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उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने अमेरिका और जर्मनी को दी नसीहत!

Vice President Jagdeep Dhankhar on US and Germany

Vice President Jagdeep Dhankhar on US and Germany

अमेरिका ने कहा था कि दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के लिए निष्पक्ष, पारदर्शी और समय पर क़ानूनी प्रक्रिया की उम्मीद करते हैं. अब उपराष्ट्रपति ने जवाब दिया है.

दिल्ली के मुखयमंती अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी को लेकर US और जर्मनी की टिप्पणी सामने आई थी. दोनों ने भारत की कानून व्यवस्था का जिक्र करते हुए मामले में सही से कार्रवाई करने की नसीहत दी थी. अब देश के उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने दोनों देशों को जवाब दिया है. उन्होंने कहा कि भारत में एक मजबूत न्यायिक प्रणाली है और कानून के शासन को लेकर हमें किसी भी देश से सीख लेने की जरूरत नहीं है.

नई दिल्ली में भारतीय लोक प्रशासन संस्थान के 70वें फाउंडर्स डे सेलिब्रेशन के दौरान उपराष्ट्रपति ने कहा ‘ हाल ही में हमें कानून के शासन के बारे में बताया था. यूरोप में एक देश और एक विकसित लोकतंत्र। उन्हें अपने खुद के मामलो पर ध्यान देने की जरूरत है. भारत एक मजबूत न्यायिक प्रणाली वाला लोकतांत्रिक राष्ट्र है। कानून को लेकर समानता आज भारत में एक नया आदर्श है. कानून उन लोगों को जवाबदेह बना रहा है जो खुद को कानून से परे मानते हैं.

केजरीवाल की गिरफ्तारी के बाद विपक्ष के विरोध प्रदर्शन को लेकर जगदीप धनखड़ ने कहा कि जब कानून अपना काम करता है तो वो सड़को पर उतर जाते हैं और ऊंची आवाज में बहस करते हैं. चुनौतियां है और ये चुनौतियां ज्यादातर अंदर से आती है और बाहर से समर्थित होती हैं.

केजरीवाल की गिरफ्तारी पर अमेरिका-जर्मनी ने क्या कहा था?

जर्मन विदेश मामलों के प्रवक्ता ने उम्मीद जताई थी कि केजरीवाल मामले में न्यायपालिका की स्वतंत्रता और बुनियादी लोकतंत्रिक सिद्धांतों का पालन किया जाएगा। उन्होंने कहा था कि आरोपों का सामना करने वाले किसी भी इंसान की तरह केजरीवाल निष्पक्ष सुनवाई के हक़दार हैं. बिना किसी प्रतिबंध के कानून में उपलब्ध सभी तरीकों का उपयोग किया जाना चाहिए। एक रिपोर्ट के मुताबिक, इसके बाद अमेरिकी विदेश विभाग के प्रवक्ता ने कहा कि वो मुख्यमंत्री केजरीवाल के लिए निष्पक्ष, पारदर्शी और समय पर क़ानूनी प्रक्रिया की उम्मीद करते हैं.

इसके बाद भारतीय विदेश मंत्रालय ने दोनों टिप्पणियों को लेकर कड़े शब्दों में बयान जारी किया था, जिसमें अन्य देशों को भारत के आंतरिक मामलों से दूर रहने के लिए कहा गया था.

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