Fundamental Duties: भारतीय संविधान दुनिया का सबसे लम्बा लिखित संविधान है.ये स्वतंत्रता संग्राम की पृष्ठभूमि पर लिखा गया था इसलिए इसमें उन अधिकारों का ध्यान रखा गया जिनके लिए स्वतंत्रता सेनानियों ने लम्बी लड़ाई लड़ी.इनअधिकारों को संविधान के अनुच्छेद 12 से 35 तक समाहित किया गया है.
महात्मा गाँधी ने कहा था कि हमारे अधिकारों का श्रोत हमारे कर्तव्य होते हैं और अगर हम हमारे कर्तव्यों का सही से निर्वाहन करते हैं तो हमे अपने अधिकारों के लिए लड़ाई नहीं लड़नी पड़ती।संयुक्त राष्ट्र का ह्यूमन राइट चार्टर का आर्टिकल 29 कहता है कि व्यक्तियों के अधिकार उनके कर्तव्यों से संतुलित होते हैं.आज हम बात करने जा रहे हैं संविधान के चैप्टर 4[a] के आर्टिकल 51[a] में समाहित मौलिक कर्तव्यों की जिन्हे अंग्रेजी में Fundamental Duties कहते हैं.
सबसे पहले बात कर लेते हैं मौलिक कर्तव्यों के इतिहास की.भारतीय इतिहास में वैदिक काल से ही मौलिक कर्तव्यों का ज़िक्र मिलता है लेकिन कभी भी इसे आधिकारिक रूप नहीं दिया गया.मौलिक कर्तव्यों को क्यों संविधान का हिस्सा बनाया गया? इससे पहले कब बनाया गया जान लेते हैं. तो समझने में आसानी होगी।
साल 1976 में सरदार स्वर्ण सिंह कमिटी की सलाह के बाद संविधान में 42 वें संसोधन के साथ मौलिक कर्तव्य कार्यान्वन में आये.ये वो दौर था जब इंदिरा गाँधी देश की प्रधानमंत्री थी और भारत में इमरजेंसी लगी हुई थी.ये वो दौर भी था जब भारत में लोगों के भीतर से देशप्रेम या पैट्रिऑटिस्म की भावना कम हो रही थी.नक्सलवाद तेजी से उभर रहा था.और खालिस्तानी मूवमेंट देश में पाँव पसार रहा था.ऐसे में सरकार को लगा कि ये जरुरी है कि लोगों को उनके कर्तव्यों से अवगत कराया जाये।इसलिए असामजिक गतिविधियों के खिलाफ और लोगों को उनके अधिकारों का बोध करवाने के लिए मौलिक कर्तव्यों को संविधान में जगह दी गयी.
मौलिक कर्तव्य अपनी प्रकृति में Non Enforceable हैं यानि इनका पालन न करने पर किसी भी तरह की सजा का प्रावधान नहीं है.लोगों का कहना है कि ये एक लूपहोल भी है और इसकी संजीदगी को कम करता है.
हमने शुरू में ही बताया था कि मौलिक कर्तव्य संविधान में 42 वें संसोधन से लाया गया.ये इतना वास्ट है कि इसे अपने आप में mini constitution कहा जाता है.संविधान में शुरुआत में 10 कर्तव्यों का ज़िक्र किया गया था. बाद में 86 th अमेंडमेंट के साथ अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में 11 वीं ड्यूटी इसमें जोड़ दी गयी
ये कर्तव्य कुछ इस तरह से हैं-
- संविधान का पालन करें और उसके आदर्शों,सस्थाओं ,राष्ट्र ध्वज और राष्ट्र गान का आदर करें
- स्वतंत्रता के लिए हमारे राष्ट्रीय आंदोलन को प्रेरित करने वाले उच्च आदर्शों को ह्रदय में संजोये रखें और उनका पालन करें।
- भारत की प्रभुता,एकता और अखंडता की रक्षा करें और उसे अक्षुण रखें
इससे पहले हम आगे के मौलिक कर्तव्यों की बात करें एक केस का ज़िक्र कर लेते हैं जो विषय को और बेहतरी से समझाएगा।
केस का नाम है Bijoe Emmanueal vs State of Kerala
संक्षिप्त में बात करते हैं bijoe emmanuel ईसाई धर्म से ताल्लुक रखते हैं 1985 में उनके तीन बच्चों को स्कूल से इसलिए निकल दिया जाता है क्योंकि वो राष्ट्रगान के लिए खड़े तो होते थे लेकिन राष्ट्रगान गाते नहीं थे.जिसको लेकर मामला इतना आगे बढ़ गया कि कांग्रेस विधायक vc kabir ने विधानसभा में ये मामला उठा दिया।emmanuel का कहना था कि वो सिर्फ अपने धर्म के ईश्वर की ही स्तुति कर सकते हैं इसपर एक कमिटी का गठन हुआ जिसमे ये निकल कर आया कि बच्चों ने राष्ट्रीय गान का अपमान नहीं किया है लेकिन उन्हें लिखित में देना होगा कि वो आगे से राष्ट्रगान गाएंगे।हालाँकि ऐसा करने पर emmnuel ने मना कर दिया और हाई कोर्ट गए वहां कोर्ट ने दो बार उनकी अर्जी ठुकरा दी जिसके बाद वो सुप्रीम कोर्ट गए और वहां वो केस जीत गए कोर्ट ने कहा कि इस वक्त हम कह सकते हैं कि ऐसा कहीं नहीं लिखा है कि राष्ट्रगान बजने के दौरान उसे गाना जरुरी है.उसके सम्मान में खड़ा होना ही काफी है.
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ये मामला मौलिक कर्तव्यों और उसकी विषेशताओं का बेहतरीन उदाहरण है.
बाकि के बचे हुए मौलिक कर्तव्यों की बात कर लेते हैं
- देश की रक्षा और की सेवा करें।
- भारत के सभी लोगों में समरसता यानि harmony और समान भ्रातृत्व की भावना का निर्माण करें जो धर्म,भाषा या वर्ग पर आधारित सभी भेदभाव से परे हो,ऐसी प्रथाओं का त्याग करें जो स्त्रियों के सम्मान के विरुद्ध हो
- हमारी सामरिक संस्कृति यानि composite culture ,विभिन्न विभागों से सम्बन्ध भी गौरवशाली परंपरा का महत्व समझें और उसका परिक्षण करें।
- प्राकृतिक पर्यावरण की जिसके अन्तर्गत वन,झील,नदी और वन्य जीव हैं रक्षा करें और उसका संवर्धन करें तथा प्राणिमात्र के प्रति दयाभाव रखें।
- वैज्ञानिक दृष्टिकोण,मानववाद और ज्ञानार्जन तथा सुधार की भावना का विकास करें
- सार्वजनिक संपत्ति को सुरक्षित रखें और हिंसा से दूर रहें।
- व्यक्तिगत और सामूहिक गतिविधिओं के सभी क्षेत्रों में उत्कर्ष की और बढ़ते हुए प्रयत्न और उपलब्धि की नयी ऊंचाइयों को छू लें.
- ग्यारवीं और आख़िरी ड्यूटी है कि अगर माता पिता या कोई और संरक्षक है,6 साल से 14 साल तक की आयु वाले अपने यथास्थिति बालक या प्रतिपालक के लिए शिक्षा के अवसर प्रदान करें।
भारतीय मौलिक कर्तव्यों की प्रेरणा USSR यानि उस वक्त के सोवियत संघ से ली गयी है हालाँकि इसे भारत की वस्तुस्थिति के हिसाब से मोल्ड करके फिर कार्यान्वन में लाया गया.
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