सीएम पुष्कर धामी ने कहा कि मैं यह जानकर बहुत भावुक हूं कि आज से उत्तराखंड में यूसीसी (UNIFORM CIVIL CODE) लागू हो गया है
DEHRADUN: उत्तराखंड में सोमवार को समान नागरिक संहिता कानून (UNIFORM CIVIL CODE) लागू हो गया। इसके साथ ही उत्तराखंड यूसीसी लागू करने वाला देश का पहला राज्य बन गया। इसके लागू होने से राज्य में कई नियम बदल गये. इसके अंतर्गत आने वाले कानून राज्य के बाहर रहने वाले उत्तराखंड के नागरिकों पर भी लागू होंगे।
सभी जाति और धर्म की महिलाओं को समान न्याय
समान नागरिक संहिता लागू होने से विवाह पंजीकरण से लेकर तलाक और अन्य नियम सभी धर्म और संप्रदाय के लोगों पर समान रूप से लागू होंगे। सीएम धामी ने यूसीसी पोर्टल का भी शुभारंभ किया। इस मौके पर मुख्यमंत्री पुष्कर धामी, यूसीसी ड्राफ्टिंग कमेटी के अध्यक्ष और सदस्य समेत कई मंत्री और विधायक मौजूद रहे। इस मौके पर सीएम पुष्कर धामी ने कहा कि मैं यह जानकर बहुत भावुक हूं कि आज से उत्तराखंड में यूसीसी (UNIFORM CIVIL CODE) लागू हो गया है। इसी क्षण से उत्तराखंड में सभी जाति और धर्म की महिलाओं को समान न्याय मिलना शुरू हो गया है।
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कई देशों में UNIFORM CIVIL CODE है लागू
आज हम 2022 के चुनाव में जनता से किया गया वादा पूरा कर रहे हैं। अब से हलाला, इद्दत, बाल विवाह, बहुविवाह पर पूर्ण प्रतिबंध लगेगा। संविधान के अनुच्छेद 342 में अनुसूचित जनजातियों को संरक्षण प्राप्त है, इसलिए उन्हें बाहर रखा गया है। यूसीसी में किसी धार्मिक संप्रदाय को निशाना बनाने जैसा कुछ नहीं है। केवल कुप्रथाओं पर रोक लगाई गई है। उन्होंने आगे कहा कि कई देशों में यूसीसी (UNIFORM CIVIL CODE) पहले से ही लागू है। शादी पर कोई रोक नहीं है। अनुष्ठान पहले की तरह ही आयोजित किए जाएंगे। लेकिन सभी के लिए न्यूनतम आयु लड़कियों के लिए 18 वर्ष और लड़कों के लिए 21 वर्ष कर दी गई है।
UNIFORM CIVIL CODE से हर नागरिक के लिए एक समान कानून
संपत्ति के अधिकार में बच्चों को भी समान अधिकार होगा, भले ही वह लिव-इन रिलेशनशिप से पैदा हुआ बच्चा ही क्यों न हो। शादी और तलाक दोनों में रजिस्ट्रेशन कराना होगा। समान नागरिक संहिता (UNIFORM CIVIL CODE) का मतलब है देश में रहने वाले सभी नागरिकों (हर धर्म, जाति, लिंग के लोग) के लिए एक जैसा कानून होना। अगर किसी भी राज्य में नागरिक संहिता लागू हो जाती है तो वहां शादी, तलाक, बच्चा गोद लेने और संपत्ति के बंटवारे के साथ-साथ लिव-इन रिलेशनशिप जैसे मामलों में हर नागरिक के लिए एक समान कानून होगा। शादी के साथ-साथ लिव-इन कपल्स को भी रजिस्ट्रेशन कराना अनिवार्य होगा।