रामचरित मानस और पंचतंत्र को UNESCO ने दी मान्यता

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इंदिरा गांधी नेशनल सेंटर फॉर द आर्ट्स विभाग के HOD प्रोफेसर रमेश चंद्र गौड़ ने बताया कि यूनेस्को के 38 सदस्य और 40 ऑब्जर्वर देशों ने इन रचनाओं के वैश्विक महत्व को पहचान कर इन्हें मान्यता दी है। उन्होंने कहा कि यह उपलब्धि भारतीय संस्कृति के प्रसार और संरक्षण के लिए मील का पत्थर साबित होगी।

यूनाइटेड नेशंस एजुकेशनल, साइंटिफिक एंड कल्चरल ऑर्गेनाइजेशन (UNESCO) ने रामचरित मानस, पंचतंत्र और सह्रदयलोक-लोकन को वैश्विक मान्यता दी है। इन साहित्यिक रचनाओं को मेमोरी ऑफ द वर्ल्ड एशिया-पैसिफिक रीजनल रजिस्टर (MOWCAP) में शामिल किया गया है। द मेमोरी ऑफ द वर्ल्ड इंटरनेशनल एडवाइजरी और एग्जीक्यूटिव बोर्ड की तरफ से की गई सिफारिश के माध्यम से दस्तावेजों को वैश्विक महत्व और सार्वभौमिक मानवीय मूल्यों के आधार पर इस लिस्ट में शामिल करता है। रीजनल रजिस्टर में शामिल दस्तावेजों को विश्व स्तर पर पहचान बनाने में मदद मिलती है। साथ ही एक देश की संस्कृति दुनिया के कई देशों तक पहुंचती है.

38 देशों ने दी मान्यता

इन रचनाओं को दिल्ली स्थित इंदिरा गांधी नेशनल सेंटर फॉर द आर्ट्स की तरफ से रीजनल रजिस्टर के लिए नामांकित किया गया था। उलनाबटार में मेमोरी ऑफ द वर्ल्ड एशिया-पैसिफिक की बैठक में इन दस्तावेजों को प्रस्तुत करने वाले इंदिरा गांधी नेशनल सेंटर फॉर द आर्ट्स विभाग के HOD प्रोफेसर रमेश चंद्र गौड़ ने बताया कि यूनेस्को के 38 सदस्य और 40 ऑब्जर्वर देशों ने इन रचनाओं के वैश्विक महत्व को पहचान कर इन्हें मान्यता दी है। उन्होंने कहा कि यह उपलब्धि भारतीय संस्कृति के प्रसार और संरक्षण के लिए मील का पत्थर साबित होगी। IGNCA की तरफ से पहली बार रीजनल रजिस्टर के लिए आवेदन भेजा गया था। जो दस बैठकों के बाद स्वीकार कर लिया गया।

भारत के बाहर भी लोगों पर गहरी छाप

संस्कृति मंत्रालय की तरफ से जारी एक बयान में कहा गया कि रामचरितमानस, पंचतंत्र और सह्रदयलोक-लोकन जैसी रचनाओं ने भारतीय संस्कृति और साहित्य को गहराई से प्रभावित किया है। इन साहित्यिक रचनाओं ने न सिर्फ भारत बल्कि भारत के बाहर भी लोगों पर गहरी छाप छोड़ी है. यूनेस्को की तरफ से इन रचनाओं को मान्यता मिलना भारत की समृद्ध सांस्कृतिक और साहित्यिक विरासत के लिए गौरव की बात है। साथ ही यह सम्मान भारतीय संस्कृति के संरक्षण की तरफ नए कदम बढ़ाने में मदद करेगा।

रामचरितमानस भगवान राम के चरित्र पर आधारित धार्मिक ग्रंथ है जिसे गोस्वामी तुलसीदास ने अवधी भाषा में लिखा है। पंचतंत्र मूल रूप से संस्कृत भाषा की रचना जिसमें दंत और लोक कथाएं शामिल हैं, इसे विष्णु शर्मा ने लिखा है। वहीं सहृदयलोक-लोकन की रचना आचार्य आनन्दवर्धन ने संस्कृत भाषा में की थी।

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