Tau Tau Mannequins: जब किसी व्यक्ति किन मौत होती है, तो मृतक के परिवार क लोग मृतक के शव को या तो दफना देते हैं या फिर हिन्दू धर्मों के हिसाब से शव को जलाते हैं. लेकिन आपको बता दें की एक जगह ऐसी हैं जहाँ लोग मृतकों को अपने ही घर में रखते हैं इतना ही नहीं परिवार के लोग उस शव को खाना खिलाते हैं, रोज़ नहलाते है और उनसे बाते भी करते हैं. दरअसल इंडोनेशिया के सुलावेसी द्वीप में बसी ताना तोराजा की पहाड़ियाँ (The hills of Tana Toraja in Sulawesi Island, Indonesia) एक ऐसी दुनिया का घर हैं, जहाँ जीवन और मृत्यु को एक अनोखे अंदाज़ में मनाया जाता है। यहाँ के तोराजा समुदाय में मृत्यु को अंत नहीं, बल्कि जीवन का एक नया पड़ाव माना जाता है।
मृतकों का सम्मान, गुफाओं में दफन
यहाँ की परंपरा के अनुसार, मृतकों को चट्टानों में बनी गुफाओं या ऊँचे पहाड़ी स्थानों में दफनाया जाता है। इन दफन स्थलों को सजाने और उनकी रक्षा करने के लिए लकड़ी के पुतले, जिन्हें ताऊ ताऊ कहा जाता है, बनाए जाते हैं। ये पुतले मृतकों की आत्मा की निगरानी करते हैं और उनकी स्मृति को जीवित रखते हैं। प्रत्येक ताऊ ताऊ को मृत व्यक्ति के चेहरे और व्यक्तित्व के आधार पर बनाया जाता है, जो इसे और भी खास बनाता है।
घर में मृतकों के शव को क्यों रखते हैं?
दरअसल परंपरा के अनुसार मृतकों के शवों को चट्टानों में बानी गुफाओं में दफनाया जाता है. लेकि इसके लिए मृतक के परिवार वालो को गुफा खरीदनी पड़ती है जिसकी कीमत 10 लाख से अधिक होती है. गांव का प्रत्येक व्यक्ति गुफा नहीं खरीद पता है इस लिए वो मृतक के शव को तब तक घर में रखते हैं जब तक गुफा खरीदने के लिए पैसे नहीं जोड़ लेते। घर में रखे हुए शव को घर में रहने वाले जीवित व्यक्तियों की तरह ही रखा जाता है.
मृत्यु का उत्सव मानेने कि प्रथा
ताना तोराजा में मृत्यु के बाद एक भव्य समारोह होता है, जिसे मानेने कहा जाता है। यह समारोह कई बार मृत्यु के महीनों या सालों बाद भी आयोजित किया जाता है। इस दौरान परिवार और समुदाय के लोग इकट्ठा होते हैं, पशु बलि दी जाती है, और मृतक की आत्मा के लिए प्रार्थनाएँ की जाती हैं। यह उत्सव दुख का नहीं, बल्कि मृतक के जीवन का जश्न मनाने का अवसर होता है।
पर्यटकों के लिए आकर्षण
ताना तोराजा की यह अनोखी संस्कृति दुनिया भर के पर्यटकों को आकर्षित करती है। यहाँ की गुफाएँ, ताऊ ताऊ पुतले, और रंग-बिरंगे समारोह लोगों को एक अलग दुनिया की सैर कराते हैं। लेकिन स्थानीय लोग इसे केवल परंपरा नहीं, बल्कि अपने पूर्वजों के प्रति सम्मान का प्रतीक मानते हैं।