National Sports Governance bill : केंद्रीय खेल मंत्री मनसुख मांडविया ने संसद में पेश किया नेशनल स्पोर्ट्स गवर्नेंस बिल

National Sports Governance bill : केंद्रीय खेल मंत्री मनसुख मंडाविया ने बुधवार को लोकसभा में राष्ट्रीय खेल प्रशासन विधेयक 2025 पेश किया, जो भारतीय खेलों में पारदर्शिता, जवाबदेही और बेहतर प्रशासन की दिशा में एक बड़ा कदम है। इस विधेयक के तहत, एक राष्ट्रीय खेल बोर्ड (NSB) बनाया जाएगा, जिसके पास भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (BCCI) सहित राष्ट्रीय खेल महासंघों (NSF) के लिए नियम बनाने और उनकी निगरानी करने के व्यापक अधिकार होंगे।

क्या है National Sports Governance bill?

इस विधेयक में राष्ट्रीय खेल महासंघों के लिए एक सख्त जवाबदेही प्रणाली स्थापित करने का प्रस्ताव है। सभी मान्यता प्राप्त खेल महासंघों को केंद्र सरकार से धन प्राप्त करने के लिए NSB से मान्यता लेनी होगी। NSB में एक अध्यक्ष और सदस्य होंगे, जिनकी नियुक्ति केंद्र सरकार द्वारा की जाएगी।

इन लोगों को लोक प्रशासन, खेल प्रशासन, खेल कानून और संबंधित क्षेत्रों में विशेष ज्ञान या अनुभव होगा। इनकी नियुक्ति एक समिति की सिफारिश पर होगी, जिसमें कैबिनेट सचिव या खेल सचिव, भारतीय खेल प्राधिकरण के महानिदेशक, दो खेल प्रशासक और एक द्रोणाचार्य, खेल रत्न या अर्जुन पुरस्कार विजेता शामिल होंगे।

इस बिल में न्यायाधिकरण की स्थापना का प्रावधान।National Sports Governance bill

इस विधेयक में एक राष्ट्रीय खेल न्यायाधिकरण की स्थापना का भी प्रावधान है, जिसके पास सिविल न्यायालय के समान शक्तियाँ होंगी। यह न्यायाधिकरण खेल महासंघों और खिलाड़ियों से संबंधित विवादों का निपटारा करेगा, जिसमें चयन से लेकर चुनाव तक शामिल हैं। न्यायाधिकरण के निर्णय को केवल सर्वोच्च न्यायालय में ही चुनौती दी जा सकेगी। खेलों में लंबे समय से चल रही कानूनी लड़ाइयों को कम करने और शीघ्र न्याय सुनिश्चित करने के लिए यह कदम उठाया गया है।

BCCI भी National Sports Governance bill के दायरे में।

खास बात यह है कि यह विधेयक बीसीसीआई को भी अपने दायरे में लाएगा, जो अब तक सरकारी धन न मिलने का हवाला देकर स्वायत्तता का दावा करता रहा है। चूँकि क्रिकेट को 2028 के लॉस एंजिल्स ओलंपिक में शामिल किया गया है, इसलिए बीसीसीआई को भी इस विधेयक के नियमों का पालन करना होगा। इसके साथ ही, सभी मान्यता प्राप्त खेल निकाय सूचना के अधिकार (आरटीआई) अधिनियम के दायरे में आ जाएँगे, जिसका बीसीसीआई हमेशा से विरोध करता रहा है।

प्रशासकों की आयु सीमा में छूट का होगा प्रावधान।

राष्ट्रीय खेल संहिता में पहले प्रशासकों के लिए अधिकतम आयु सीमा 70 वर्ष थी, लेकिन नया विधेयक 70 से 75 वर्ष की आयु के लोगों को चुनाव लड़ने की अनुमति देता है, बशर्ते संबंधित अंतरराष्ट्रीय खेल संस्थाओं के नियम इसकी अनुमति दें। इससे बीसीसीआई अध्यक्ष रोजर बिन्नी, जो हाल ही में 70 वर्ष के हुए हैं, अपना कार्यकाल जारी रख सकते हैं।

विधेयक के उद्देश्यों में कहा गया है, ‘2036 के ग्रीष्मकालीन ओलंपिक की मेजबानी की तैयारियों के तहत, प्रमुख अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में बेहतर परिणाम, खेल उत्कृष्टता और बेहतर प्रदर्शन हासिल करने के लिए खेल प्रशासन में सकारात्मक बदलाव लाना महत्वपूर्ण है।’

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