जगदीप धनखड़ के उपराष्ट्रपति पद से तत्काल प्रभाव से इस्तीफा देने के बाद यह पद रिक्त हो गया है। इस पद को रिक्त नहीं रखा जा सकता। इसलिए 6 महीने के भीतर चुनाव कराने होंगे। इस पद के लिए कई नाम सामने आ रहे हैं। अगर समीकरणों और आंकड़ों की बात करें तो संसद के दोनों सदनों में सत्तारूढ़ एनडीए की स्थिति काफी मजबूत है। लेकिन जान लें कि उपराष्ट्रपति पद का चुनाव राष्ट्रपति के चुनाव से बिल्कुल अलग होता है। इसमें केवल लोकसभा और राज्यसभा के सांसद ही हिस्सा लेते हैं।
चुनाव आयोग ने चुनाव की तैयारियाँ शुरू कर दीं।
चुनाव आयोग से जुड़े सूत्रों के अनुसार, उपराष्ट्रपति के इस्तीफे की अधिसूचना जारी होते ही वह पद रिक्त मान लिया जाता है। लेकिन भारत के उपराष्ट्रपति का पद लंबे समय तक खाली नहीं रखा जाता है। इसी के निमित्त चुनाव आयोग चुनाव की तैयारियों में जुट गया है। जल्द ही चुनाव की तारीखों का भी ऐलान कर दिया जाएगा। यदि इसकी प्रक्रिया की बात करें तो इस चुनाव की प्रक्रिया अन्य चुनावों से भिन्न है। इसमें नामांकन दाखिल करना, नामांकन पत्रों की जाँच, नाम वापस लेना जैसी प्रक्रियाएँ अपनाई जाती हैं। इस दौरान, यदि चुनाव की स्थिति बनती है, तो मतदान और बाद में मतगणना आदि की प्रक्रिया भी अपनाई जाती है।
इस इस्तीफे ने देश की राजनीति को गरमा दिया है।
धनखड़ के इस्तीफे ने राजनीतिक गलियारों में हलचल मचा दी है। संसद के मानसून सत्र के पहले दिन अचानक लिए गए उनके इस फैसले ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं। खासकर विपक्ष ने उनके इस्तीफे के समय पर सवाल उठाए हैं। कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने कहा, “यह इस्तीफा जितना चौंकाने वाला है, उतना ही समझ से परे भी है। मैं आज शाम तक उनके साथ था और सब कुछ सामान्य लग रहा था।” उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी से धनखड़ को मनाने की अपील की।
जगदीप धनखड़ ने अपने इस्तीफे में क्या कहा?
जगदीप धनखड़ ने अपने इस्तीफे में लिखा था, “स्वास्थ्य सेवा को प्राथमिकता देने और चिकित्सीय सलाह का पालन करने के लिए, मैं संविधान के अनुच्छेद 67 (ए) के अनुसार, तत्काल प्रभाव से भारत के उपराष्ट्रपति पद से इस्तीफा देता हूँ।” उन्होंने राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, मंत्रिपरिषद और सांसदों के सहयोग के लिए आभार व्यक्त किया। संविधान के अनुच्छेद 68 के अनुसार, उपराष्ट्रपति पद रिक्त होने पर जल्द से जल्द चुनाव कराना आवश्यक है।
उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ का कार्यकाल विवादों से घिरा रहा।
धनखड़ का कार्यकाल भी विवादों से घिरा रहा। विपक्ष ने उन पर राज्यसभा के संचालन में पक्षपात का आरोप लगाया था और दिसंबर 2024 में उनके खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव भी लाया गया था, जिसे उपसभापति ने खारिज कर दिया था। इसके अलावा, हाल ही में हुई उनकी एंजियोप्लास्टी और स्वास्थ्य समस्याओं ने भी उनके फैसले को प्रभावित किया। धनखड़ के इस्तीफे के बाद राजनीतिक हलचल तेज हो गई है और अब सबकी निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि देश का अगला उपराष्ट्रपति कौन होगा और यह चुनाव कब तक पूरा होगा।
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