नेटफ्लिक्स पर रिलीज हुई साल की पहली ओरिजिनल (?) फिल्म ‘धूम धाम’ (DHOOM DHAAM) के टीजर, ट्रेलर और पोस्टर को देखकर लग रहा था कि यह फिल्म वैलेंटाइन डे पर लव स्टोरी का हल्का-फुल्का मनोरंजन परोसेगी। प्यार में रहस्य और रोमांच का तड़का होगा और यामी गौतम और प्रतीक गांधी की जोड़ी दर्शकों का खूब एन्जॉय करेगी। लेकिन, ऐसा कुछ होता नजर नहीं आ रहा है।
एंटरटेनमेंट में कमजोर साबित हुई
कई बार ऐसा लगता है कि फिल्म को सवा गुना, डेढ़ गुना और दो गुना स्पीड पर खत्म करने का ये साधन नेटफ्लिक्स वालों ने ‘धूम धाम’ (DHOOM DHAAM) जैसी फिल्मों के लिए ही निकाला होगा। आपकी फिल्म ख़त्म हो गई है। उन्हें व्यूज मिले। नेटफ्लिक्स में भी कोई तो होगा, जो दर्शकों से ऐसी फिल्मों पर हर महीने 499 रुपये खर्च करवाकर अपनी ‘प्रोफाइल’ मजबूत कर रहा है।
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DHOOM DHAAM में दोनों का किरदार खास नहीं
फिल्म ‘धूम धाम’ (DHOOM DHAAM) कोयल और वीर की कहानी है। कोयल झूठ बोलने में माहिर होती है। हमारा वीर तो पूरा बेवकूफ है। आखिरी वक्त में उसे ऊंचाई से डर लगने लगता है। बंद जगहें उसे काटने को दौड़ती हैं और जब मौत उसका पीछा कर रही होती है तब भी वह यातायात नियमों का पालन करते हुए गाड़ी चलाता है। दो गुट उनके पीछे हैं जो गोलियां चला रहे हैं। दोनों एक ‘चार्ली’ की तलाश में हैं। लगता है मामला सुलझेगा। आपको यामी का एक्शन अवतार भी यहां देखने को मिलेगा। फिल्म के क्लाइमेक्स में जब आपका पार्टनर पिट रहा हो तो आपको उसे ये भी बताना होगा कि मजबूत रहो, कुछ नहीं होगा! ऐसे डायलॉग कौन लिखता है भाई?
कमजोर कहानी और डायलॉग
दो संपन्न परिवारों के बीच शादी की रस्में पूरी होने से शुरू होने वाली चोर-पुलिस और पुलिस-पुलिस की यह कहानी बेहद कमजोर है। यहां हीरो को कमजोर बना दिया गया है और नायिका को चतुर सुजान। यहां कहानी उल्टी हो जाती है। प्रतीक गांधी ने जानवरों के डॉक्टर का किरदार निभाया है और फिल्म में एक कुत्ता है जो कहीं भी अपनी शरारती हरकतें शुरू कर देता है। हास्य का ऐसा व्यंग्यात्मक रूप पहले दादा कोंडके की फिल्मों में ही देखने को मिला होगा। कहानी, पटकथा और संवाद के नाम पर फिल्म में ऐसा कुछ भी नहीं है जिसे देखकर या सुनकर दिल खुश हो जाए।