ग्वालियर। विकसित भारत का रास्ता किसान के खेत से निकलता है। इसलिए कृषि के क्षेत्र में काम कर रही संस्थाओं और कृषि विद्यार्थियों की जिम्मेदारी है कि वे किसानों के जीवन में बदलाव एवं खुशहाली लाने में अपना योगदान दें। यह बाते उप राष्ट्रपति जगदीश धनखड़ ने ग्वालियर के राजमाता विजयाराजे सिंधिया कृषि विश्वविद्यालय में विद्यार्थियों एवं प्राध्यापकों के परस्पर संवाद कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कही है। उन्होने कहा कि प्रयास ऐसे हों कि किसान केवल फसल उत्पादक बनकर ही न रहें, अपितु वे एग्री-प्रीनियर (कृषि उद्यमी) बनें। उन्होंने कृषि विद्यार्थियों का आह्वान किया कि वे तकनीक और अनुसंधान का इस्तेमाल कर कृषि क्षेत्र में बदलाव के प्रबंधक बनें।
ये रहे मौजूद
संवाद कार्यक्रम में राज्यपाल मंगुभाई पटेल, मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव, केन्द्रीय संचार एवं पूर्वाेत्तर क्षेत्र विकास मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया, उप राष्ट्रपति की धर्मपत्नी डॉ. सुदेश धनखड़ और विश्वविद्यालय के कुलगुरू प्रो. अरविंद कुमार शुक्ला, जिले के प्रभारी एवं जल संसाधन मंत्री तुलसीराम सिलावट ने कार्यक्रम में हिस्सा लिया।
पोस्ट हार्वेस्ट मैनेजमेंट को दें बढ़ावा
इस अवसर पर उप राष्ट्रपति श्री धनखड़ ने कहा कि भारतीय संस्कृति किसानों के कल्याण का संदेश देती है। वर्तमान दौर में किसानों के महत्व को प्रतिपादित करते हुए भारत के पूर्व प्रधानमंत्री स्व. लाल बहादुर शास्त्री ने जय-जवान-जय-किसान का नारा दिया था। पूर्व प्रधानमंत्री स्व. अटल बिहारी वाजपेयी ने जय-जवान-जय किसान के साथ जय विज्ञान जोड़ा और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने जय जवान-जय किसान-जय विज्ञान में जय अनुसंधान को शामिल किया है। उन्होंने कहा कि कृषि विद्यार्थी विज्ञान और अनुसंधान के केन्द्र बिंदु होते हैं। इसलिए विद्यार्थी इस कसौटी पर खरे उतरकर किसानों के कल्याण के लिए काम करें। उप राष्ट्रपति श्री धनखड़ ने कहा कि किसानों को अपनी उपज तत्काल न बेचनी पड़े, इसके लिये पोस्ट हार्वेस्ट मैनेजमेंट को बढ़ावा दें और वेयर हाउस एवं कोल्ड स्टोर स्थापित कर किसानों को भण्डारण के लिए प्रेरित करें।
राज्यपाल और मुख्यमंत्री ने कहा…
राज्यपाल श्री पटेल ने कहा कि मानव सभ्यता के उद्भव और विकास में कृषि की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। हमारे देश की लगभग 65 प्रतिशत आबादी के लिये कृषि आज भी आजीविका की जीवन रेखा बनी हुई है
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा है कि मध्यप्रदेश में कृषि और पशुपालन के कार्य प्रदेश की अर्थ व्यवस्था बदलने का कार्य करेंगे। लगभग दो वर्ष पूर्व मध्यप्रदेश का कृषि क्षेत्र 45 लाख हेक्टेयर था जो आज की स्थिति में 55 लाख हो गया है। प्रदेश में एक करोड़ हेक्टेयर कृषि क्षेत्र निर्मित करने का राज्य सरकार का संकल्प है। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि कृषि के सहयोगी पशुपालन को बढ़ावा देने के लिए अनेक प्राथमिकताएं निर्धारित की गई हैं। जो भी व्यक्ति गोपालन करता है वह गोपाल है और हमारा घर-घर गोकुल है। राज्य सरकार ने 25 से अधिक गाय पालने पर 25 प्रतिशत की अनुदान राशि प्रदान करने और गोपालकों से दूध खरीदने का संकल्प लिया है। गौशालाओं को भूमि प्रदान करने की पहल भी की गई है। इसी तरह बड़े नगरों में 10-10 हजार गायों के पालन के लिए 30 प्रतिशत अनुदान की व्यवस्था की जाएगी। अब अपाहिज और बेसहारा गायों के लिए जुर्माने के प्रावधान को खत्म कर सरकार द्वारा गायों की देखरेख का व्यय वहन किया जा रहा है। प्रदेश में देश के 9 प्रतिशत दुग्ध उत्पादन को 20 प्रतिशत तक ले जाने का लक्ष्य है।