Jagdeep Dhankhar Resign : उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने त्यागा उपराष्ट्रपति पद

Jagdeep Dhankhar Resign : भारत के उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने तत्काल प्रभाव से अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को लिखे एक पत्र में उन्होंने स्वास्थ्य कारणों और चिकित्सीय सलाह का हवाला देते हुए संविधान के अनुच्छेद 67(ए) के तहत अपने इस्तीफे की घोषणा की। राष्ट्रपति मुर्मू को लिखे अपने पत्र में जगदीप धनखड़ ने लिखा, “स्वास्थ्य को प्राथमिकता देते हुए और चिकित्सीय सलाह का पालन करते हुए, मैं तत्काल प्रभाव से भारत के उपराष्ट्रपति पद से इस्तीफा दे रहा हूँ।” उन्होंने राष्ट्रपति को उनके सहयोग और सौहार्दपूर्ण संबंधों के लिए धन्यवाद दिया। उन्होंने प्रधानमंत्री और मंत्रिपरिषद को भी उनके सहयोग और मार्गदर्शन के लिए धन्यवाद दिया।

जगदीप धनखड़ से जुड़ी खास बातें। Jagdeep Dhankhar Resign

राजस्थान के झुंझुनू जिले में हुआ जन्म:

जगदीप धनखड़ का जन्म 18 मई 1951 को राजस्थान के झुंझुनू जिले में हुआ था। उन्होंने अपनी स्कूली शिक्षा सैनिक स्कूल, चित्तौड़गढ़ से की। उन्होंने राजस्थान विश्वविद्यालय से बी.एससी और एलएलबी की डिग्री हासिल की। वर्ष 1979 में उन्होंने सुदेश धनखड़ से विवाह किया। उनकी एक बेटी है।

3 साल तक रहे पश्चिम बंगाल के राज्यपाल :

उपराष्ट्रपति बनने से पहले, जगदीप धनखड़ 2019 से 2022 तक पश्चिम बंगाल के राज्यपाल रहे। 1990 से 1991 तक चंद्रशेखर सरकार में वे केंद्रीय संसदीय कार्य राज्य मंत्री रहे। इससे पहले, वे 1989 से 1991 तक लोकसभा के सदस्य रहे। 1993 से 1998 तक वे राजस्थान विधानसभा के सदस्य रहे।

1979 में शुरू की वकालत :

जगदीप धनखड़ ने 1979 में राजस्थान बार काउंसिल में एक वकील के रूप में अपना नामांकन कराया। वर्ष 1990 में, उन्हें राजस्थान उच्च न्यायालय द्वारा वरिष्ठ अधिवक्ता के रूप में नामित किया गया। 30 जुलाई 2019 को राज्यपाल पद की शपथ लेने तक वे राज्य के सबसे वरिष्ठ नामित वकील थे। इसके साथ ही, वे राजस्थान उच्च न्यायालय बार एसोसिएशन के अध्यक्ष भी रहे हैं।

उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ का राजनीतिक सफर कैसा रहा?

जगदीप धनखड़ जनता दल और कांग्रेस के सदस्य रहे हैं। वह 1989 से 1991 तक लोकसभा में जनता दल के सदस्य रहे। वह राजस्थान की झुंझुनू लोकसभा सीट से सांसद चुने गए। 1991 में वह कांग्रेस में शामिल हो गए। 1991 में उन्होंने अजमेर लोकसभा सीट से चुनाव लड़ा। हालांकि, उन्हें हार का सामना करना पड़ा। इसके बाद वह राजस्थान की किशनगढ़ विधानसभा सीट से विधायक चुने गए। इसके बाद 1998 में उन्होंने झुंझुनू लोकसभा सीट से चुनाव लड़ा। इस चुनाव में वह तीसरे स्थान पर रहे। इसके बाद 2003 में सालास भाजपा में शामिल हो गए। 2008 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने उन्हें प्रचार समिति में जगह दी।

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