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UP Brahmin MLA Meeting : सहभोज बैठक के बाद भाजपा के ब्राह्मण विधायकों ने पंकज चौधरी का किया विरोध 

BJP MLAs attending a closed-door meeting in Uttar Pradesh

UP Brahmin MLA Meeting : उत्तर प्रदेश में अगले साल विधानसभा चुनाव 2027 होना है, जिसकी तैयारियां भारतीय जनता पार्टी ने अभी से ही शुरू कर दी है। लेकिन खुद यूपी भाजपा की टीम कमजोर पड़ती दिख रही है। प्रदेश में भाजपा के हालात अभी ठीक नहीं हैं। पार्टी के भीतर ब्राह्मण बिरादरी के विधायकों की एक बैठक को लेकर बड़ा विवाद खड़ा हो गया है।

यह बैठक सहभोज के नाम पर हुई थी, जिसमें करीब 30 विधायक शामिल हुए थे। इस बैठक कों पार्टी के नए प्रदेश अध्यक्ष पंकज चौधरी ने अनुशासनहीनता बताते हुए कड़ी फटकार लगा दी। उन्होंने कहा कि इस तरह की जातिगत बैठकें बर्दाश्त नहीं की जाएंगी। अब पंकज चौधरी के इस फरमान के बाद भाजपा ब्राह्मण विधायक नाराज हो गए।

ब्राह्मण विधायकों ने बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष का किया विरोध 

यूपी में भाजपा के ब्राह्मण नेताओं का दो गुट में बंटना शुरू हो गया है। ब्राह्मण विधायकों की सहभोज बैठक को अनुशासनहीनता कहने पर भाजपा प्रदेश अध्यक्ष पंकज चौधरी का भी विरोध शुरू हो गया है। झांसी से विधायक रवि शर्मा ने खुलकर प्रदेश अध्यक्ष के फैसले पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा कि ऐसी बैठकें पार्टी को मजबूत बनाती हैं। हम जनता की अपेक्षाओं और उनके साथ हो रहे अन्याय पर चर्चा करने बैठे थे। उनका कहना है कि सोशल इंजीनियरिंग के इस दौर में अपनी बिरादरी की बात करना गलत नहीं है।

जातिवाद पर विपक्ष भी भाजपा को घेर रहा 

यूपी के भाजपा की इस अंतरिम लड़ाई में विपक्षी पार्टियां इसको मुद्दा बनाकर सरकार को घेरने की कोशिश कर रही हैं। विपक्ष सवाल ये उठा रहे हैं कि जब पहले ठाकुर या कुर्मी बिरादरी के नेता इसी तरह एकजुट हुए थे, तब ऐसी फटकार क्यों नहीं लगी? क्या भाजपा में ब्राह्मणों की आवाज उठाना अब अनुशासनहीनता बन गया है?

भाजपा में जातिवाद राजनीति का खुलासा

दूसरी ओर, सभी जातियों को एक साथ लेकर चलने की बात करने वाली बीजेपी पार्टी में अब खुलकर जातिवाद भी देखने को मिल रहा है। हाल ही में, लखनऊ में राष्ट्र प्रेरणा स्थल में तीन ब्राह्मण भाजपा नेताओं की मूर्ति स्थापित करने पर भी बहस चल रही है। साथ ही भाजपा में ब्राह्मण विधायकों का अलग-थलग गुटों में दिखना, ये भाजपा के भीतर जाति की राजनीति की कूटनीति का खुलासा कर रहा है। अब देखना यह है कि इस विवाद से आगामी चुनाव में भाजपा को नुकसान होगा या फायदा?

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