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United Kingdom news:ब्रिटेन मिटा रहा है अपना’काला इतिहास’!

ब्रिटेन की सरकार अपने काले इतिहास को मिटाने की कोशिश कर रही है इसके लिए वो ब्रिटेन की 12 यूनिवर्सिटीज से अपने उपनिवेशवाद के सिलेबस को हटा रही है.इसमें ऑक्सफ़ोर्ड बुक्स और लंदन यूनिवर्सिटी जैसे संस्थान शामिल हैं.लंदन यूनिवर्सिटी के एक प्रोफेसर कोजो करम ने ऋषि सुनक की सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा है कि ये फैसला सरकार में शामिल श्वेत नस्लवादियों के दबाव में लिया गया है.इन यूनिवर्सिटीज के हिस्ट्री डिपार्टमेंट में कोलोनियल रूल का इतिहास पढ़ाया जाता था.प्रोफेसर ने बताया कि सरकार ने इन यूनिवर्सिटीज को ग्रांट देना ही बंद कर दिया है.और कितनी विचित्र बात है कि भारतीय मूल के प्रधान मंत्री ऋषि सुनक के यहाँ सत्ता पर आसीन होने पर जहाँ पूरा भारत देश अलग ही गौरव महसूस कर रहा था वही सरकार भारत में 200 से भी ज्यादा सालों तक देश का दोहन करने वाले ब्रितानी साम्रज्य का इतिहास मिटाने पर तुली हुई है.इसे कट्टरपंथी रवैया बताया जा रहा है.

सरकारें आप पर रूल करती है और अति महत्वाकांक्षी और अभिमानी सत्तारूढ़ सरकारों की एक प्रवृत्ति है कि वो सत्ता और शासन को निजी हित से जोड़कर देखने लगती हैं.इसके लिए सबसे जरुरी है कि वो देश में रह रहे लोगों को वैचारिक स्तर पर अपने पक्ष में करें और इसके लिए सबसे मुनासिब घुसपैठ है स्कूलों में,विश्वविद्यालयों में.यहाँ दिमाग का विकास होता है और यहीं से उसे मोल्ड भी किया जा सकता है.क्योंकि शुरुआती जीवन में जिन विचारों की छाया आप पर पड़ती है वो ज़िन्दगी भर रहती है.हाल ही में NCERT की किताबों में कई बदलाव किये गए जिसमे गुजरात दंगों जैसे कुछ हिस्सों को हटा दिया गया है.वहीँ ऐसे कई महत्वपूर्ण चेहरे हैं जो हमारी किताबों के जरिये हम तक कभी पहुंचे ही नहीं।विंस्टन चर्चिल ने एक बात कही थी कि इतिहास विजेताओं द्वारा लिखा जाता है.मेरा मानना है कि इतिहास विजेताओं द्वारा न सिर्फ लिखा बल्कि समय समय पर इसमें बहुत कुछ मिटाया, बदला और जोड़ा भी जाता है.

Colonization और Decolonization

ब्रितानी शासन दुनिया भर में राज करने वाला इतिहास का सबसे बड़ा साम्राज्य रहा है.60 से ज्यादा देशों पर राज करने वाले ब्रितानी साम्रज्य की कुटिल नीतियों ने कई देशों को कंगाल कर दिया।इसे Colonization यानि उपनिवेशवाद कहते हैं यानि जब कोई भौगोलिक क्षेत्र दूसरे भौगोलिक क्षेत्र में अपनी कॉलोनी या राज्य स्थापित करता है वो भी इस विचार से कि ये उस भौगोलिक क्षेत्र की बेहतरी के लिए है.ये अहंकार यूरोप को हमेशा से रहा है.अमेरिका अन्य देशो के मुकाबले काफी पहले ब्रितानी शासन से आज़ाद हो गया था लेकिन उपनिवेशवाद की दी गयी रंगभेद[6] जैसी समस्या आज भी देश झेल रहा है.इस प्रक्रिया को Decolonization कहते हैं यानि किसी उपनिवेशवाद को खत्म करने की प्रक्रिया।उपनिवेशवाद न सिर्फ देशों को बाहरी रूप से बल्कि वैचारिक तल पर भी निचोड़ कर रख देता है जिससे उबरना एक दिन की बात नहीं है.इसका भारत की बात करें तो इसका सबसे बड़ा उदाहरण है भारत में अपनी सभ्यता और देश के प्रति हीनभावना।कुछ हिस्टोरियंस के मुताबिक अंग्रेजी शासन के दौरान भारत में लोगों की लाइफ एक्सपेक्टेंसी 22 वर्ष हो गयी थी.आप सोच सकते हैं कि ज्यादातर लोग 22 साल से ज्यादा जी ही नहीं रहे थे,बड़े स्तर पर भुखमरी,गरीबी.ब्रितानी शासन के दौरान पावर्टी रेट डबल हो गया था और उस पर अब धृष्टता ऐसी कि इस सब को कवर करने का प्रयास किया जा रहा है.बुकर प्राइज पाने वाली बर्नार्डिन एवरिस्टो के मुताबिक ब्रिटेन को अपने औपनिवेशिक अतीत से मुँह नहीं फेरना चाहिए।इतिहास को कभी मिटाया नहीं जा सकता।उससे सबक लेकर गलतियों को दोबारा दोहरने से बचना चाहिए।

वेस्ट की बात करते हैं यहाँ रंगभेद कोलोनिअलिस्म की देन है.यूरोपियंस की ये वाइट सुपीरियर की मानसिकता की जड़ें स्लेवरी] यानि गुलामी प्रथा से जुडी हैं.स्लेवरी ने ब्रिटेन को अमीर बनाने में बड़ा योगदान दिया है.इसके जरिये चीनी,तम्बाकू और कॉटन जैसी महंगे लेबर वाली क्रॉप्स को स्लेव्स की मदद से उगाकर प्रॉफिट के साथ बेचा जाता था.ब्रितानी हुकूमत को हमेशा से ऐसा लगा कि बाकि के देश uncivilized और backward हैं इसलिए उन्हें सही करने के लिए उनके शासन की जरुरत है.उन्हें लगता था कि वो अश्वेत देशों में एक आर्डर ला रहे हैं। एक समय था जब दुनिया की कुल आबादी का चौथाई हिस्सा ब्रिटेन के कण्ट्रोल में था.ब्रितानी शासन जहाँ भी गया उसने अपने आर्काइव्ज में हमेशा ऐसा दिखाया कि उसने विकास ही विकास किया है.शिक्षा,रेलवेज और बहुत कुछ.पर ये सिर्फ उनके द्वारा किया गया अपने फायदे का कुछ हिस्सा था.या यूँ कहें पिक्चर का सिर्फ 1 प्रतिशत हिस्सा।99 फ़ीसदी पूरी दुनिया जानती है और उसे मिटा पाना कभी भी और किसी भी सरकार के लिए इस युग में संभव नहीं है और अगर ब्रिटैन चाहता है कि उसके पास्ट की गलतियों का बोझ आज के ब्रिटेन पर न डाला जाये तो उसे भी उन गलतियों पर पर्दा डालना बंद कर देना चाहिए।

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