उन्नाव रेप केस के आरोपी की सुप्रीम कोर्ट ने रोकी जमानत, पीड़िता ने कहा मिला न्याय, ऐसा है पूरा मामला

Composite image showing Supreme Court of India building and protest visuals related to the Unnao rape case

नईदिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को उन्नाव रेप केस मामले की सुनवाई करते हुए पीड़िता को राहत दे दिया है, तो वही रेप केस के आरोपी पूर्व बीजेपी विधायक कुलदीप सेंगर की जमानत पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दिया। कोर्ट के इस आदेश के बाद आरोपी फिर जेल की सलाखों के पीछे पहुच गया है। कोर्ट इस मामले में सुनवाई के लिए 4 हफ्ते का समय तय किया है, यानि 4 हफ्ते बाद इस केस की सुनवाई होगी।

हाई कोर्ट ने दिया था जमानत

दरअसल उन्नाव रेप केस के आरोपी कुलदीप सेंगर को दिल्ली हाईकोर्ट ने 23 दिसंबर को जमानत दी थी। जमानत के खिलाफ सीबीआई ने सुप्रीम कोर्ट में 3 दिन पहले याचिका लगाई थी। दायर की गई याचिका पर सोमवार को चीफ जस्टिस सूर्यकांत, जस्टिस जेके माहेश्वरी और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की बेंच में सुनवाई हुई। बेंच ने दोनों पक्षों की करीब 40 मिनट तक दलीलें सुनीं।

ऐसा है उन्नाव रेप केस का पूरा मामला

देश भर में चर्चित उन्नाव रेप केस का यह मामला साल 2017 का है। 4 जून 2017 को आरोपी कुलदीप सिंह सेंगर पर पीड़िता ने रेप का आरोप लगाया था। जानकारी के तहत पीड़िता आरोपी के घर में काम मांगने गई थी। अपने साथ घटी घटना के बाद वह न्याय के लिए अधिकारियों के चक्कर लगाती रही, लेकिन सुनवाई नहीं हुई। इसी बीच, उसके पिता को पेड़ से बांधकर पीटा गया। पिटाई करने वालों में कुलदीप के भाई अतुल और उनके लोग शामिल थे। इसके बाद 8 अप्रैल 2018 को पीड़ित लखनऊ पहुंची और मुख्यमंत्री आवास के पास आत्मदाह का प्रयास किया, लेकिन सुरक्षाकर्मियों ने उसे बचा लिया।

पिता की मौत से गरमाया मामला

पीड़िता के आत्मदाह के प्रयास के दूसरे ही दिन खबर आई कि पीड़िता के पिता की पुलिस कस्टडी में मौत हो गई। मामले में कुलदीप, उसके भाई, माखी थाने के एसएचओ समेत 10 लोग आरोपी बने और बाद में इन्हें सजा हुई। सेंगर की संलिप्तता और पिता की मौत ने इस केस को बड़ा बना दिया।

सीबीआई को सौपा गया मामला

इस मामले की गंभीरता को देखते हुए 12 अप्रैल 2018 को पूरा मामला सीबीआई को ट्रांसफर कर दिया गया। आरोपी कुलदीप सेंगर के खिलाफ मामला दर्ज हुआ और उसे गिरफ्तार करके जेल भेज दिया गया।

तब अकेली पड़ गई पीड़िता

पीड़िता के चाचा, जो इस केस में उसकी मदद कर रहे थे, लेकिन उन्हें 19 साल पुराने मामले में 10 साल की सजा हो गई। पीड़ित अकेली हो गई। 28 जुलाई 2019 को वह अपनी मौसी, चाची और वकील के साथ जा रही थी, तभी ट्रक ने टक्कर मार दी। मौसी-चाची की मौत हो गई। पीड़ित बच गई। मामले में कुलदीप के खिलाफ साजिश का मामला दर्ज हुआ। तत्कालीन चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने मामले को गंभीरता से लिया। केस दिल्ली की तीस हजारी कोर्ट में शिफ्ट करवाया। 45 दिन तक लगातार सुनवाई के बाद कोर्ट ने सेंगर को दोषी पाया और 21 दिसंबर 2019 को उम्रकैद की सजा सुनाई।

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