Wayanad Landslides News: वायनाड में साल 2019 में भी भूस्खलन की घटना हुई थी। उस घटना के दौरान 17 लोगों की जान गई थी और अब एक बार फिर कई मासूमों को अपनी जान गवानी पड़ी है। दर्जनों लाशें मिट्टी के नीचे से निकल चुकी हैं और अभी भी कइयों के दबने की आशंका है, लेकिन केरल का वायनाड अकेला जिला नहीं है, जहां भूस्खलन की घटना हुई है। कोट्टायम, इडुकी जैसे जिले भी इस समस्या से परेशान हैं। लेकिन सवाल उठता है कि आखिर वायनाड में ऐसी घटना हो रही है?
आखिर क्यों धंसता जा रहा है केरल?
पहले केरल में ऐसी घटनाएं कम होती थी, लेकिन कुछ सालों से यह तेजी से बढ़ी हैं। साल 2019 में वायनाड के कुरिचियामला इलाके में 4000 मिलिमीटर बारिश हुई थी। जबकि एक दशक में होने वाली बारिश का औसत ही 2200 मिलिमीटर है। यानी भयानक बारिश की आशंका लगातार बनी रहती है।
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इस भूस्खलन की घटना ने करीब 90 लोगों की जान ले ली है। सैकड़ों लोग इस आपदा में घायल हुए हैं और उनका अस्पतालों में इलाज चल रहा है। इस प्राकृतिक आपदा का असर घटना वाली तीनों जगह दिख रहा है। साल 2018 की बाढ़ के बाद चूरलमाला भूस्खलन केरल की सबसे बड़ी आपदा है। भूस्खलन के चलते चूरलमाला बाजार ही गायब हो गया है। कितने घर नष्ट हुए इसकी कोई गिनती नहीं है।
क्यों होते हैं इतने ज्यादा भूस्खलन?
दरअसल, इन भूस्खलन की वजह जंगल की कटाई है। केरल 100 वर्षों से ज्यादा समय से चाय के बागानों के लिए जाना जाता रहा है। लेकिन पेड़-पौधों के प्रजातियों में आने वाली कमी से जंगलों में कमी आई है। जंगल भी तेजी से कटे हैं। जलवायु परिवर्तन की वजह से बारिश का पैटर्न भी बदल गया है, जिसकी वजह से ढलानों वाले इलाकों में भूस्खलन बढ़ता जा रहा है।
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