Uttarkashi Cloudburst : क्या सच में फटते हैं बादल? क्यों पहाड़ों में आती हैं आसमानी आपदाएं…

Uttarkashi Cloudburst

Uttarkashi Cloudburst Reaaon : उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग में स्थित केदारनाथ में 12 साल पहले आसमान से खौफनाक कुदरती तबाही बरसी थी। जिसमें कई लोगों की जान चली गई थी। अब एक बार फिर उत्तरकाशी में कुदरत ने आसमान से कहर बरसाया, जिसमें चार लोगों की मौत हो गई। उत्तरकाशी में भारी बारिश के कारण हर्षिल घाटी में तीन जगह बादल फटने से त्रासदी हुई है। इस घटना में चार लोगों की मौत हो गई, जबकि 50 से ज़्यादा लोग लापता हैं, जिनमें सेना के जवान भी शामिल हैं।

अचानक आई बाढ़ से धराली गाँव में कई होटल, घर और सेना के कैंप बह गए। महज 34 सेकंड में पूरा गांव बह गया। आपदा के कई वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे हैं, जिन्हें देखकर यह समझा जा सकता है कि तबाही पास से कितनी खौफनाक व दर्दनाक रही होगी।

कैसे फटते हैं बादल ?

मौसम वैज्ञानिकों के अनुसार, अगर किसी इलाके में एक घंटे के भीतर 100 मिलीमीटर या उससे अधिक बारिश हो जाए, तो इसे ‘बादल फटना’ कहा जाता है। यह घटना आमतौर पर पहाड़ी क्षेत्रों में अधिक देखी जाती है, लेकिन मैदानी इलाकों में भी संभव है। लेकिन क्या सच में बादल फटते हैं? नहीं, विज्ञान का मानना है कि बादल फटने जैसी कोई घटना होती ही नहीं है। बादल भाप के गुबार होते हैं, जो सूरज की गर्मी के चलते समुद्र के ऊपर बनने वाली भाप से निर्मित होते हैं। बादल नम हवा का गुबार होता है जो अधिक भारी होने पर अचानक नीचे आते हैं और पहाड़ों से टकराकर तूफान बनकर बरसते हैं। इसे ही बादल फटना कहते हैं। इनकी गति 20 से 30 वर्ग किलोमीटर से अधिक होती है। यह घटना तब होती है जब एक घंटे या उससे अधिक समय तक 100mm से ज्यादा बारिश हो, तब आपदा आने की स्थित उत्पन्न हो जाती है।

पहाड़ों में बादल का फटना घातक होता है

पर्वतीय इलाकों में जमीन समतल न होने के कारण पानी जमा नहीं हो पाता। तेज ढलान के कारण बारिश का पानी तेजी से नीचे की ओर बहता है और नदियों में मिल जाता है। इस कारण नदियों में बहाव बहुत तेज हो जाता है, जो अपने साथ मिट्टी, चट्टानें और पेड़ तक बहा ले जाता है। जिससे बड़ी तबाही होती है। यही कारण है कि उत्तराखण्ड के उत्तरकाशी में बादल फटने से बाढ़ आ गई।

उत्तरकाशी में क्यों बरसी आसमानी आपदा?

अब सवाल ये उठता है कि आखिर उत्तरकाशी में बादल क्यों फटे? दरअसल, उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले के धराली गांव में लगातार कई दिनों से बारी बारिश हो रही है। इस बीच पहाड़ों के बीच नालों में पानी ऊफान पर आ गया था। इसी बीच हर्षिल घाटी में तीन जगह बादल फटने से पानी का सैलाब उमड़ पड़ा और पूरे गांव को बहा ले गया। 

मानसून टर्फ है भारी बारिश की वजह

मौसम विशेषज्ञों का कहना है कि उत्तर भारत के पहाड़ी इलाकों में हो रही भारी बारिश की मुख्य वजह है मानसून टर्फ (Monsoon Trough) का तराई क्षेत्र की ओर झुकना। इससे बंगाल की खाड़ी और अरब सागर से नमी वाली हवाएं पहाड़ों की तरफ जाती हैं और भारी बारिश और बादल फटने जैसी घटनाएं होती हैं। ऐसी ही स्थितियां 2013 की केदारनाथ आपदा के समय भी देखी गई थीं।

उत्तरकाशी में बारिश का रेड अलर्ट 

मौसम विभाग ने उत्तरकाशी में अगले 12 घंटों तक भारी बारिश की चेतावनी दी है। इससे राहत और बचाव कार्यों में दिक्कतें आ सकती हैं। हालांकि, कल से बारिश में कुछ कमी आने की उम्मीद है जिससे राहत कार्यों में तेजी लाई जा सकती है। लेकिन यह राहत ज्यादा देर तक नहीं टिकेगी। 12 अगस्त के बाद फिर से भारी बारिश का पूर्वानुमान है, जिससे भूस्खलन जैसी घटनाएं हो सकती हैं। ऐसे में विशेषज्ञों ने सुझाव दिया है कि अगले तीन-चार दिनों में बचाव कार्य तेजी से पूरे किए जाएं।

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