 8 और नई जुड़ेंगी और 22 धाराएं खतम हो जाएंगी.
•CrPC में कुल 533 धाराएं हैं, जिनमें से 160 धाराएं बदल जाएंगी, तथा 9 और नई जुड़ेंगी साथ ही 9 धाराएं खतम हो जाएंगी.
•ट्रायल कोर्ट में सभी फैसले 3 साल के अंतर्गत देने होंगे.
•भारत में वर्तमान में 5 करोड़ केस पेंडिंग हैं, जिनमें से 4.44 करोड़ केस ट्रायल कोर्ट में है. वहीं, डिस्ट्रिक्ट कोर्ट में भी जज के 25,042 पदों में से अभी भी 5,850 पद रिक्त है.