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UPSC 2024:ये UPSC नहीं आसान!

UPSC 2024:सोशल मीडिया पर कल से एक वीडियो वायरल हो रहा है.वीडियो गुरुग्राम के एक UPSC सेंटर का है जहाँ एग्जाम सेंटर के बाहर एक महिला अचेत अवस्था में है.महिला को उनकी बेटी पानी पिला रही हैं.साथ ही वो अपने पिता को भी समझा रही है.आस पास लोगों की भीड़ है जो ये सब देख रहे हैं,इन्ही देखने वालों में से किसी एक ने वीडियो बना लिया जो अब सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है.आइये पहले पूरा मामला समझते हैं.मामला जुड़ा है UPSC से,अफसर बनने के सपने से,उसके टूटने के भय से.वीडियो में दिख रही छात्रा यूपीएससी एस्पायरेंट है.देश भर में UPSC प्रीलिम्स की परीक्षा रविवार को दो चरणों में हुई. सुबह 9:30 से GS 1 के लिए परीक्षा आयोजित की गयी जिसके बेसिस पे सिलेक्टेड कैंडिडेट्स की मेंस की परीक्षा में एंट्री होगी, वहीँ GS 2 जो क्वालीफाइंग नेचर का है उसकी परीक्षा दूसरे चरण में दोपहर 2:30 बजे से हुई.फिलहाल आपको बता दें कि छात्रा को एग्जाम सेंटर में लेट होने की वजह से एंट्री नहीं दी गयी.जिससे छात्रा के माता पिता की हालत ख़राब होने लगी.माँ बेहोश हो गयी और परीक्षा केंद्र के गेट से हट ही नहीं रही थी वहीँ छात्रा के पिता यहाँ कह रहे हैं कि एक साल बर्बाद चला गया और पूरी तरह से परेशान हैं.इन सब के बीच छात्रा माँ बाप को समझा रही है कि वो अगली परीक्षा दे लेगी.

अब सोशल मीडिया पर वीडियो वायरल हुआ है तो लोगों की मिली जुली सी प्रतिक्रिया है कोई इसे हार्टब्रेकिंग कह रहा है तो कोई छात्रा के हिम्मत की तारीफ़ कर रहा है. वहीँ कई लोगों का कहना है कि एग्जाम के नियमों के हिसाब से समय पर पहुंचना चाहिए।बात ये भी सही है क्योकि नियम सबके लिए समान हैं तो वहीँ कुछ का कहना है कि स्टूडेंट्स के लिए इन परीक्षाओं में 1 घंटे का अतिरिक्त समय होना चाहिए।लेकिन जिसके लिए इतना हो हल्ला मच रहा है हम तो आपका ध्यान उस ओर खींचना चाहेंगे.जी हाँ,सही ओर जा रहा है आपका दिमाग.

UPSC यानि यूनियन पब्लिक सर्विस कमीशन.

भारत में बहुत से देवी देवता पूजे जाते हैं लेकिन दिल्ली के मुख़र्जी नगर लक्ष्मी नगर और ओल्ड राजेंद्र नगर में मंदिर हैं बड़े बड़े कोचिंग संस्थान जिनके बाहर बड़े पोस्टर्स में कई भूतपूर्व परीक्षा में सफल छात्रों की कुंडली का प्रदर्शन होता है.इस प्रदर्शन से प्रभावित छात्र इस मंदिर के भीतर उपस्थित देव के दर्शन के लिए लालायित हो जाते हैं.ये लालसा लिए जब वो भीतर जाते हैं.तो पता चलता है कि रिसेप्शनिस्ट नाम के देवदूत भी हैं.जो दर्शन के लिए चढ़ावे का पूरा ब्यौरा खींच देते हैं.यहीं से कुछ हताश होकर वापस आ जाते हैं कुछ आगे बढ़ जाते हैं.बात यही है कि दर्शन के अभिलाशियों और प्रसाद बाँटने वाले समूह के बीच के इस रिश्ते ने एक बड़ा व्यवसाय खड़ा कर दिया है.और दिल्ली बन गया है UPSC का हब.हालाँकि परीक्षा की तैयारी देश के अन्य कई राज्यों में भी होती है पर जैसे नीट और आईआईटी के लिए कोटा है वैसे ही UPSC के लिए है दिल्ली।

द प्रिंट की एक रिपोर्ट बताती है कि देश भर में UPSC कोचिंग की पूरी 3000 करोड़ रूपए की इंडस्ट्री है. ये किसी कॉर्पोरेट जैसा सॉउन्ड करता है.ये इंडस्ट्री बढ़ती ही जा रही है.बढ़ती ही जाएगी।बस फर्क इतना है कि बाकी किसी बिज़नेस में किसी वस्तु की खरीद और बिक्री होती है.यहाँ सपने बेचे जाते हैं.अफसर बनने के सपने और इसके लिए PR से लेकर सेलिब्रिटी शिक्षक सब कुछ एक संस्था की तरह चलता है.पिछले साल Central Consumer Protection Authority ने दिल्ली के 20 कोचिंग इंस्टीटूट्स को भ्रामक प्रचार के लिए नोटिस जारी किया था.इसके बाद Department of Personnel & Training ने भी चयनित छात्रों को कोचिंग इंस्टीटूट्स के साथ कॉन्ट्रैक्ट बनाने के लिए मना किया था.

हाँ, ऐसे बहुत से छात्र हैं जो बिना कोचिंग के तैयारी करते हैं.हालाँकि गाइडेंस किसी भी बड़ी परीक्षा में जरुरी हो जाती है.बात यहाँ किसी को डिमोटिवेट करने की भी नहीं है.बात है इस एग्जाम के क्रेज की.और क्रेज के कारण की.जो ज्यादातर मामलों में कई मटेरियलिस्टिक चीज़ों से जुड़ा हुआ है.किसी के लिए रिश्तेदारी में नाम तो किसी के लिए सरकारी रुतबा।हाँ कई छात्र हैं जो सच में काम के कारण जाते हैं और बेहद डेडिकेटेड होते हैं.साल 2018 के UPSC टॉपर कनिष्क कटारिया ने कहा था कि मैंने पहले ही सोच रखा था कि एक एटेम्पट दूंगा नहीं हुआ तो आगे बढूंगा.इससे पहले वो आईटी सेक्टर में थे.IIT Bombay के एलुमनाई हैं.लेकिन ये सोच हर युवा की नहीं है.भारत में कई लोग ऐसे हैं जो 20 साल की उमर से तैयारी करते हैं, तब तक जब तक ओवरएज न हो जाएं.हमे लगता है कि बढ़ते प्राइवेट सेक्टर के साथ अब सरकारी नौकरी का क्रेज कम होगा लेकिन सच्चाई इसके उलट है.

साल 2012 से 2022 पूरे एक दशक का आंकड़ा कहता है कि साल 2012 में जहाँ कुल 5 लाख छात्र परीक्षा के लिए अपीयर होते थे, वहीँ साल 2022 में इन छात्रों की संख्या हो गयी 11 लाख और ये सिर्फ UPSC का डाटा है,अन्य सरकारी नौकरियों की यहाँ अभी बात ही नहीं हो रही. गजब की बात ये है कि परीक्षा की वेकन्सी इसके बिलकुल उलट है.1091 सीटें थीं साल 2012 में और 1,022 साल 2022 में. साल 2023 में सीटों की संख्या थी 1105.2024 में ये संख्या है 1056 और इसके लिए फाइट करने वाले हैं लाखों जो भेड़ बकरियों की तरह कोचिंग संस्थानों में जवानी के दिनों को कई कई बार बर्बाद कर देते हैं.हम यहाँ एक बार फिर इस बात पर ज़ोर देंगे कि यहाँ समस्या परीक्षा से नहीं उसके प्रति गलत ओबसेशन से है.ऐसी परीक्षा जिसमे सक्सेस रेट 0.2 परसेंट के करीब है उसमे प्रैक्टिकल होना और उसे एक चैलेंज की तरह ट्रीट करना सही है.उसको एक लाइफ अचीवमेंट से जोड़ कर देखना कहाँ तक सही है इसका जवाब समाज के हर प्रभावित दायरे के हिस्से में आता है और ऐसे में लगता है कि ये परीक्षा अब परीक्षा न रह कर कोई कीमती हीरा हो गयी है जहाँ एक एटेम्पट का जाना साल बर्बाद होने जैसा है.हालाँकि ये सच है कि कोई साल भर मेहनत करता है तो असर पड़ना जायज़ है लेकिन उसका भी एक दायरा है.बेहतर ये है कि ये परीक्षा एक परीक्षा के जैसी ही बनी रहे अगर सर चढ़ाएंगे तो बाहर मार्केटिंग,एडवरटाइजिंग की कंपनियां इसका फायदा उठाने के लिए तैयार ही बैठी हैं.

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