Weather Impact: मई में ठंडाहट से बिजली की मांग घटी, कीमतें ज़ीरो हुईं!

Weather Update: सबसे गर्म महीनों में मई महीने का नाम होता है. और इसी कारण बिजली की खपत भी बढ़ जाती है. लेकिन इस साल ऐसा ना होकर कुछ अजूबा हुआ है. मई 2025 में असामान्य रूप से ठंडा मौसम भारत के कई हिस्सों में छाया रहा, जिसके चलते बिजली की मांग में भारी कमी देखी गई. इस अप्रत्याशित मौसमी बदलाव ने बिजली एक्सचेंजों पर कीमतों को शून्य के स्तर तक पहुंचा दिया, जो ऊर्जा क्षेत्र के लिए एक दुर्लभ और उल्लेखनीय घटना है.

कम हो गई कीमतें

गौरतलब है कि, देश भर के विद्युत एक्सचेंज में बिजली की कीमतें महीने में 1 वर्ष पहले की तुलना में 25% कम हो गई. जिसके पीछे का कारण है मई महीने में बेमौसम बारिश के कारण तापमान में कमी आना. मई का महीना आमतौर पर भारत में गर्मी का पीक सीजन होता है, जब एयर कंडीशनर और कूलर की मांग बिजली की खपत को चरम पर ले जाती है. लेकिन इस साल ठंडे मौसम और बारिश ने तापमान को अप्रत्याशित रूप से नीचे ला दिया है. नतीजतन, घरों और व्यवसायों में कूलिंग डिवाइसेज का उपयोग कम हुआ, जिससे बिजली की मांग में कमी आई है.

औसत अनुमान यह था

जबकि इस साल में मई महीने के लिए यह अनुमान लगाया था कि देश बिजली की मांग 266 गीगावॉट अधिकतम रहेगी. लेकिन पिछले कुछ समय से बेमौसम बारिश और आंधी तूफान के कारण 28 मई केवल 237 गीगावॉट ही बिजली की मांग दर्ज हुई. मई महीने में बिजली की खपत से यह साल दर साल से 4% कम है.

बाजार में बिजली की अधिकता

आंधी तूफान के कारण ऊर्जा के नवीनीकरण स्रोत जैसे सौर ऊर्जा, पवन ऊर्जा ने इस दौरान काफी अच्छा प्रदर्शन किया. पर्याप्त सौर उत्पादन और हाइड्रोपावर की उपलब्धता ने बिजली की आपूर्ति को और बढ़ा दिया, जिससे बाजार में बिजली की अधिकता हो गई.

शून्य पर आ गई कीमतें

बिजली की कीमतें मांग और आपूर्ति के आधार पर तय होती हैं. जब मांग कम होती है और आपूर्ति अधिक, तो कीमतें गिर जाती हैं. इस बार मांग में भारी कमी और आपूर्ति की अधिकता के कारण कीमतें शून्य तक पहुंच गईं. कीमतें शून्य तक पहुंचाने का मतलब यह नहीं है कि यह मुफ्त में उपलब्ध होती है. इस दौरान भी डिस्ट्रीब्यूशन कंपनियों को कई शुल्क देने पड़ते हैं. इस स्थिति के कारण बिजली डिस्ट्रीब्यूटर्स कंपनियों को काफी नुकसान हुआ है.

हालांकि बिजली उपभोक्ताओं के लिए यह एक सकारात्मक खबर हो सकती है. इसके अलावा बिजली की कीमत कम होना एक्सचेंज के लिए भी खुशखबरी साबित हुई क्योंकि इस दौरान ट्रेडिंग वॉल्यूम में वृद्धि हुई. बिजली का लगभग 7% व्यापार देश में विद्युत एक्सचेंजों के माध्यम से होता है.

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