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Wagh Bakri Excutive Director Died: वाघ बकरी ग्रुप के कार्यकारी निर्देशक पराग देसाई का निधन

Wagh Bakri Tea

Wagh Bakri Tea

पराग देसाई 15 अक्टूबर को उस वक़्त घायल हो गए थे जब वह इस्कॉन अंबलि रोड के पास सुबह की सैर पर निकले थे. उनपर स्ट्रीट डॉग्स ने हमला कर दिया, इसके बाद उनके सिर में गंभीर चोट आई, जिससे उन्हें ब्रेन हेमरेज होगया था.

Parag Desai Wagh Bakri Tea Death News : गुजरात टी प्रोसेसर्स एंड पैकर्स लिमिटेड के एक्सक्यूटिव डायरेक्टर पराग देसाई का रविवार शाम को 49 वर्ष की आयु में एक निजी अस्पताल में निधन हो गया. गुजरात टी प्रोसेसर्स एंड पैकर्स लिमिटेड अपने प्रतिष्ठित चाय ब्रांड- वाघ बकरी चाय के लिए सबसे लोकप्रिय है.

Parag Desai Koun The? पराग देसाई उस वक़्त दुर्घटना के शिकार हो गये जब वह 15 अक्टूबर की सुबह अपने घर के पास इस्कॉन रोड पर सैर के लिए गए थे. अचानक स्ट्रीट डॉग्स ने उन पर हमला कर दिया। उस दौरान आवारा कुत्तों से खुद को बचाते हुए वे फिसलकर गिर गए थे जिससे उनके सिर पर गंभीर चोट आई जिससे उन्हें ब्रेन हेमरेज हो गया. इसके बाद उन्हें अहमदाबाद के एक निजी अस्पताल ले जाया गया और हालत बिगड़ने पर हेबतपुर रोड पर एक अन्य निजी अस्पताल में स्थानांतरित कर दिया गया। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार उनकी तुरंत सुर्जरी की गई और निधन से पहले उन्हें साथ दिनों तक वेंटिलेटर में रखा गया था. जहां उनका स्वस्थ लगातार बिगड़ता गया जिससे रविवार शाम को मौत हो गई थी.

कौन थे पराग देसाई?

How was Parag Desai: पराग देसाई वाघ बकरी चाय ग्रुप के मैनेजिंग डायरेक्टर रसेश देसाई के बेटे थे. पराग कंपनी के ग्रुप ऑफ़ डायरेक्टर में से एक थे. पराग अग्रवाल कंपनी में एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर के पोस्ट में थे. उन्होंने वाघ बकरी के लिए मार्केटिंग, सेल्स और एक्सपोर्ट डिपार्टमेंट का भी काम देखा था. पराग देसाई साल 1995 में इस कारोबार में शामिल हुए. उस समय कंपनी की कीमत 100 से भी कम थी. इस समय कंपनी का सालाना टर्नओवर 2000 करोड़ रूपए है. चाय का अकेले डिस्ट्रीब्यूशन करीब 50 मिलियन किलोग्राम है. वाघ बकरी कंपनी देश के 24 राज्यों में है और दुनिया के करीब 60 देशों में चाय एक्सपोर्ट करती है.

कब हुई कंपनी की शुरुआत?

Kaise hue wagh bakri company ki shuruat: गुजरात के नरणदास देसाई ने वाघ बकरी चाय की शुरुआत की थी. देसाई जब साल 1915 में साउथ अफ़्रीका से भारत लौटे तो वो अपने साथ महत्मा गांधी का एक सिफारिश सर्टिफिकेट लेकर आए थे. जिसमें महात्मा गाँधी ने लिखा था- मैं दक्षिण अफ्रीका में श्री नरणदास देसाई को जनता था, वहां वो कई सालों तक एक सफल चाय बागान के मालिक थे. नरणदास ने साल 1919 में अहमदाबाद में गुजरात चाय डिपो की स्थापना की. जिसके बाद 2 से 3 साल तक मार्केट बनाया। जल्द ही वो गुजरात के सबसे बड़े चाय निर्माता बन गए. इसके बाद साल 1934 में उन्होंने वाघ बकरी चाय ब्रांड लॉन्च किया।

वाघ बकरी नाम की कहानी-

Kya hai Wagh Bakri ke logo ki kahani: वाघ बकरी नाम का LOGO सामाजिक समानता का सन्देश देता है. इसमें वाघ और बकरी को एक कप में चाय पिलाते दिखाया गया है. इस Logo का मकसद ये बताना है कि- समाज का उच्च वर्ग और निम्न वर्ग एक साथ चाय पी सकते हैं. इस Logo के जरिए उच्च-नीच के भेद को मिटाने का संदेश दिया गया है.

देश की बड़ी चाय कंपनीयों शुमार-

देखते ही देखते वाघ बकरी चाय गुजरात का बहुत बड़ा ब्रांड बन गया. इसके बाद कंपनी ने देश में खुद को स्थापित करने का प्लान बनाया। साल 2009 तक कंपनी का विस्तार उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, राजस्थान, मध्य प्रदेश, समेत कई राज्यों में हो चुका था. आज के समय में कंपनी देश के 24 राज्यों में अपना कारोबार कर रही है. साल 1992 से कंपनी ने विदेश में भी चाय बेचना शुरू किया, विदेश में भी वाघ बकरी चाय की खूब डिमांड है. दुनिया भर के 60 देशों में चाय एक्सपोर्ट की जाती है.

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