जिसके संकल्प के आगे सब नतमस्तक हो जाते थे, जिन्होंने अपने सामर्थ्य के बलबूते तत्कालीन भारत के 526 छोटी रियासतों को मिलाकर एक भारत-श्रेष्ठ भारत के संकल्पना की नींव रखी, ऐसे मजबूत, अडिग और दृढ़ संकल्पित व्यक्तित्व के धनी भारत के प्रथम गृहमंत्री और उप प्रधानमंत्री लौह पुरुष सरदार वल्लभ भाई पटेल की जयंती पर इनके बारे में जानेंगे।
Sardar Vallabh Bhai Patel Jayanti: सन 1947, भारत के लिए बेहद ही खास वर्ष था, अंग्रेज देश छोड़ कर जाने के लिए तैयार हो गए थे, चारों ओर खुशियां मनाई जा रही थी लेकिन आज़ादी के महानायकों के सामने अब भी एक बहुत बड़ी चुनौती हिमालय की तरह बाँह फैलाये खड़ी थी. फ्रीडम फाइटर्स के सामने चैलेंज था देश भर की 526 छोटी रियासतों को एकता के सूत्र में पिरो कर एक राष्ट्र का निर्माण करना।
आखिर में महात्मा गाँधी नें यह कठिन कार्य वल्लभ भाई पटेल को यह कह कर सौप दिया की “रियासतों की समस्या विकट जरूर है पर आप इसे अकेले सुलझा सकते हैं.”
राष्ट्रिय एकता दिवस का महत्व
इंडिया के आयरन मैन के जयंती को ऐतिहासिक बनाने के लिए 31 अक्टूबर 2014 को भारत सरकार ने इस दिन को राष्ट्रीय एकता दिवस के रूप में मनाने का निर्णय लिया, इसके बाद गुजरात के अहमदाबाद में विश्व की सबसे ऊँची प्रतिमा बनाने का निर्णय लिया।
422 मिलियन अमेरिकी डॉलर के कुल लागत से बने इस Statue of Unity का अनावरण वल्लभ भाई पटेल के 143वीं जयंती 31 अक्टूबर 2018 में देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के द्वारा किया गया.
राष्ट्रिय एकता दिवस का इतिहास
आपको बता दें की सरदार वल्लभ भाई पटेल देश के पहले गृहमंत्री और उप प्रधानमंत्री बनाये गए. सरदार पटेल का जन्म 31 अक्टूबर 1875 को गुजरात के नडियाद में हुआ था, इनका निधन 15 दिसंबर 1950 को मुंबई में हुआ था.
सरदार वल्लभ भाई पटेल की स्मृति में भारत सरकार ने एक विशालकाय मूर्ति का निर्माण करवाया। यह प्रतिमा सरदार पटेल के अदम्य साहस और राष्ट्रिय एकीकरण का प्रतिक माना जाता है. स्वतंत्र भारत के प्रथम गृहमंत्री और उप प्रधानमंत्री के संघर्षों और बलिदानों को याद रखते हुए इस दिन को राष्ट्रिय एकता दिवस के रूप में मनाने का निर्णय लिया गया. इस दिन पुरे देश में विभिन्न कार्यक्रम,सेमीनार और वेबिनार आयोजित कर सरदार पटेल के अद्वितीय,अकल्पनीय और साहसिक जीवन के बारें में जानतें हैं.