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उपलब्धियों से मिलता है आत्मविश्वास और आत्म सम्मान

युवा व्यक्ति प्रमाणपत्र हाथ में लिए आत्मविश्वास से मुस्कुराता हुआ, पीछे उपलब्धि का प्रतीकात्मक माहौल

उपलब्धि से आत्मविश्वास की भावना

Aatm Manthan :जब हम जीवन पथ पर आगे बढ़ते हैं तो जीवन की कठिनाइयाँ हमें बहोत डराती हैं ,ये लगता है कि मंज़िल मिलेगी भी के नहीं बहोत से पड़ाव पार भी होते हैं लेकिन आत्मविश्वास नहीं आ पाता और जब हमें खुद पर भरोसा ही नहीं होता कुछ कर गुज़रने का हम यक़ीन ही नहीं कर पाते तो अपनी इज़्ज़त भी नहीं करते ख़ुद को औरों से कम ही आँकते रहते हैं।

कैसे बनाएँ ख़ुद को मज़बूत :-

अब सवाल ये उठता है कि अगर हम खुद को कमज़ोर समझेंगे तो आगे कैसे बढ़ पाएँगे या सफलता की ओर कैसे अग्रसर हो पाएँगे तो क्या किया जाए कि आगे बढ़ने का हौसला बरक़रार रहे और हम पूरी मज़बूती से न केवल आगे बढ़ें बल्कि कामियाबी भी हमारे क़दम चूमे। तो आइये यही जानने की कोशिश करते हैं।

जोश का साथ न छोड़ें :-

जब हम पूरे जोश के साथ आगे बढ़ते हैं तो हम मेहनत भी भरपूर करते हैं हमारी यही शिद्दत हमें कामियाबी दिलाती है वहीं अगर हम निराश या उदास होते हैं तो हम कोशिश भी उस तरह से नहीं करते कि हमें जीत मिल सके यानी हम बिना प्रयास किये ही खुद को हारा हुआ मान लेते हैं जो ग़लत है और कहते भी हैं कि “मन के हारे हार है मन के जीते जीत।” तो ज़रूरी है कि हम पहले जी जान से मेहनत करें ख़ुद पर भरोसा करते हुए आगे बढ़ें क्योंकि परिणाम हमारी इसी मेहनत का फल होगा और कुछ नहीं।

हर पड़ाव होता है ख़ास :-

जो भी छोटे-छोटे पड़ाव हमने पार किये हैं उनका भी जश्न मनाएँ क्योंकि ये हमारे मील के पत्थर ही होते हैं जो हमें कामियाबी के शिखर तक पहुँचाते हैं। इन्हीं से हमारा मार्ग प्रशस्त होता है और आगे बढ़ने की प्रेरणा मिलती हैं। एक बेहतर उपाय ये भी है कि अपनी हर छोटी सी छोटी उपलब्धि को याद रखें फिर भी अगर कभी हिम्मत टूटने लगे तो उन्हें देखें जो आप से भी बुरी स्थिति में आगे बढ़ रहे हैं थक हार के बैठ नहीं गए हैं।

कामियाबी कहती हैं बन्दे में दम तो है:-

उपलब्धियाँ किसी को बतानी नहीं पड़ती वो हमारी स्थिति खुद ही सुदृढ़ बना देती हैं और हमारे अंदर आत्म विश्वास और आत्म सम्मान का संचार करती हैं। तो ख़ुद को आँकना हो तो अपनी मेहनत को आँके, उसका ही आकलन करें कि वो इसी मंज़िल की चाह में आपकी ही राह पर चलने वाले किसी और इंसान से कम है या ज़्यादा क्योंकि मंज़िल उसीकी होगी जिसकी मेहनत या लगन में दम होगा। ग़ौर ज़रूर करियेगा इस बात पर फिर मिलेंगे आत्म मंथन की अगली कड़ी में , धन्यवाद।

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