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यूपी का मोस्ट वांटेड हिस्ट्रीशीटर विनोद उपाध्याय की एनकाउंटर में मारा गया!

Encounter Of Vinod Upadhyay: माफिया विनोद उपाध्याय उत्तर प्रदेश पुलिस के लिए मोस्ट वांटेड हिस्ट्रीशीटर था. उसपर 35 मुक़दमे दर्ज थे.

कौन था विनोद उपाध्याय: उत्तर प्रदेश का कुख्यात गैंगस्टर, यूपी पुलिस के लिए मोस्ट वांटेड हिस्ट्रीशीटर, माफिया विनोद उपाध्याय पुलिस एनकाउंटर में (Mafia Vinod Upadhyay killed in a police encounter) मारा गया. गोरखपुर पुलिस ने Vinod Upadhyay पर एक लाख रुपए का इनाम घोषित किया था. उसपर 35 मुकदमे दर्ज थे. गैंगस्टर की एनकाउंटर में मौत होने की पुष्टि यूपी STF प्रमुख अमिताभ यश ने की है.

STF हेडक्वाटर्स के डिप्टी SP दीपक कुमार सिंह के नेतृत्व में माफिया विनोद उपाध्याय का एनकाउंटर किया गया. यह एनकाउंटर 5 जनवरी की सुबह 3:30 बजे हुआ. गैंगस्टर विनोद काफी समय से फरार चल रहा था और STF उसकी तलाश में लगी हुई थी. UP STF को मुखबिर से विनोद उपाध्याय की करंट लोकेशन मिली, जिसके स्पेशल टास्क फ़ोर्स उसे पकड़ने के लिए निकली। जब STF की टीम ने उसे घेर लिया तो विनोद उपाध्याय ने फायरिंग कर दी. जवाबी फायरिंग में विनोद को गोली लग गई, जिसके बाद उसे हॉस्पिटल में एडमिट किया गया और इलाज के दौरान उसने दम तोड़ दिया।

कौन था विनोद उपाध्याय

Who Was Vinod Upadhyay: विनोद उपाध्याय के नाम से यूपी थरथराता था, हालांकि यहां योगी सरकार बनने के बाद उसकी दहशत में कमी आई मगर वह पुलिस से छिपकर अपनी आपराधिक गतिविधियों को जारी रखे हुए था. पहले गैंगस्टर के ऊपर 50 हजार का इनाम था जो बाद में एक लाख कर दिया गया. विनोद उपाध्याय पर संगठित गिरोह बनाकर जनपद गोरखपुर, बस्ती, संतकबीर नगर और लखनऊ में कई हत्या की वारदातों और अपरहरण-फिरौती जैसे अपराधों को अंजाम देने के आरोप थे. उसपर कुल 35 मुकदमे दर्ज थे लेकिन किसी में भी उसे सज़ा नहीं मिली थी.

विनोद उपाध्याय अयोध्या के पुरवा का रहने वाला था. योगी सरकार द्वारा जारी 61 मोस्ट वांटेड माफियाओं की लिस्ट में उसका भी नाम शामिल था. विनोद 2007 में BSP की तरफ से विधायकी लड़ने भी उतरा था मगर हार गया था.

जब थप्पड़ पड़ने पर हत्या कर दी थी

2004 में विनोद उपाध्याय ने एक व्यक्ति की सिर्फ इस लिए हत्या कर दी थी कि उसने, उसे थप्पड़ जड़ दिया था. दरअसल जेल में बंद जितनारायण मिश्र नाम के एक अपराधी ने विनोद को किसी बात पर थप्पड़ मार दिया था. इस घटना के एक साल बाद जब जीतनरायण जेल से रिहा हुआ तो विनोद उपाध्याय ने संतकबीर नगर बखीरा के पास उसकी हत्या कर दी थी. तभी से वो सुर्ख़ियों में आया था.

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