Varundhara Raaje Meet PM Modi : राजस्थान की राजनीति में बदलाव की सुगबुगाहट शुरू हो गई है। सूत्रों का कहना है कि वसुंधरा राजे ने पीएम मोदी से मुलाकात की है। राजस्थान के सीएम भजनलाल शर्मा भी दिल्ली आने वाले हैं। इस मामले को लेकर राजनीतिक गलियारों में चर्चाओं का दौर शुरू हो गया है। खबर है कि रविवार को दिल्ली में राजस्थान को लेकर एक बड़ी बैठक हुई, जिसमें बीएल संतोष और प्रभारी राधामोहनदास अग्रवाल मौजूद रहे। माना जा रहा है कि राजस्थान में जल्द ही मंत्रिमंडल और प्रदेश कार्यकारिणी में बड़े बदलाव होंगे।
शिक्षा विभाग की लापरवाही पर वसुंधरा राजे नाराज। Varundhara Raaje Meet PM Modi
दरअसल, मिली जानकारी के अनुसार, वसुंधरा राजे ने शिक्षा विभाग की लापरवाही पर अपनी नाराजगी जताई है। झालावाड़ में वसुंधरा राजे ने सिर्फ बच्चों और घायलों के घर जाकर मुलाकात की, जबकि मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा का पहले से ही झालावाड़ आने का कार्यक्रम था, लेकिन वसुंधरा राजे ने खुद पीड़ितों को मुआवजा दिया और इलाके का दौरा किया। इस घटना को लेकर माना जा रहा है कि भजनलाल शर्मा काफी हद तक फैसले लेने में असमर्थ हैं। राज्य सरकार और पार्टी में बड़े नेताओं का काफ़ी दखल है, जिसके आगे भजनलाल फीके साबित हो रहे हैं।
राजस्थान में वसुंधरा राजे ने मुख्यमंत्री पद कैसे गँवा दिया?
वसुंधरा राजे राजस्थान की मुख्यमंत्री रह चुकी थीं, लेकिन 2023 के राजस्थान विधानसभा चुनाव के बाद भाजपा ने उन्हें मुख्यमंत्री न बनाकर भजनलाल शर्मा को राजस्थान की बागडोर सौंप दी। भाजपा का यह फ़ैसला उस समय राजनीतिक गलियारों में काफ़ी समय तक चर्चा का विषय रहा था। दरअसल, राजे भाजपा की एक प्रमुख नेता और राजस्थान में पार्टी का एक लोकप्रिय चेहरा थीं और उनकी छवि एक मज़बूत, स्वतंत्र नेता की थी। हालाँकि, कहा जाता था कि उनके नेतृत्व को लेकर भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के साथ कुछ मतभेद थे।
वर्ष 2023 में नहीं बनाया गया था मुख्यमंत्री फेस। Varundhara Raaje Meet PM Modi
भाजपा ने 2023 का चुनाव 115 सीटों के साथ जीता, लेकिन वसुंधरा राजे को मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार नहीं बनाया गया। इसके बजाय, पार्टी ने सामूहिक नेतृत्व में चुनाव लड़ा, जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता पर ज़ोर दिया गया। भाजपा ने 2023 में राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में नए चेहरों को मुख्यमंत्री बनाने की रणनीति अपनाई। इसका मकसद पुराने नेताओं की छवि पर निर्भरता कम करके नई पीढ़ी को मौका देना था। दो बार मुख्यमंत्री रह चुकीं वसुंधरा राजे को इस बार केंद्रीय नेतृत्व ने किनारे लगाने का फैसला किया।
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