UTTAR PRADESH यूपी सरकार ने एमबीबीएस और एमडी-एमएस छात्रों को दी राहत, लेकिन सजा का भी किया ऐलान

Uttar Pradesh government: यूपी सरकार ने अंडरग्रेजुएट, पोस्टग्रेजुएट और सुपर स्पेशियलिटी मेडिकल छात्रों को बड़ी राहत दी है। योगी सरकार ने ऐलान किया है कि विभिन्न सरकारी, स्वायत्त और निजी मेडिकल और डेंटल कॉलेजों के छात्रों को बीच में कोर्स छोड़ने पर जुर्माना नहीं देना पड़ेगा। उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने विधान परिषद में बताया कि राज्य सरकार ने सीट छोड़ने के लिए बनाई गई बांड नीति को खत्म कर दिया है। एमबीबीएस, एमडी, एमएस कोर्स करने वाले छात्रों को अब पढ़ाई बीच में छोड़ने पर लाखों रुपये का जुर्माना नहीं देना पड़ेगा। अभी तक बीडीसी कोर्स का छात्र अगर बीच में कोर्स छोड़ता है तो उसे एक लाख और एमडी और एमएस करने वाले डॉक्टरों को 5 लाख का जुर्माना देना पड़ता था।

क्या छात्रों को नहीं मिलेगा दोबारा दाखिला ?

विधान परिषद में समाजवादी पार्टी के नेता मान सिंह यादव के सवाल के जवाब में स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा विभाग संभाल रहे पाठक ने कहा, ‘हालांकि, ऐसे छात्रों को आगामी शैक्षणिक सत्र में एडमिशन लेने से रोक दिया जाएगा।’ यानी ये मेडिकल छात्र कोर्स छोड़ने के बाद अगले शैक्षणिक सत्र में दोबारा दाखिला नहीं ले सकेंगे।’

स्वास्थ्य मंत्री बृजेश पाठक ने कहा, ”किसी भी मेडिकल छात्र को सत्र के बीच में सीट छोड़ने पर जुर्माना नहीं देना पड़ेगा। राज्य सरकार का मानना है कि छात्रों की निजी परिस्थितियां उन्हें ऐसा फैसला लेने के लिए मजबूर कर सकती हैं। हमारा प्रशासन मेडिकल छात्रों की जरूरतों के प्रति सहानुभूति रखता है।” सपा नेता ने आरोप लगाया था कि संजय गांधी स्नातकोत्तर आयुर्विज्ञान संस्थान (एसजीपीजीआईएमएस) के कई छात्र सीट छोड़ने के बॉन्ड के कारण उत्पीड़न का सामना कर रहे हैं। सीट छोड़ने के बॉन्ड पर हस्ताक्षर करने का नियम स्नातकोत्तर मेडिकल छात्रों के बीच काफी आम है। पाठ्यक्रम के प्रति छात्रों की प्रतिबद्धता को सुरक्षित करने, अचानक सीट छोड़ने से बचने, सीट ब्लॉकिंग की समस्या को हल करने और मेडिकल सीटों की बर्बादी को रोकने के लिए यह नीति शुरू की गई थी। यूपी सरकार ने यह राशि 5 लाख रुपये तय की थी जबकि कई राज्य इसके लिए 40 लाख रुपये तक ले रहे हैं।

सूत्रों के मुताबिक, राज्य के चिकित्सा शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने बताया कि चिकित्सा शिक्षा महानिदेशक किंजल सिंह ने बॉन्ड के संबंध में 24 जुलाई को आदेश जारी किया है। आदेश में कहा गया है, ”मेडिकल छात्रों के मानसिक स्वास्थ्य को प्राथमिकता देते हुए राज्य सरकार ने सीट छोड़ने पर बांड और जुर्माने के प्रावधान को खत्म करने का संकल्प लिया है।

इसके बजाय, ऐसे छात्रों को अगले शैक्षणिक सत्र में प्रवेश लेने से रोकने के लिए राष्ट्रीय चिकित्सा परिषद (एनएमसी) की सिफारिश को लागू किया जाएगा।” सिंह ने जनवरी में एनएमसी द्वारा जारी एक पत्र पर कार्रवाई की थी। मेडिकल कॉलेजों में पीजी मेडिकल छात्रों के तनाव और चिंताओं को ध्यान में रखते हुए, एनएमसी के स्नातक चिकित्सा शिक्षा बोर्ड की अध्यक्ष डॉ अरुणा वी वाणीकर ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के स्वास्थ्य और चिकित्सा शिक्षा सचिवों को पत्र लिखा था। एनएमसी की एंटी रैगिंग कमेटी ने भी नौ जनवरी को इस संबंध में सिफारिशें की थीं। एसजीपीजीआईएमएस के कार्यकारी रजिस्ट्रार कर्नल वरुण बाजपेयी ने इस कदम को व्यावहारिक और छात्रों के हित में बताया।

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