UP Teacher Recruitment 69000 : परिषदीय विद्यालयों में 69 हजार शिक्षकों की भर्ती में आरक्षण की विसंगतियों को दूर करने के लिए हाईकोर्ट के आदेश पर जल्द ही नई मेरिट सूची तैयार की जाएगी। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बेसिक शिक्षा विभाग के अधिकारियों को स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि इस संबंध में सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी और हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच के निर्णय के अनुरूप कार्रवाई की जाए।
उच्चस्तरीय बैठक में योगी ने विभागीय अधिकारियों से कहा कि किसी भी अभ्यर्थी के साथ अन्याय न हो। सरकार का स्पष्ट मानना है कि आरक्षण सुविधा का लाभ आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों को मिलना चाहिए।
Read Also : http://Raksha Bandhan 2024: भगवान महाकाल को सबसे पहले बांधी गई राखी, आज 2.30 होगी भस्म आरती
सीएम योगी के समक्ष रखे दस्तावेज
शिक्षक भर्ती में 19 हजार पदों पर आरक्षण में अनियमितता के मामले में दाखिल याचिका पर शुक्रवार को हाईकोर्ट का फैसला आने के बाद योगी सरकार ने इस पर मंथन शुरू कर दिया। शनिवार और रविवार को अवकाश होने के बावजूद बेसिक शिक्षा विभाग के कार्यालय खुले रहे। स्कूल शिक्षा महानिदेशालय, बेसिक शिक्षा सचिव और प्रमुख सचिव ने रविवार को संबंधित मामले के दस्तावेज मुख्यमंत्री के समक्ष रखे।
सरकार सुप्रीम कोर्ट को चुनौती नहीं देगी।
देर शाम 5 कालीदास मार्ग स्थित सरकारी आवास पर मुख्यमंत्री द्वारा बुलाई गई बैठक में निर्णय लिया गया कि सरकार हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती नहीं देगी। हाईकोर्ट की डबल बेंच के फैसले के अनुसार जल्द ही मेरिट लिस्ट तैयार की जाएगी।
बैठक में यह भी निर्देश दिए गए हैं कि किसी भी अभ्यर्थी के साथ अन्याय न हो और भर्ती से जुड़े सभी मामलों का एक साथ उचित तरीके से निपटारा किया जाए। योगी सरकार ने इस फैसले से विपक्षी दलों के आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों का हक छीनने के आरोपों को निराधार साबित करने की कोशिश की है। सरकार भर्ती प्रक्रिया को लेकर सुप्रीम कोर्ट के जो भी फैसले हों, उन्हें लागू करने के पक्ष में भी है।
इस तरह सामने आई आरक्षण की अनियमितता
1 जून 2020 को जब रिजल्ट घोषित हुआ तो अनारक्षित वर्ग के लिए कटऑफ 67.11 अंक, ओबीसी वर्ग के लिए कटऑफ 66.73 अंक और एससी वर्ग के अभ्यर्थियों के लिए कटऑफ 61.01 अंक था।
अनारक्षित वर्ग और ओबीसी वर्ग के अभ्यर्थियों के कटऑफ में मामूली अंतर होने पर अभ्यर्थियों ने मेरिट सूची की जांच की और आरोप लगाया कि वर्ष 1981 की बेसिक शिक्षा नियमावली और वर्ष 1994 के आरक्षण नियमावली का उल्लंघन किया गया है। ओबीसी और एससी वर्ग के अभ्यर्थियों को आरक्षण का पूरा लाभ नहीं दिया गया है और इसे लेकर वे कोर्ट चले गए।
1: 5 दिसंबर 2018 को परिषदीय विद्यालयों में 69 हजार शिक्षकों के लिए विज्ञापन जारी किया गया था।
2: 5 जनवरी 2019 को लिखित परीक्षा हुई थी।
3: सहायक अध्यापक लिखित परीक्षा का परिणाम 1 जून 2020 को घोषित किया गया था। परिणाम में अनारक्षित वर्ग का कटऑफ 67.11 अंक और ओबीसी का 66.73 अंक रहा था। अभ्यर्थियों ने आरोप लगाया कि ओबीसी और एससी वर्ग के अभ्यर्थियों को आरक्षण का पूरा लाभ नहीं दिया गया।
4: अभ्यर्थी राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग के पास गए और 29 अप्रैल 2021 को आयोग ने माना कि भर्ती में आरक्षण संबंधी अनियमितता हुई है।
5: अभ्यर्थी 19 हजार पदों पर आरक्षण संबंधी अनियमितता बता रहे थे और सरकार ने 6,800 की संशोधित सूची जारी कर दी।
6: 13 मार्च 2023 को कोर्ट ने इस सूची को रद्द कर दिया।
17 अप्रैल 2023 को सरकार सिंगल बेंच के फैसले के खिलाफ डबल बेंच में गई।
7: 19 मार्च 2024 को हाईकोर्ट की डबल बेंच ने इस पर फैसला सुरक्षित रख लिया और अब तय हुआ कि नए सिरे से मेरिट लिस्ट बनाई जाए।