MP News: मध्यप्रदेश में शुरू हुई गिद्धों की गिनती

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MP News: इस बार गिद्धों की गिनती साल में दो बार होगी। शीतकालीन गिद्ध गणना 17, 18 और 19 फरवरी को हो रही है, जबकि ग्रीष्मकालीन गिद्ध गणना 29 अप्रैल को की जाएगी। अगले 3 दिन तक गिद्धों की गिनती सुबह 7 से 8 बजे तक होगी।

MP News: मध्यप्रदेश में सोमवार से गिद्धों की गणना शुरू हो गई। यह अगले 3 दिन तक चलेगी। प्रदेश में गिद्धों का कुनबा लगातार बढ़ा है। इसके चलते ही पिछली 2 गणनाओं में गिद्धों की संख्या प्रदेश में सबसे ज्यादा है। वन विभाग के अनुसार, एमपी में गिद्धों की संख्या 10 हजार के ऊपर हो चुकी है । पन्ना टाइगर रिजर्व में सबसे ज्यादा गिद्ध हैं, तो वहीं भोपाल में सफेद पीठ वाले गिद्ध पाए जाते हैं।

Counting of Vultures in MP: इस बार गिद्धों की गिनती साल में दो बार होगी। शीतकालीन गिद्ध गणना 17, 18 और 19 फरवरी को हो रही है, जबकि ग्रीष्मकालीन गिद्ध गणना 29 अप्रैल को की जाएगी। अगले 3 दिन तक गिद्धों की गिनती सुबह 7 से 8 बजे तक होगी। ऐसे स्थान, जहां पर ऊंची चट्टान है, उन स्थानों पर अधिकतम 9 बजे तक गिनती होगी। केवल बैठे हुए गिद्धों की ही गिनती की जाएगी।

वन अमले को ट्रेनिंग दी जा चुकी

How many vultures are there in MP: प्रदेश में गिद्धों की संख्या और उनकी स्थिति का आंकलन करने के लिए गिद्ध गणना 2024-25 हो रही है। यह दो चरण में होगी। इस सर्वेक्षण के लिए वन विभाग के सभी सर्कल और डिवीजन स्तर पर मास्टर ट्रेनर और प्रशिक्षकों ने 27, 29 और 31 जनवरी को ट्रेनिंग दी थी। गिनती में 900 से अधिक अधिकारी, कर्मचारी, गिद्ध विशेषज्ञ और पक्षी प्रेमी हिस्सा ले रहे हैं।

एक्सपर्ट के मुताबिक, गिद्ध जल्दी अपना साथी या मैटिंग पेयर नहीं बनाते हैं। यह पक्षी असल में नर्वस किस्म का जीव है। इस मामले में शर्मिला कहा जा सकता है। गिद्ध कभी विलुप्त होने की कगार पर थे। मप्र सहित देशभर में ‘धरती के सफाई दूत’ की संख्या बुरी तरह घटती जा रही थी, लेकिन अब प्रदेश में इनकी संख्या लगातार बढ़ रही है।

हरियाणा से लाए गए थे गिद्ध

MP main Giddhon ki Sankhya: भोपाल के वन विहार नेशनल पार्क में करीब दो साल पहले हरियाणा से सफेद पीठ वाले 20 गिद्ध लाए गए थे। 1100 किलोमीटर की यात्रा करके यह भोपाल पहुंचे थे। वर्तमान में यह गिद्ध संरक्षण एवं संवर्धन केंद्र की एवरी में है। 20 सफेद पीठ वाले गिद्धों में 5 नर और 5 मादा, 10 सब एडल्ट गिद्ध थे।

अंडे से जीवित निकलने का सक्सेस रेट 50%

गिद्ध सालभर में एक ही बार अंडे देते हैं। ये अंडे साइज में यह मुर्गी के अंडे से तीन गुना बड़े होते हैं। मई-जून से अक्टूबर के दौरान मैटिंग सीजन और अंडे देने का समय होता है। अंडे से बच्चे जीवित निकलने का सक्सेस रेट 50% माना जाता है। यही वजह है कि आधे अंडे विकसित नहीं होते हैं। अंडे से 55 दिन में बच्चा निकलता है। चार महीने तक बच्चा घोंसले में रहता है। फिर वह उड़ने के लिए तैयार हो जाता है।

क्यों कम हो गई थी गिद्धों की संख्या

एक आंकड़े के अनुसार, वर्ष 1990 से 92 में भारत में 4 करोड़ गिद्ध थे। साल दर साल इनकी संख्या लगातार कम होती गई। पशुओं को दर्द, सूजन आदि के दौरान डायक्लोफेनाक दवा दी जाती थी। इनके खाने के बाद मरे हुए पशु या जानवर का मांस गिद्ध खाते हैं। इस दवा के प्रभाव से गिद्धों की ज्यादा मौत हो जाती थी। जिसके यह दवा प्रतिबंधित की गई।

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